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Dissociative Identity Disorder: एक ऐसी समस्या, जिसके लक्षणों को लोग समझ लेते हैं भूत-प्रेत का साया

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर एक प्रकार की गंभीर स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके शरीर में कोई और है, जो उसे कंट्रोल कर रहा है।

 

Isha Gupta
Written by: Isha GuptaUpdated at: May 19, 2023 20:15 IST
Dissociative Identity Disorder: एक ऐसी समस्या, जिसके लक्षणों को लोग समझ लेते हैं भूत-प्रेत का साया

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सुकन्या को अक्सर अजीब आवाजें सुनाई देती थीं। उसे यह महसूस होता था कि उसका शरीर उसका है ही नहीं, बल्कि उसके शरीर में कोई और मौजूद है। वह पिछले तीन सालों से इन लक्षणों का अनुभव कर रही थी। उसने ये बात कभी किसी से नहीं कही क्योंकि उसे यह यह लगता था कि लोग उसे जज करेंगे। उसे ऐसा महसूस होता था कि कोई अदृश्य व्यक्ति उसके कार्यों पर टिप्पणी कर रहा है और उसे ऐसे काम करने का निर्देश दे रहा है, जो वह नहीं करना चाहती। सुकन्या ऐसा महसूस करती थी जैसे वह अपने जीवन को एक फिल्म की तरह देख रही है और वह अपने शरीर के नियंत्रण में नहीं है।

दरअसर, 25 वर्षीय सुकन्या डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (Dissociative Identity Disorder) की मरीज है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति का अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं होता। उसे खुद में दो या अधिक व्यक्तित्व होने का आभास होने लगता है। अगर इस समस्या के लक्षणों पर शुरुआत से गौर न किया जाए, तो यह मरीज के लिए गंभीर स्थिति भी पैदा कर सकती है। 

ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर समझ के लिए ’मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज शुरू कर रहा है, जिसमें अलग-अलग तरह की मानसिक समस्याओं, इसके प्रभाव, इलाज आदि के बारे में हम एक्सपर्ट्स के द्वारा उप्लब्ध कराई गई सटीक जानकारी अपने पाठकों तक पहुंचाएंगे। आज इस सीरीज के इस लेख में सुकन्या की कहानी के जरिए हम समझेंगे 'डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर' नामक बीमारी के बारे में। तो आइए जानते हैं डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के बारे में।

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ओनलीमायहेल्थ के साथ सुकन्या की यह केस स्टडी शेयर की है क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने। उन्होंने खुद सुकन्या के केस को हैंडल किया है।  उन्होंने बताया कि जब सुकन्या का परिवार उसे उनके पास लाया, तो वो बहुत चिंतित और परेशान थी। डॉ. कोहली कहती हैं, “सुकन्या  से बात करने पर मुझे पता चला कि सुकन्या ने अपने बचपन के दौरान किसी आघात का अनुभव किया था। उसने बताया कि उसका सौतेला पिता उसका शारीरिक शोषण करता था और उसकी मां भी उसे समझने की कोशिश नहीं करती थी”

इस लेख में हम सुकन्या की स्थिति को समझते हुए जानेंगे कि डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, इसके होने की वजह क्या हो सकती है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के बारे में जानने के लिए हमने बात की मैक्स अस्पताल (गुड़गांव) के मेंटल हेल्थ और बिहेवियरल साइंस की वरिष्ठ सलाहकार और मनोरोग विशेषज्ञ डॉ सौम्या मुद्गल से, जिन्होनें इस विषय पर हमें विस्तार से जानकारी दी।

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्या है? (What Is Dissociative Identity Disorder)

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (DID) एक प्रकार की मानसिक स्थिति है, जिसे मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भूलकर अलग व्यवहार करने लगता है। कुछ देर के लिए उसका व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है, वह लोगों को पहचानने से इनकार कर सकता है। ऐसे में व्यक्ति ज्यादातर समय खुद में खोया रहता है। 

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डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के लक्षण (Dissociative Identity Disorder Symptoms)

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के कई लक्षण ऐसे हो सकते हैं, जो बहुत सामान्य लगते हैं और अक्सर लोग जिन्हें नजरअंदाज कर देते हैं।  इस समस्या में व्यक्ति का व्यवहार देखकर ही उसकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है।सुकन्या  के केस में उसे अपने अंदर किसी के होने का आभास होता था, साथ ही उसका खुद की भावनाओं पर कोई नियंत्रण नहीं रहता था। ये तो इस समस्या के लक्षण हैं ही, लेकिन डॉ सौम्या मुग्दल बताती हैं कि इसके अलावा भी इस समस्या के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि - 

