
“मेरी बातें कोई समझता ही नहीं था। मैं रोती थी, चिल्लाती थी। मुझे अक्सर यही लगता था कि आखिर मेरी बातों पर कोई भरोसा क्यों नहीं करता है? मैं जानती थी कि मेरा पति मुझे धोखा दे रहा है। यहां तक कि वह मुझसे अश्लील काम करवाने की भी कोशिश करता था। मुझे उससे नफरत हो गई थी। हैरानी तो तब होती थी, जब मेरे घरवालों ने मेरा सपोर्ट भी नहीं किया और मेरी हर बात को उन्होंने मेरा भ्रम समझा। उन्हें लगता था कि मैं ही गलत कह रही हूं और मेरा पति सही कह रहा है। ...शायद मैं हमेशा खुद को सही और अपने परिवार को गलत मानती। साथ ही, अपने पति को कोसती रहती और सोचती रहती कि मेरा जीवन बर्बाद हो चुका है। लेकिन, मैं भगवान का शुक्र मनाती हूं कि मेरा जीवन बर्बाद नहीं हुआ और सब चीजें एक जगह आकर थम गईं। मेरे जीवन में पॉजिटिव टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब मेरी फैमिली मुझे डॉक्टर के पास ले गई।”
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी उम्र 28 साल है। उसका नाम नेहा (बदला हुआ नाम ) है। वास्तव में वह सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। इस बीमारी ने न सिर्फ उसकी दिमागी स्थिति खराब की, बल्कि उसके निजी रिश्ते भी प्रभावित किए। यही नहीं, इस बीमारी के कारण कॉन्फिडेंस खत्म हुआ और दूसरों पर से उसका विश्वास भी उठ गया। आश्चर्य की बात यह रही कि वह खुद अपनी स्थिति को समझने में नाकाबिल थी। उसे खुद अपनी इस बीमारी के बारे में तब पता चला, जब परिवार वाले उसके बढ़ते लक्षणों को देखते हुए उसे डॉक्टर के पास ले गए।
आगे बढ़ने से पहले आपको जान लेना चाहिए कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है। यह बीमारी होने पर व्यक्ति अपने सोचने, समझने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग 2.4 करोड़ लोग इस गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि वे इस बीमारी को बेहतर तरीके से जानें, समझें और इस बीमारी के मरीज की केयर कैसे की जाए, इस संबंध में जानकारी हासिल करें।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर समझ के लिए ’मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज शुरू कर रहा है, जिसमें अलग-अलग तरह की मानसिक समस्याओं, इसके प्रभाव, इलाज आदि के बारे में हम एक्सपर्ट्स के द्वारा उप्लब्ध कराई गई सटीक जानकारी अपने पाठकों तक पहुंचाएंगे। आज इस सीरीज के पहले लेख में नेहा की कहानी के जरिए हम समझेंगे ‘सिजोफ्रेनिया’ नामक बीमारी के बारे में, जिसे आमतौर पर लोग पागलपन समझ लेते हैं। आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की मानसिक बीमारी को जादू-टोना या भूत-प्रेत से जोड़ा जाता है या शहरी इलाकों में भी इस बीमारी को लेकर स्पष्टता नहीं है। तो आइए जानते हैं सिजोफ्रेनिया के बारे में।
इस लेख में हम सिजोफ्रेनिया के लक्षण, कारण और इलाज को बेहतर तरीके से समझेंगे।
सिजोफ्रेनिया में क्या लक्षण दिखते हैं?
यह केस स्टडी हमारे साथ सुकून साइकोथेरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट दीपाली बेदी ने शेयर की है, जिनसे हमें सिजोफ्रेनिया को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने में मदद मिली। उनके अनुसार, नेहा अपने लक्षणों को खुद बेहतर तरीके से नहीं समझ पा रही थी, लेकिन हां वो अक्सर अपने पति की बुराई करती रहती थी, उसे हमेशा ऐसा लगता था, जैसे उसका पति उससे कोई गलत काम करवाना चाहता था। वह अपने परिवार के साथ अक्सर लड़ती रहती और कई बार आक्रामक भी हुई थी। यह तो रहे नेहा के लक्षण। लेकिन गुरुग्राम स्थित मैक्स अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट विशाखा भल्ला बताती हैं कि सिजोफ्रेनिया की बीमारी में इस तरह के अन्य कई लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे-
- पीड़ित व्यक्ति बिना सोचे-समझे कुछ भी कह देता है।
- मरीज को रोजाना के कामकाज करने में मुश्किलें आती हैं।
- वह कोई भी प्रोडक्टिव काम नहीं कर पाता है।
- उसकी बातों का कोई आधार नहीं होता है।
- उसे ऐसी गंध आती है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता है।
- उसे सोने में दिक्कत होती है।
- उसकी एकाग्रता खराब होती है।
- किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता है।
- अंत में, मरीज खुद को अपने परिवार और दोस्तों से अलग कर लेता है।
सिजोफ्रेनिया क्यों होता है?
