
“28 वर्षीय जतिन अकेले बातें करता था, अक्सर खोया-खोया नजर आता था। हालांकि, वह अक्सर परेशान रहता था। उसे डिप्रेशन और एंग्जाइटी, जैसी गंभीर मानसिक बीमारियां तो थी हीं। ये बात अलग है कि इस तरह अकेले बातें करना या खुद में ही खोए रहना जैसी चीजें, उसमें पहले कभी नहीं दिखी थीं। इसलिए, जब खुद से बातें करने की उसकी यह आदत गंभीर रूप लेने लगी, तो हम परेशान हो गए थे। हमें लगा था कि अब समय आ गया है, हम उसे डॉक्टर के पास ले जाएं और उसका इलाज कराएं। हमने ऐसा ही किया। मौजूदा समय में जतिन का ट्रीटमेंट शुरू हुए 6 माह का समय बीत चुका है। ट्रीटमेंट के दौरान उसके घर वालों को पता चला कि वह साइकोसिस नाम की मानसकि बीमारी से ग्रस्त है। ट्रीटमेंट के बाद, अब उसकी हालत में काफी सुधर देखा गया है।“ ओनलीमायहेल्थ के साथ जतिन की केस स्टडी माइंडट्राइब की फाउंडर और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रेरणा कोहली ने इस केस स्टडी को शेयर करते हुए उसके घरवालों की आपबीती बताई।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी अलग-अलग बीमारियों, उसके प्रभाव, लक्षण और बचाव के बारे में हम अपने पाठकों तक सटीक जानकारी पहुंचाएंगे। इस संबंध हम इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। आज इस सीरीज में आपको जतिन की केस स्टडी के माध्यम से ‘साइकोसिस डिसऑर्डर’ के बारे में बताने जा रहे हैं।
साइकोसिस डिसऑर्डर को मानसिक बीमारी के रूप में समझा जाता है। इस बीमारी का मरीज, सही और गलत के बीच फर्क नहीं कर पाता है। उसे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती और दिखाई देती हैं, जो वास्तविक नहीं होती हैं। इसके साथ-साथ, साइकोसिस डिसऑर्डर का मरीज डिल्यूजन या हैल्यूसिनेशन जैसी चीजों में फंसा हुआ होता है। ये दोनों ही ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज अलग-अग तरह की चीजों का अनुभव करता है, जो उसके मन का वहम हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में मरीज इसी कंफ्यूजन में रहता है कि उसके घर-परिवार वाले उसे समझने की कोशिश नहीं करते हैं।
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क्या है साइकोसिस डिसऑर्डर (what is psychosis in hindi)
साइकोसिस एक गंभीर मानसिक बीमारी है। कई अन्य मानसिक बीमारियों की तरह, साइकोसिस होने की स्थिति में भी पीड़ित व्यक्ति अकेला-अकेला और खोया-खोया रहता है। इसके साथ ही, मरीज अक्सर क्या असली है, क्या नकली है, इसमें फर्क नहीं कर पाता है। इस स्थिति में मरीज अक्सर भ्रम, मतिभ्रम जैसी स्थिति में खुद को फंसा हुआ पाता है। आपको बताते चलें, भ्रम मतलब होता है, जब मरीज ऐसी चीजों पर विश्वास करता है, जिसका हकीकत से कोई सरोकार नहीं होता है। उदारहण के तौर पर समझें, मरीज को यह अहसास हो सकता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वहीं, मतिभ्रम मतलब, मरीज को ऐसी चीजों को अनुभव होता है, जो वास्तव जिंदगी में मौजूद नहीं है। उदाहरण के तौर पर समझें, मरीज को लग सकता है, जैसे उसने कुछ ऐसा खाया है या देखा, जो असल में मौजूद ही नहीं है।
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साइकोसिस डिसऑर्डर के लक्षण (symptoms of psychosis in hindi)
डॉ. प्रेरणा कोहली जतिन के मामले को समझाते हुए बताती हैं, “जतिन जब मेरे पास आया था, तब उसके परिवार वालों ने मुझसे उसके कुछ विशेष लक्षणों का जिक्र किया था। इनमें कुछ लक्षण ऐसे थे, जैसे उसे कोई अक्सर फॉलो करता था, वह किसी से बातें करता था और वह अकेले बैठे रहना पसंद करता था।” इसके अलावा साइकोसिस के कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार के हैं-
- भ्रमः भ्रम यानी ऐसी चीजें, जो वास्तविकता पर आधारित न हो। इस स्थिति में मरीज को लगता है कि उसके पास किसी तरह की विशेष शक्तिया हैं, जिससे वह दुनिया को बदल सकता है।
- मतिभ्रमः इस स्थिति में मरीज को वो आवाजें सुनाई देती हैं, असल में नहीं होती हैं।
- ऑर्गनाइज्ड तरीके से न सोच पानाः मरीज ऑर्गनाइज्ड तरीके से कुछ सोच-समझ नहीं पाता है और उसे दूसरों के साथ बातचीत करने में भी दिक्कत होती है।
- असंगठित तरह से व्यवहारः ऐसे मरीजों का व्यवहार करने का तरीका अलग होता है। वह अपने व्यवहार को सही तरह से नियंत्रित नहीं कर पाता है।
- नेगेटिव लक्षणः साइकोसिस के मरीजों को अपने रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत आती है।
साइकोसिस होने का कारण (causes of psychotic disorder)
डॉक्टर प्रेरण कोहली कहती हैं, “साइकोसिस डिसऑर्डर के होने के सटीक करणों का अब तक पता नहीं चला है। लेकिन जतिन के मामले में यह देखा गया था कि वह पहले से ही डिप्रेशन और एंग्जाइटी का मरीज था। धीरे-धीरे वह अपनी स्थिति को समझने में असफल होने लगा। इसी वजह से उसकी स्थिति में भारी बदलाव देखने को मिले।” इन कारणों के अलावा, साइकोसिस होने के कुछ निम्न कारण भी हो सकते हैं-
