
आयुर्वेद में स्वेदन कर्म यानी पसीना लाने की प्रक्रिया का बहुत महत्व होता है। आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा की एक विधि है, जिसका उद्देश्य शरीर से टॉक्सिक पदार्थों और दोषों को बाहर निकालने में मदद करता है। स्वेदन करने के कई तरीके होते हैं, जिसमें एस इष्टिका स्वेद भी शामिल है। आयुर्वेद के अनुसार, इष्टिका का मतलब होता है ईंट और स्वेद का अर्थ होता है पसीना लाना। जिन लोगों को जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों से जुड़ी समस्या होती है, उनके लिए ये काफी फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में आइए हरियाणा के सिरसा में स्थित रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा से जानते हैं कि इष्टिका स्वेद क्या है और इसके क्या फायदे?
इष्टिका स्वेद क्या है?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, "इष्टिका स्वेद एक तरह का साउष्ण स्वेद यानी लगातार गर्मी देने वाली प्रक्रिया है, जिसमें गर्म की गई ईंटों के जरिए शरीर में पसीना लाया जाता है। यह खास रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी माना जाता है, जो जिनका शरीर वात दोष से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होते हैं, जैसे जोड़ों में दर्द, गठिया की समस्या, पीठ दर्द, मसल्स से जुड़ी समस्या आदि।
इष्टिका स्वेद कैसे किया जाता है?
इष्टिका स्वेद प्रक्रिया को करने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं-
- सबसे पहले लाल ईंटें लें और उन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लें।
- इसके बाद ईंट के टुकड़ों को लोहे की कड़ाही या किसी चीज पर रखकर गर्म कर लें।
- इन टुकड़ों को तब तक गर्म करें, जब तक वे लाल-गर्म न हो जाएं।
- इसके बाद गर्म टुकड़ों को एक मोटे सूती कपड़े या पोटली में लपेट लें।
- फिर मरीज को एक समतल जगह पर लेटा दें और गर्म पोटली को प्रभावित जगहों पर धीरे-धीरे लगाएं।
- ईंट की गर्मी मरीज की सहनशक्ति के अनुसार होनी चाहिए, जिसे वे आराम से बर्दाश्त कर सके।
- यह प्रक्रिया लगभग 15 मिनट तक की जानी चाहिए।
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इष्टिका स्वेद के बाद कैसे करें देखभाल?
स्वेदन प्रक्रिया के बाद शरीर को ढककर कुछ समय के लिए आराम करने के लिए छोड़ दें। आप मरीज को हल्का गर्म पानी पीने के लिए दे सकते हैं। इसके अलावा, अगर जरूर हो तो तेल मालिश भी किया जा सकता है। इससे मरीज को आराम मिलता है।
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इष्टिका स्वेद के फायदे
- इष्टिका स्वेद की प्रक्रिया खासकर वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है। वात से जुड़ी समस्याएं जैसे जोड़ों में दर्द, सूजन और मांसपेशियों में होने वाली समस्याओं में ज्यादा फायदेमंद है।
- ईंट की गरमाहट जोड़ों में जमी कठोरता दूर करने में मदद करती है।
- ईंट की गर्मी से ब्लड फ्लो बढ़ता है, जिससे टिशू को ज्यादा ऑक्सीजन मिलता है और दर्द कम होता है।
- इस प्रक्रिया के दौरान निकलने वाला पसीना शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।
- इष्टिका स्वेद करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है और आराम मिलता है।
निष्कर्ष
इष्टिका स्वेद एक प्राचीन और प्रभावी आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जो वात दोष से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। लेकिन, इसे खुद से करने से स्थान पर आप किसी एक्सपर्ट से करवाएं।
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