डॉक्टर दीपाली बेदी की मानें, तो सिजोफ्रेनिया के कारण को स्पष्ट रूप से जाना नहीं जा सकता है। हालांकि, इस संबंध में बहुत सारे रिसर्च हो रहे हैं और वे अभी पर्याप्त नहीं है। नेहा के मामले में भी यह बात नहीं पता थी कि उसे सिजोफ्रेनिया बीमारी क्यों हुई। हालांकि, कई शोध इस बारे में बताते हैं कि अक्सर सिजोफ्रेनिया का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिनके परिवार में पहले किसी को यह समस्या रही हो।
इसी बात को और विस्तार से बता रहे हैं नई दिल्ली स्थित तुलसी हेल्थ केयर में सीनियर कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉक्टर गौरव गुप्ता। डॉ. गुप्ता ने कहा, में, “सिजोफ्रेनिया का कारण अभी भी अज्ञात है। लेकिन जिन लोगों के परिवार में इस मानसिक विकार का इतिहास पाया जाता है, उन्हें इसके होने का चांस अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है, जिनके परिवार में यह विकार नहीं है। इसके अलावा, इसके अन्य कारण हैं अनुवांशिकी , जन्म पूर्व मस्तिष्क विकास की समस्याएं, पर्यावरण और वायरल संक्रमण, बीमारियां आदि।
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सिजोफ्रेनिया का इलाज
आमतौर पर सिजोफ्रेनिया का इलाज मरीज के लक्षणों के अनुसार ही तय होता है। जैसे नेहा के मामले में उसके खुद के अलावा सभी के लिए यह समझना बहुत मुश्किल था कि वह एक खास तरह की बीमारी से जूझ रही है। ऐसी स्थिति में मरीज को समझाना मुश्किल हो जाता है। डॉ. दीपाली बेदी बताती हैं, “जाहिर है, हम अगर नेहा से कुछ भी कहते या समझाते, वह नहीं समझती। इसलिए हमने उसके परिवार को कहा कि फिलहाल आप लोग उसकी बातें सुनें। उसे किसी तरह का समाधान देने की शुरुआती स्तर पर कोशिश न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि उस दौर में जब खुद इलाज के लिए तैयार नहीं है, तो आप उसका इलाज नहीं कर सकते। ध्यान रहे, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज के लक्षण आजीवन बने रह सकते हैं, क्योंकि इसका पूरी तरह से ठीक होना संभव नहीं है। जब नेहा को लगा कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है और वह तैयार हुई, तब हमने उसका प्रॉपर ट्रीटमेंट शुरू किया।” सिजोफ्रेनिया का इलाज कैसे किया जाता है? इस संबंध में डॉक्टर गौरव बताते हैं कि-
- सिजोफ्रेनिया के मरीजों को ताउम्र उपचार की जरूरत होती है।
- शुरुआत में हम मरीज के गंभीर लक्षणों को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, ताकि भविष्य में उसे इस तरह की समस्या न हो या उसके लक्षण कम हो जाएं।
- सिजोफ्रेनिया के ट्रीटमेंट का एक ही उद्देश्य होता है, जिस भी तरह के खतरे से मरीज गुजर रहा है या उसके लक्षण नजर आ रहे हैं, वे कंट्रोल हो सकें।
- सिजोफ्रेनिया के इलाज के लिए अक्सर दवा, काउंसलिंग और सेल्फ मैनेजमेंट जैसी चीजों को एक साथ ट्राई किया जाता है।
- वैसे तो ज्यादातर मानसिक विकारों में व्यक्ति को काउंसलिंग आदि से ठीक किया जा सकता है। लेकिन, सिजोफ्रेनिया के मरीज को दवा की भी जरूरत पड़ती है, जो कि डॉक्टर मरीज की स्थिति अनुसार देता है।
सिजोफ्रेनिया के मरीज की मदद कैसे करें
दीपाली बेदी बताती हैं कि नेहा की स्थिति में सिर्फ इस वजह से सुधार आ सका, क्योंकि उसके घरवालों ने उसे पूरा सपोर्ट किया। उन्होंने उसके भ्रामक ख्यालों और उसकी अटपटी बातों को समझने की कोशिश की। इसके साथ ही, उसकी दिमागी हालत को समझते हुए, सही समय पर सही चिकित्सक के पास ले गए। वहीं, डॉक्टर गौरव भी सिजोफ्रेनिया के मरीजों के परिवार के सदस्यों को कुछ विशेष सलाह देते हैं, जैसे-
- सिजोफ्रेनिया के मरीजों को शुरुआती दौर में ही मदद की जानी चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति अपने रिश्तों, दोस्तों और जिंदगी को बेहतर तरीके से समझ सकता है।
- अगर मरीज का हाल परिवार पहले से ही समझ जाए, तो संभव है कि उसे अस्पताल तक जाने की जरूरत ही न पड़े। परिवार का साथ उसके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर होने में मदद कर सकता है। अगर घर वाले पूरा सपोर्ट करते हैं, तो डॉक्टरों को इलाज करने में भी मदद मिलती है और मरीज के रिकवरी की संभावना भी बढ़ जाती है।
- सिजोफ्रेनिया होना अपने-आप में घातक नहीं है। लेकिन जब व्यक्ति को यह बीमारी हो जाती है, तो वह आक्रामक हो सकता है और दूसरों को नुकसान पहुंचा सकता है। कई मामलो में मरीज खुद को भी हानि पहुंचाने की कोशिश कर सकता है।
- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को अपने चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाएं लें और किसी लक्षण को नजरअंदाज न करें।
- साथ ही, मरीजों को शराब और धूम्रपान से बचना चाहिए।
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