What Is Depressive Personality Disorder: 45 वर्षीय अनुपम (बदला हुआ नाम) एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करते हैं। पिछले पांच सालों से वह डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार हैं। हालांकि, उन्हें इसके बारे में शुरुआती दिनों में पता नहीं था। वह अक्सर इसके लक्षणों से जूझ रहे होते थे। डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारण अनुपम ज्यादातर समय लो फील करते थे, फिजिकल एक्टिविटी में उन्हें मजा नहीं आता था, अक्सर थकान से भरे रहते थे, काम में फोकस करने में दिक्कत आती थी और हर चीज में नेगेटिविटी तलाश लेते थे। शायद अनुपम अपनी कंडीशन के बारे में कभी समझ ही नहीं पाते, अगर उनकी पत्नी संजना ने उन्हें पूरा सपोर्ट न किया होता। जब पहले-पहल अनुपम में डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण उभरने लगे, संजना ने उन्हें नोटिस किया। वह बहुत धैर्य और बिना जजमेंट के अनुपम की बातें सुना करती थी। संजना अनुपम को मोटिवेट करती थी ताकि वह अपनी फीलिंग्स को दबा कर न रखे, उनके मन में क्या उलझनें चल रही है, इस पर चर्चा करें। कुल मिलाकर, कहने की बात ये है कि संजना ने अनुपम को बहुत प्यार और समझदारी से संभाला। यही नहीं, वह अनुपम को प्रोफेशनल के पास भी ले गई। वहां एक्सपर्ट ने अनुपम के लक्षणों पर गौर किया। इसके बाद पता चला कि वह डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है। अब संजना की सपोर्ट से अनुपम अपनी रोजमर्रा से जुड़े सभी जिम्मेदारियों को सही तरह से निभा पाते हैं। उनका अपना सर्कल है, जिसमें उसके जैसे लोग मौजूद हैं और वह एक सपोर्टिव ग्रुप का हिस्सा भी हैं।
यह केस स्टडी हमारे साथ काउंसिल इंडिया के सह-संस्थापक और सीईओ श्री शिवम दीक्षित ने शेयर की है। ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक सीरीज चला रहा है। इसमें विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों, उसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में हम अपने पाठकों को बता रहे हैं। आज इस सीरीज में हम आपको अनुपम की केस स्टडी की मदद से "डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर" के बारे में बताएंगे।
क्या है डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर- What Is Depressive Personality Disorder In Hindi
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक तरह का मूड डिसऑर्डर होता है। जब व्यक्ति इस बीमारी का शिकार होता है, तो वह लंबे समय तक उदासीनता और अकेलेपन से घिरा रहता है। डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर, जिसे हम मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के नाम से भी जानते हैं। इसके लक्षण करीब दो साल तक वयस्कों और एक साल तक बच्चों में बने रहते हैं। हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यह व्यक्ति की निजी जिंदगी पर निर्भर करते हैं।
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डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण- Symptoms Of Depressive Personality Disorder In Hindi
जैसा कि हमने अनुपम की केस स्टडी में देखा। वह अक्सर अकेलेपन और अवसाद से घिरे रहते थे। इसी तरह डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण मरीज की जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं पर निर्भर करते हैं। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं-
- उदासी, खालीपन और लो फील करना
- रोजमर्रा के कामकाज के प्रति रुचि कम होना
- थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करना
- आत्मसम्मान की कमी, खुद की आलोचना करना और खुद को हर काम के लिए असमर्थ महसूस करना
- किसी भी काम में फोकस करने में दिक्कत होना और परेशानियों को सुलझाने में असमर्थ होना
- किसी भी काम को समय पर पूरा न कर पाना
- बहुत जल्दी चिड़चिड़ा होना, बात-बात पर गुस्सा आना और धैर्य की कमी
- सोशल एक्टिविटी से दूर रहना
- जिंदगी में घटी घटनाओं को लेकर गिल्ट में रहना
- भूख न लगना या अक्सर ओवर ईटिंग करना
- नींद की समस्या होना
- निराशा से घिर जाना
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारण- Causes Of Depressive Personality Disorder In Hindi
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जेसे-
- बायोलॉजिकल फैक्टरः ब्रेन केमिस्ट्री, विशेष रूप से सेरोटोनिन, नॉरपेनेफ्रिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन। इनकी वजह से व्यक्ति को अवसाद हो सकता है। अवसाद यानी डिप्रेशन डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, आनुवंशिक कारक भी डिप्रेसिव डिसऑर्डर के मुख्य कारकों में शामिल है।
