Anxiety Disorder: 4 तरह के होते हैं एंग्‍जाइटी डिसऑर्डर, जानें इनके लक्षण और उपचार

आज के समय हर व्यक्ति कई तरह की चिंताओं से घिरा हुआ है। लेकिन जब इन चिंताओं का स्वरूप काफी बड़ा हो जाता है तो यह एक डिसआर्डर बन जाते हैं। पैनिक डिसआर्डर भी कई तरह के होते हैं। 
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Anxiety Disorder: 4 तरह के होते हैं एंग्‍जाइटी डिसऑर्डर, जानें इनके लक्षण और उपचार

जीवन के अलग-अलग पड़ावों में व्यक्ति अपने परिवार, काम, या समाज में अपनी स्थिति को लेकर चिंतित होता है। कुछ हद तक चिंता होना स्वभाविक है, लेकिन अगर इस एंग्जाइटी पर आपका नियंत्रण नहीं है तो यह पैनिक डिसआर्डर हो सकता है। चूंकि पैनिक डिसआर्डर भी कई तरह के होते हैं, इसलिए आपको अपनी एंग्जाइटी के स्वरूप के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जब आप अपनी घबराहट का कारण व स्वरूप जान जाएंगे तो यकीनन स्थिति को काबू में करना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा। तो चलिए जानते हैं एंग्जाइटी डिसआर्डर के बारे में-

जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर

इस एंग्जाइटी डिसऑर्डर में धन, स्वास्थ्य, परिवार, या काम जैसी सरल व रोजमर्रा की चीजों के बारे में आपका भय हो सकता है। इसमें कई बार व्यक्ति सामान्य परेशानियों को लेकर भी बेहद खराब स्थिति के बारे में सोचने लगता है। जिसके कारण उसके मन का डर उस पर हावी होने लगता है। इस स्थिति में व्यक्ति की नींद प्रभावित होती है और चीजों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता। इतना ही नहीं, इसके कारण व्यक्ति स्वयं को बेचैन, थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है।

सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर

यह एंग्जाइटी डिसऑर्डर व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। इसमें व्यक्ति सामाजिक स्थितियों में खुद को अपमानित या शर्मिंदा महसूस करता है। यह एंग्जाइटी डिसऑर्डर अमूमन किशोरावस्था में देखा जाता है। यह एंग्जाइटी डिसऑर्डर आपकी सोशल, प्रोफेशनल व रोमांटिक लाइफ को प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति खुद को बेहद असहाय महसूस करता है।

फोबिया

अपने दैनिक जीवन में हर व्यक्ति किसी न किसी चीज से डरता है, कुछ लोग अंधेरे से तो कुछ लोगों को ऊंचाइयों या लिफ्ट आदि से डर लगता है। लेकिन जब किसी एक खास तरह का डर व्यक्ति के मन में इस हद तक समा जाता है कि उससे उसका दैनिक जीवन प्रभावित होने लगता है तो यह फोबिया बन जाता है।

एगरोफोबिया

यह एक तरह का पैनिक व एंग्जाइटी डिसआर्डर है, जिसमें व्यक्ति को भीड़ से काफी डर लगता है। जिसके कारण व्यक्ति खेल स्टेडियम, मेट्रो, शॉपिंग मॉल व अन्य भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की कोशिश करते हैं। कई बार तो इस डिसआर्डर के कारण व्यक्ति घर से बाहर भी नहीं निकलता।

उपचार

एंग्जाइटी डिसआर्डर का उपचार करने के लिए दवाईयों के अतिरिक्त भी कई तरीके अपनाए जाते हैं।

सीबीटी (Cognitive Behavior Therapy)

अधिकतर एंग्जाइटी डिसआर्डर का इलाज इसी तरह किया जाता है। इस थेरेपी में व्यक्ति को उसकी स्थिति समझने और उससे बाहर निकलने के रास्तों के बारे में बताया जाता है। जैसे किताबें पढ़ना या मेडिटेशन करने से व्यक्ति का चित्त शांत होता है और उसे खुद को देखने, समझने व अपनी स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। अमूमन 12 से 16 सप्ताह के भीतर व्यक्ति में सकारात्मक परिवर्तन नजर आने लगते हैं।

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एक्सपोजर थेरेपी

यह थेरेपी भी डर, तनाव व चिंता को दूर करने का एक कारगर उपाय है। इस थेरेपी के तहत व्यक्ति के आसपास उन चीजों को रखा जाता है, जिनसे उसे डर लगता है। व्यक्ति के मन में डर तभी तक रहता है, जब तक उसका अपने डर से सामना न हो। एक्सपोजर थेरेपी में व्यक्ति का अपने डर से सामना करवाया जाता है और एक बार डर से सामना करने के बाद वह व्यक्ति के मन पर हावी नहीं होता।

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एसीटी (Acceptance and Commitment Therapy)

इस थेरेपी में व्यक्ति अपनी एंग्जाइटी के कारण मन में आने वाले नकारात्मक विचारों को जानने के साथ-साथ उसे स्वीकार भी करने लगता है। जिसके कारण व्यक्ति उनके बारे में एक अलग तरीके से सोचना सीखता है। जब व्यक्ति अपने जीवन की सबसे बुरी परिस्थिति को स्वीकार कर लेता है तो उससे निकलने के रास्ते भी खोजता है। साथ ही इससे कोई भी डर उसे प्रभावित नहीं कर पाता।

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