विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस (World Schizophrenia Day 2020) 24 मई को मनाया जाता है। सिज़ोफ्रेनिया एक मानसिक स्थिति है जो मस्तिष्क के सामान्य कामकाज को प्रभावित करती है। यह स्थिति व्यक्ति की महसूस करने, कार्य करने और सोचने की क्षमता को प्रभावित करती है। कुछ सिज़ोफ्रेनिक व्यक्ति पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और उनके लक्षणों में सुधार आता है। लेकिन, तमाम लोग ऐसे भी हैं जो लंबे समय तक सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित रहते हैं, जिन्हें रोग के लक्षण वर्षों तक परेशान करते हैं। सिज़ोफ्रेनिया को अक्सर गंभीर स्थिति के रूप में माना जाता है। स्किज़ोफ्रेनिया से जुड़े कई तरह के कलंक हैं।
विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस के मौके पर डॉक्टर अमित गर्ग (कंसल्टेंट साइकैट्रिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट) बता रहे हैं इस रोग से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब।
सिज़ोफ्रेनिया क्या है?
सिज़ोफ्रेनिया को एक प्रकार की मानसिक स्थिति या रोग कह सकते हैं, जिसमें व्यक्ति काल्पनिक और वास्तविक वस्तुओं को समझने में भूल कर बैठता है। परिणामस्वरूप रोगी का वास्तविकता से संबंध टूट जाता है, जिसके कारण उसके सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ता है, और वह जीवन की ज़िम्मेदारियों को संभालने में असमर्थ रहता है।
सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण क्या हैं?
सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में कई लक्षण देखने को मिलते हैं:
- पीड़ित व्यक्ति में उदासीनता देखने को मिलती है।
- आम लोगों की तरह सुख दुख महसूस नहीं कर पाता।
- किसी से बातचीत करना पसंद नहीं करता।
- भूख प्यास का ख्याल नहीं रख पाता।
- उसका व्यवहार असामान्य होता है।
सिजोफ्रेनिया के कारण क्या हैं?
सिज़ोफ्रेनिया का कोई एक कारण नहीं है, अनुसंधान के अनुसार अनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हैं जिनसे सिज़ोफ्रेनिया की स्थिति विकसित होती है।
सिज़ोफ्रेनिया कितने प्रकार का होता है?
सिज़ोफ्रेनिया के प्रकार हैं-
- पैरानायड सिज़ोफ्रेनिया
- अव्यवस्थित सिज़ोफ्रेनिया
- कैटाटनिक सिज़ोफ्रेनिया
- अवशिष्ट व अधोसंरक्षित सिज़ोफ्रेनिया
सिज़ोफ्रेनिया का परीक्षण कैसे करते हैं?
हालांकि इसके निदान का कोई परीक्षण नहीं है, रोगी में सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण नज़र आने पर डाक्टर उसका चिकित्सा इतिहास देखते है, और कभी-कभी शारीरिक परीक्षण भी करते हैं।
सिज़ोफ्रेनिया से बचाव और उपचार क्या हैं?
इसका इलाज आमतौर पर लंबा होता है, यदि रोगी का शुरुआती चरण में ही उपचार दिया जाए तो समस्या पकड़ में आजाती है। मनोवैज्ञानिक थैरेपी के ज़रिये मरीज़ के व्यवहार पर काम करने की कोशिश की जाती है। साथ ही रोगी के परिवार वालों को भी काउंसिलिंग दी जाती है ताकि वे रोगी को संभाल सकें। सिज़ोफ्रेनिया से बचाव का कोई तरीका नहीं है।
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सिज़ोफ्रेनिया की जटिलताएं और जोखिम क्या हैं?
सिज़ोफ्रेनिया का होना अपने आप में ही एक जटिल समस्या है, जिसमें सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित होती है, व्यवहार सामान्य नहीं रहता, रोगी प्रतिक्रिया देने के बारे में समझ नहीं पाता या आवेश में आकर प्रतिक्रिया देता है। और इन सब के कारण रोगी का समाजिक जीवन प्रभावित होता है, जो तनाव को भी बढ़ावा देता है।
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सिज़ोफ्रेनिया में क्या खाएं और क्या न खाएं?
सभी तरह के नशीले पदार्थों का सेवन मना होता है। जबकि ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सोयाबीन, पालक, स्ट्राॅबेरी, खीरा आदि लेने चाहिए, साथ ही विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन ए युक्त पदार्थ लेने चाहिए। इसके अलावा स्वस्थ जीवनशैली नियमित व्यायाम का पालन करना चाहिए।
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