How To Manage PCOS And PCOD With Lifestyle Changes In Hindi: अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण आज के समय में ज्यादातर महिलाओं और लड़कियां में हार्मोन्स के असंतुलित होने के कारण होने वाली पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome - PCOS) और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (Polycystic Ovarian Disease - PCOD) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे महिलाओं की इमोशनल हेल्थ, फिजिकल हेल्थ और फर्टिलिटी प्रभावित भी होती है। इनके कारण अक्सर महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, बालों को झड़ने, चेहरे पर मुंहासे, फर्टिलिटी में परेशानी और वजन बढ़ने जैसी कई समस्याएं होती हैं। ऐसे में पीसीओएस और पीसीओडी को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों को किया जा सकता है। ऐसे में आइए भुवनेश्वर के बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ की फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. रोहानी नायक (Dr Rohani Nayak, Fertility Specialist, Birla Fertility & IVF, Bhubaneswar) से जानें PCOS और PCOD को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में किन बदलावों को करें?
PCOS और PCOD को मैनेज कैसे करें? - How To Manage PCOS and PCOD?
डॉ. रोहानी नायक के अनुसार, पीसीओएस और पीसीओडी की समस्या शरीर में हार्मोन्स के असंतुलित होने के कारण होती है, खासकर ये समस्या शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने और एंड्रोजन (male hormones) के कारण होती है। इसके कारण पीरियड्स के अनियमित होने, वजन बढ़ने, एक्ने और फर्टिलिटी के प्रभावित होने की समस्या होती है। ऐसे में इन समस्याओं से राहत के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों को किया जा सकता है।
बैलेंस डाइट लें
पीसीओएस और पीसीओडी को मैनेज करने के लिए आप क्या खाते हैं, यह अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए प्रोसेस्ड और शुगरी फूड्स का सेवन कम करने से इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। पीसीओएस को बैलेंस करने के लिए ज्यादा से ज्यादा साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फल, हरी सब्जियों और हेल्दी फैट्स को शामिल करने की कोशिश करें।
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इसके अलावा, पीसीओएस और पीसीओडी को बैलेंस रखने के लिए नियमित अंतराल के साथ खाना खाएं, खाने के बीच लंबे गैप या लंबे समय तक खाली पेट न रहें और कुछ न कुछ खाते रहें। इससे शरीर में एनर्जी बनाए रखने और मूड स्विंग्स को बैलेंस रखने में मदद मिलती है।
नियमित एक्सरसाइज करें
पीसीओएस और पीसीओडी को मैनेज करने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना जरूरी है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करना न सिर्फ वजन कम करने के लिए जरूरी है बल्कि इससे हार्मोन्स को नियंत्रित करने और स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। इसके लिए नियमित रूप से योग, वॉक, डांस और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज को करें, जिससे इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने और रेगुलर साइकिल को बनाए रखने में मदद मिलती है।
डॉ. रोहानी के अनुसार, एक्सरसाइज के लिए रोज जिम जाना जरूरी नहीं है। इसके लिए नियमित रूप से 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटीज भी बड़ा बदलाव ला सकती है।
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स्ट्रेस कम करें
अधिक स्ट्रेस में रहना और खराब नींद लेना पीसीओएस के लक्षणों को बदतर बना सकते हैं। ऐसे में मेडिटेशन, जर्नलिंग और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी सिंपल डेली एक्टिविटीज तंत्रिका तंत्र को शांत कर, कोर्टिसोल के स्तर को कम कर सकती हैं, जिससे स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है।
अच्छी नींद लें
खराब नींद के कारण महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ावा दे सकती है। ऐसे में कोर्टिसोल के स्तर को बैलेंस करने के लिए नियमित समय से हर रात 7-8 घंटे की भरपूर नींद लें। इसके अलावा, मेडिटेशन, जर्नलिंग और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटीज को करने से भी ब्रेन को शांत कर नींद को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
क्या छोटे बदलाव पीसीओएस को मैनेज करने में सहायक है? - Does Small Changes Help To Manage PCOS?
डॉ. रोहानी नायक के अनुसार, हां, पीसीओएस या पीसीओडी के साथ रहना आसान नहीं है, लेकिन इनको मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए बैलेंस डाइट लेने, फिजिकल एक्टिविटिज करने, ब्रेन को रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज करने और हार्मोन्स को नियंत्रित रखने से पीसीओएस के लक्षणों को कम करने और फर्टिलिटी को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
पीसीओएस और पीसीओडी जैसी समस्याओं से राहत के लिए महिलाओं को स्ट्रेस कम करने, मेडिटेशन, नियमित एक्सरसाइज, बैलेंस डाइट और अच्छी नींद लेने जैसे कार्यों को करें। इससे स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में भी मदद मिलती है। ध्यान रहे, पीसीओएस या पीसीओडी के अधिक लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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