- जेनेटिक्सः यह बात अब साबित हो चुकी है कि जेनेटिक वजहों से मरीज को साइकोसिस हो सकता है। यही नहीं, परिवार में अगर इतिहास हो, तो सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारी भी भावी पीढ़ी को हो सकती है।
- न्यूरोट्रांसमीटरः न्यूरोट्रांसमीटर मस्तिष्क में रसायन होते हैं, जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संकेतों को पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन के कारण मेंटल डिसऑर्डर हो सकते हैं।
- नशीले पदार्थ का सेवन: यह भी दावा किया जाता है कि दवाओं, शराब और अन्य नशीले पदार्थ के सेवन से भी मेंटल डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- ट्रॉमा या स्ट्रेसः बचन या किशोरावस्था में यदि किसी के साथ बुरी घटनाएं, जैसे यौन शोषण, तब भी व्यक्ति का मानसिक संतुलिन प्रभावि हो सकता है और साइकोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
साइकोसिस का इलाज (Treatment Of Psychosis)
डॉक्टर प्रेरणा कोहली कहती हैं, “जतिन के केस में, जब उसे मेरे पास लाया गया था, तो सबसे पहले मैंने उसकी काउंसलिंग की थी। इसके बाद, उसकी स्थिति को भांपते हुए उसकी थेरेपी शुरू की थी। उसे मैंने साइकोएनालेटिक थेरेपी दी थी, जिससे उसे काफी फायदा हुआ था। असल में, सबसे ज्यादा जरूरी ये था कि उसका विश्वास जीता जाए। अगर उसे यह लगता कि मैं उसे जज करूंगी, तो वह अपने मन की बातें मूझसे कभी शेयर नहीं कर पाता। इसलिए, मैंने उसके लिए एक फ्रेंडली माहौल तैयार किया था। यही नहीं, जतिन को साइकिएट्रिस्ट के पास ले जाना भी जरूरी था, क्योंकि बिना दवाई के उसका ट्रीटमेंट संभव नहीं था। साइकिएट्रिस्ट ने उसे कुछ दवाईयां दी थीं, जिससे उसके लक्षणों में कमी नजर आने लगी थी। इसमें मेरी काउंसलिंग थेरेपी ने भी अहम भूमिका निभाई थी।” साइकोसिस के इलाज के लिए कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है-
- दवाएं: भ्रम, मतिभ्रम और ऑर्गनाइज्ड तरीके से सोच को मैनेज करने के लिए एंटीसाइकोटिक दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा, कुछ दवाओं का उपयोग अवसाद या चिंता जैसी स्थितियों को दूर करने के लिए किया जा सकता है, जो मानसिक लक्षणों को बेहतर करने में मदद करते हैं।
- थेरेपी: साइकोसिस डिसऑर्डर को बेहतर करने के लिए कई तरह की थेरेपी की जाती है ताकि लक्षणों को संतुलित किया जा सके।
- अपनों की मदद: साइकोसिस डिसऑर्डर के मरीजों को उनके घर-परिवार के सदस्यों द्वारा पूरी मदद की जानी चाहिए, ताकि उनकी स्थिति को सुधारने में मदद मिल सके।
साइकोसिस से बचाव कैसे किया जाए (Prevention Of Psychotic Disorder)
डॉक्टर प्रेरणा कोहली सलाह देती हैं, “किसी भी तरह के मानसिक विकार से बचने का कोई सटीक उपाय नहीं है। हालांकि, मैंने जतिन के केस को संभालते हुए, उसके तनाव को स्तर को कम करने की कोशिश की और यह भी चाहा कि उसे अच्छा एंवॉयरमेंट मिले, जो फ्रेंडली हो।” इसके अलावा, साइकोसिस से बचाव के तौर पर निम्न उपाय आजमा सकते हैं-
- तनाव कम करनाः किसी भी तरह के मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से बचने के लिए जरूरी है कि तनाव का स्तर कम रहे। बढ़ते तनाव के कारण इस तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
- नशीली दवाओं और शराब से दूर रहेंः नशीली दवाएं और शराब मानसिक स्थिति को खराब करने के पीछे जिम्मेदार होते हैं। इसलिए, मेंटल डिसऑर्डर से दूर रहने के लिए यह सलाह दी जाती है कि नशीले पदार्थों का सेवन कम किया जाए।
- बिहेवियर पर ध्यान दिया जाएः अगर मरीज की स्थिति को पहले से ही समझ लिया जाए, बेहेवियर पर ध्यान दिया जाए, तो स्थिति को बिगड़ने से पहले संभाला जा सकता है।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएंः हेल्दी खानपान, एक्सरसाइज और अच्छी नींद लेने से भी किसी भी तरह ही मेंटल डिसऑर्डर की संभवना में कमी आती है।
जतिन की तरह अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो सावधानी बरतें। अपने लक्षणों के प्रति जरा भी लापरवाही न करें। जरूरी हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, इस लेख में हमने साइकोसिस से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। इसके बावजूद, अगर आपके मन में इससे जुड़े और भी सवाल हैं, तो उनका जवाब जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में Psychosis Disorder से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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