- साइकोलॉजिकल फैक्टरः जिंदगी कभी कोई दुर्घटना होना, जैसे ट्रॉमा और दूसरों के द्वारा अवहेलना झेलना। ये तमाम कारक डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के रिस्क को बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, नेगेटिव सोच, आत्मसम्मान की कमी और तनाव से निपटने में कठिनाई के कारण भी डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर हो सकता है।
- एन्वायरमेंटल फैक्टरः आसपास की घटनाएं भी डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर में अपना रोल प्ले करती है। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में खराब रिश्ते झेल रहा था, काम से जुड़ी परेशानियां, लंबे समय से चल रही बीमारियां और तनाव के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
- मेडिकल कंडीशनः डायबिटीज, हार्ट से जुड़ी बीमारियां या लंबे समय से चल रही कोई शारीरिक समस्या के कारण डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर हो सकता है। असल में, इन स्थितियों से जुड़े शारीरिक लक्षण व्यक्ति को निराशा से भर सकता है, जो कि डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का इलाज- Treatment Of Depressive Personality Disorder In Hindi
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के इलाज के तौर पर कई तरह की तकनीक को आजमाया जाता है, जैसे-
- साइकोथेरेपीः डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों को कॉग्नीटिव थेरेपी, इंटरपर्सनल थेरेपी (आईपीटी), साइकोडायनामिक थेरेपी दी जाती है। इससे उनके लक्षणों को समझने में मदद मिलती है। इसकी मदद से अवसाद को मैनेज करने में मदद मिलती है।
- जीवनशैली में बदलावः डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों को जीवनशैली को मैनेज करने की सलाह दी जाती है। इसके तहत, उन्हें फिजिकल एक्टिविटी, हेल्दी डाइट और पर्याप्त नींद और नशीली चीजों से दूर रहने की को कहा जाता है।
- सपोर्ट ग्रुपः डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों को सपोर्ट ग्रुप का हिस्सा बनने को कहा जाता है। ऐसा करके वे अपने जैसे लोगों से मिलते हैं, उनके साथ अपनी फीलिंग्स शेयर करते हैं। ऐसा करके, उन्हें अहसास होता है कि दुनिया में वे अकेले ऐसे नहीं है, जो डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार हैं।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक: डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों को स्ट्रेस मैनेज करने की सलाह दी जाती है। इसके लिए, माइंडफुलनेस मेडिटेशन, पर्याप्त रेस्ट, रेगुलर एक्सरसाइज और योग करने को कहा जाता है। इससे तनाव के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Depressive Personality Disorder In Hindi
जैसा कि हमने देखा कि अनुपम अपनी कंडीशन को समझ नहीं पा रहा था, उन्हें उनकी पत्नी संजना ने पूरा सपोर्ट किया। इसी तरह, अगर आपके घर में भी कोई ऐसा व्यक्ति है, जो डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है,तो इसे हल्के में न लें। यहां हम आपको बता रहे हैं कि डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीजों की मदद कैसे करें-
- सबसे पहले खुद को डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में एजुकेट करें। इसके लक्षणों और ट्रीटमेंट के बेहतर विकल्पों के बारे में जानें।
- अपने करीबी की हर बात को बिना जजमेंट के ध्यान से सुनें। उनकी फीलिंग को समझने की कोशिश करें।
- डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्ति को प्रोफेशनल की मदद लेने के लिए मोटिवेट करें। उन्हें साइकिएट्रिस्ट या थेरेपिस्ट के पास ले जाएं।
- अपने करीबी को घर के काम में इंवॉल्व करें। उन्हें क्लीनिंग, अपने रोजमर्रा के काम करने को कहें।
- मरीज को सेल्फ केयर के लिए मोटिवेट करें। ऐसा करने से वे अपनी बेहतर तरीके से केयर कर सकेंगे। इसे अलावा, उन्हें पर्याप्त नींद लेने दें, अच्छी डाइट दें और फिजिकल एक्टिविटी में इंवॉल्व रखें।
अनुपम की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है, तो उन्हें लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम "डिप्रेसिव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर" से जुड़ी जरूरी जानकारी देने की कोशिश की है। इसके बावजूद, अगर आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में 'Depressive Personality Disorder' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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