  • हर वक्त बैचेनी महसूस करना
  • अत्यधिक तनाव और चिंता में रहना
  • पुरानी बातें भूल जाना और जरूरी चीजें याद न आना
  • अचानक व्यवहार में बदलाव होना
  • सांस न आना या दम घुटने जैसा महसूस होना
  •  याद्दाश्त का कुछ समय के लिए चले जाना
  • मरने के ख्याल आना, खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करना
  • दिन भर अजीब-अजीब ख्याल आना 
  • अपनी भावनाओं पर कंट्रोल न होना
  • ऐसे में पीड़ित व्यक्ति आवाज बदलकर बात करने की कोशिश करने लगता है। 

 इस समस्या के लक्षणों के बाद इसके कारणों को समझना भी जरूरी है। इस बीमारी के बारे में और  ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की तुलसी हेल्थकेयर (नई दिल्ली) के वरिष्ठ सलाहकार और मनोचिकित्सक डॉ गौरव गुप्ता से। 

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर क्यों होता है? (Causes of Dissociative Identity Disorder) 

सुकन्या के मामले में उसके बचपन की कड़वी यादें उसकी समस्या का कारण बनी थींडिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर की स्थिति में व्यक्ति पर एंजायटी इतना ज्यादा हावी हो जाती है कि वह कुछ समय के लिए अपनी असली पर्सनालिटी भूल जाता है। उसको आभास नहीं होता कि वह कौन है या उसके आसपास क्या हो रहा है।। वहीं इसके कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं, जैसे -  

  • डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का संबंध अतीत के किसी ऐसे अनुभव से भी हो सकता है, जिसका उसके मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ा है। 
  • यह बचपन के किसी आघात और दुर्व्यवहार से जुड़ा हो सकता है, जिसमें व्यक्ति शारीरिक या भावनात्मक रूप से प्रताड़ित हुआ हो। 
  • डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर से ग्रस्त लोगों में कुछ मनोवैज्ञानिक स्थितियां भी कारण हो सकती हैं, जैसे पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, एंजायटी डिसआर्डर और डिप्रेशन आदि। 
  • यह समस्या अधिकतर उन लोगों में पायी जाती है, जो तनाव और चिंता से बहुत ज्यादा ग्रस्त होते हैं, 
  • जो लोग अपनी बातें खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते या हिचकिचाहट महसूस करते हैं।

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज (Treatment of Dissociative Identity Disorder)

डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का इलाज इस समस्या के लक्षणों के जरिए ही किया जा सकता है। सुकन्या के मामले में उसके परिवार ने उसके लक्षणों को समझा और जल्द मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क किया। यह एक  गंभीर समस्या है, जिसके लिए विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। डॉ गौरव गुप्ता के मुताबिक इन टिप्स को ध्यान में रखकर इसका इलाज किया जा सकता है। 

  • एंग्जायटी और तनाव की समस्या से निपटने के लिए मेडिटेशन और माइंडफुलनेस का अभ्यास करना लाभदायक हो सकता है। 
  • लक्षणों के समझकर ही इसका इलाज करना संभव है इसलिए किसी भी बदलाव को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। 
  • इस समस्या के लिए माइंड थेरेपी, दवाओं और विशेषज्ञों की सहायता लेना आवश्यक है। 
  • पर्याप्त नींद जरूर लें क्योंकि नींद की कमी भी आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। 
  • सही इलाज के साथ डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर वाले व्यक्ति के लिए अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना भी जरूरी है। 
  • अपनी परेशानी को किसी करीबी व्यक्ति से शेयर जरूर करें, जिससे तनाव आप पर हावी न हो पाए।

अगर आप भी  ऐसी कोई समस्या महसूस कर रहे हैं, तो बिना देरी किये किसी एक्सपर्ट से बात जरूर करें। हालांकि, इस लेख में हमने आपको डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है। अगर आपके मन में इससे जुड़े और भी सवाल हैं, तो उनका जवाब जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में Dissociative Identity Disorder से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म के जरिए अपने सवाल हम तक पहुंचाएं।

 
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