इनोसिटोल (Inositol), एक खनिज है जिसके बारे में आम लोगों में जानकारी की कमी है लेकिन ये आपके शरीर में शुगर पचाने से लेकर मेंटल हेल्थ को सही रखने के लिए जरूरी है। हालही में, न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा ने इस बारे में चर्चा की और सोशल मीडिया पर बताया कि इनोसिटोल की कमी आपके शरीर को कैसे प्रभावित कर सकती है। इतना ही नहीं, इसकी वजह से आपकी सेहत पर कैसा असर होता है और ये क्यों जरूरी है? साथ ही जानेंगे कि आप डाइट में किन फूड्स को शामिल कर सकते हैं जिससे इनोसिटोल की कमी दूर हो। तो जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में Nutritionist Pooja Makhija से।
इनोसिटोल क्या है-What is Inositol in Hindi
पूजा मखीजा बताती हैं कि इनोसिटोल देखने में चीनी जैसा लगता है, लेकिन इंसुलिन और मस्तिष्क के रसायनों के लिए एक संदेशवाहक की तरह काम करता है। असल में इनोसिटोल इंसुलिन सिग्नलिंग को बेहतर बनाने में मददगार है जिससे शरीर में शुगर पचाने की गति सही रहती है और उन समस्याओं से बचाव होता है जो कि इंसुलिन इनसेंसिटिविटी की वजह से होता है। इसकी वजह से शरीर में कई सारी समस्याएं हो सकती हैं।
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इनोसिटोल की कमी से कौन सी समस्याएं हो सकती हैं-Inositol deficiency symptoms
इनोसिटोल की कमी से पीसीओएस की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा आपके शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन का फंक्शन बिगड़ सकता है जिससे आपको डिप्रेशन, मूड स्विंग्स और कब्ज जैसी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं इसकी कमी से पीरियड्स, मेनोपॉज और टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी प्रभावित हो सकता है।
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फर्टिलिटी के लिए जरूरी है इनोसिटोल
पूजा मखीजा ने अपने पोस्ट में शेयर किया है कि कैसे फर्टिलिटी के लिए इनोसिटोल जरूरी है । जैसे कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में ये इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाकर इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं ये ओव्यूलेशन और मासिक धर्म की नियमितता में सुधार के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा प्रजनन क्षमता में बढ़ाने और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलित रखने में भी ये मददगार है। इतना ही नहीं महिलाओं में ये अंडों की गुणवत्ता में सुधार करके प्रेग्नेंसी को आसान बनाने में मददगार है। इसके अलावा इनोसिटोल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार है।
एंग्जायटी और पैनिक डिसऑर्डर से बचाव में मददगार
इनोसिटोल, सेरोटोनिन के प्रोडक्शन में मददगार है जिससे चिंता, अवसाद और यहां तक कि पैनिक डिसऑर्डर में भी कमी आती है। इसके अलावा ये आपकी नींद की साइकिल को भी बेहतर बनाने में मददगार है। इतना ही नहीं जो लोग मूड स्विंग्स के शिकार होते हैं उनके लिए भी इनोसिटोल बेहद मददगार है। ये मूड स्विंग्स को कम करने के साथ डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
कितनी मात्रा में चाहिए शरीर को इनोसिटोल?
पूजा मखीजा बताती हैं कि लगभग 1 ग्राम, 1 दिन में चाहिए होता है। हालांकि, जिन लोगों को पीसीओडी की समस्या है या फिर जिन लोगों को शुगर मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्या है उन्हें 2-4 ग्राम इनोसिटोल चाहिए होता है।
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नेचुरली इनोसिटोल कैसे बढ़ाएं- How to produce Inositol naturally?
नेचुरली इनोसिटोल बढ़ाने के लिए आप अपनी डाइट में खट्टे फल, खरबूजा, बीन्स, मेवे, साबुत अनाजों को शामिल कर सकते हैं। हालांकि, अगर शरीर में इसकी कमी ज्यादा हो तो आपको डॉक्टर के बताए अनुसार सप्लीमेंट लेने की जरूरत पड़ सकती है।
तो इनोसिटोल की कमी से बचें और अगर आपको सेहत से जुड़ी ये समस्याएं हैं तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए और इसकी कमी से बचना चाहिए।
FAQ
इनोसिटोल की कमी से क्या आपको सिर दर्द हो सकता है?
इनोसिटोल की कमी से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि सिरदर्द और चक्कर आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा शुगर सही से पच न पाने की वजह से भी आपको सिर दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा आप चक्कर आना और पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।क्या इनोसिटोल की कमी ब्रेन को प्रभावित करती है?
NIH के शोध में बताया गया है कि इनोसिटोल की कमी ब्रेन को प्रभावित करता है। दरअसल, अवसाद से ग्रस्त लोगों के मस्तिष्क में इनोसिटोल का स्तर कम होता है। इतना ही नहीं सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन भी इसकी कमी से असंतुलित हो जाते हैं।प्रेग्नेंसी के लिए भी इनोसिटोल जरूरी है?
इनोसिटोल एग क्वालिटी को बेहतर बनाने के साथ पीरियड्स को संतुलित करके प्रेग्नेंसी में मदद कर सकता है। इतना ही नहीं प्रेग्नेंसी के दौरान भी इनोसिटोल जरूरी है जो कि बच्चे में न्यूरल ट्यूब दोषों के जोखिम को कम कर सकता है।
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Current Version
Sep 24, 2025 14:43 IST
Published By : Pallavi Kumari