बीमारी और डाइट: खान-पान में बदलाव करके रिद्धि शर्मा ने PCOD को किया कंट्रोल, 13 साल की उम्र में हुई थीं शिकार

रिधि को 13 साल की उम्र में पीसीओडी हुआ था। इसके बाद उन्होंने डाइट और लाइफस्टाइल में चेंज करके पीसीओडी कंट्रोल किया है। जानें उन्हीं से पूरी कहानी।   
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बीमारी और डाइट: खान-पान में बदलाव करके रिद्धि शर्मा ने PCOD को किया कंट्रोल, 13 साल की उम्र में हुई थीं शिकार


What Happens If a Girl Has PCOD: पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। खानपान की खराब आदतों या अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं में यह समस्या हो सकती है। ऐसे में शरीर में हार्मोन्स का संतुलन खराब होने लगता है। इस स्थिति में गर्भाशय में एग्स प्राकृतिक रूप से विकसित नहीं हो पाते और पीरियड्स में अनियमितता आने लगती है। इसे कंट्रोल न किया जाए, तो यह आगे चलकर कंसीव न कर पाने का कारण बन सकती है। यह समस्या अधिकतर 25 की उम्र के बाद महिलाओं में देखी जाती है। लेकिन खानपान में बदलाव के कारण अब छोटी उम्र की लड़कियों को भी यह समस्या होने लगी है। इसी तरह की कहानी है 23 साल की फिटनेस इंफ्लूएंसर रिद्धि शर्मा की। रिधि को 13 साल की छोटी उम्र में भी पीसीओडी हो गया था। जहां बच्चों को इस बीमारी के बारे में जानकारी तक नहीं होती, वहीं रिधि ने खुद 90 प्रतिशत तक पीसीओडी को कंट्रोल कर लिया है। ओनलीमायहेल्थ के साथ हुई खास बातचीत में रिद्धि ने अपनी पूरी जर्नी को शेयर किया है। इसे हम अपनी स्पेशल सीरीज ‘बीमारी और डाइट’ के जरिए आपको बताएंगे कि कैसे रिद्धि ने डाइट और लाइफस्टाइल में कंट्रोल करके बीमारी पर जीत पाई है। इस लेख में हम रिद्धि की कहानी को विस्तार से समझेंगे। आइए रिद्धि से ही जानें पीसीओडी कंट्रोल करने के लिए उन्होंने किस तरह खुद पर काम किया है। 

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आपको पीसीओडी से ग्रस्त होने के बारे में कब पता चला? 

मुझे 10 साल पहले पीसीओडी हुआ था। उस समय मेरे पीरियड्स इर्रेगुलर रहते थे। साथ ही, मेरा वजन लगातार बढ़ता जा रहा था। पीरियड्स से जुड़ी परेशानियां बढ़ने पर मम्मी मुझे गायनेकोलॉजिस्ट के पास लेकर गई। रिपोर्ट में मुझे पीसीओडी आया था। पीरियड्स रेगुलर करने के लिए डॉक्टर ने मुझे बर्थ कंट्रोल पिल्स देना शुरू किया। तभी से मैंने 4 से 5 साल तक लगातार बर्थ कंट्रोल पिल्स ही खाई थी। 

पीसीओडी के दौरान आपको क्या-क्या परेशानियां हो रही थी? 

बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से केवल मेरे पीरियड्स ही रेगुलर हुए थे। लेकिन अन्य समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही थीं। किसी भी तरह से मुझे आराम नहीं मिल पा रहा था। मेरा वजन लगातार बढ़ रहा था। मुझे हेयर फॉल ज्यादा रहता है, एक्ने और पिंपल्स से भी मैं परेशान रहती थी। इन सभी परेशानियों के कारण मुझे स्ट्रेस रहने लगा। स्ट्रेस की वजह से मैं हर वक्त कमजोरी, थकावट और सुस्ती महसूस करती थी। 

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आपने खुद पर काम करना कब शुरू किया? 

करीब पांच साल तक लगातार बर्थ कंट्रोल लेने के बाद मैंने इसकी आदत छोड़ दी। लेकिन इसके कारण मेरी परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ गई। बर्थ कंट्रोल पिल्स छोड़ने से मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ा। मैं पहले बहुत ज्यादा एंग्जायटी और स्ट्रेस में रहने लगी। कोविड के दौरान मैं रोज रिसर्च करती थी कि पीसीओडी को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं। काफी रिसर्च के बाद मुझे पता चला कि डाइट और लाइफस्टाइल में चेंज करके इसे कंट्रोल कर सकते हैं। डाइट से मुझे पीसीओडी की समस्याएं कंट्रोल करने में मदद मिलने लगी। कोविड में मैने एक्सरसाइज करना भी शुरू कर दिया। वर्कआउट शुरू करने के तीन महिने बाद मेरा वजन घटना शुरू हुआ। मुझे मेरी फैमिली ने लाइफस्टाइल चेंज करने के लिए मोटिवेट किया। मेरी फैमिली में सभी लोग वर्कआउट करते थे, जहां से मुझे एक्सरसाइज करने का मोटिवेशन किया। इसके साथ ही, मुझे हेल्दी खाने और डाइट फॉलो करने में मदद मिली।

हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करने से आपको क्या फर्क दिखने शुरू हुए? 

मैं जो कुछ भी खाती थी उसे नोट करती थी और अगले दिन बॉडी पर उसका असर देखती थी। इससे मुझे पता चला कि मेरी बॉडी को क्या चीज सूट करती हैं और क्या नहीं। लगातार डाइट फॉलो करने और एक्सरसाइज करने से मुझे 3 महिने में फर्क नजर आने लगा। मेरा वजन तेजी से घटने लगा और करीब 9 महिने के अंदर मैने काफी वजन घटा लिया। मेरे पीरियड्स नॉर्मल हो गए। स्ट्रेस कंट्रोल करने के लिए मैने रोज योगा और मेडिटेशन करने की आदत बनाई। इससे मैं ज्यादा एक्टिव और फिट महसूस करने लगी। मुझे स्किन प्रॉब्लम्स जो रहती थी, वो भी काफी ज्यादा कंट्रोल हुई हैं। 

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पीसीओडी कंट्रोल करने के लिए आपने किस तरह डाइट में बदलाव किये? 

  • सबसे पहले रिफाइंड प्रोडक्ट्स जैसे मैदा से बनी चीजें, पैकेज्ड फूड और चीनी जैसी चीजें पूरी तरह से छोड़ दी। इसके बाद बाहर का जंक फूड भी बिल्कुल अवॉइड कर दिया। 
  • सुबह एक गिलास गर्म पानी पीकर दिन की शुरुआत करने की आदत बनाई। रात में मैं दालचीनी, सौंफ या जीरा पानी में भिगोकर रख देती थी। फिर सुबह इसे उबालकर इसका सेवन करती थी। 
  • कुछ समय बाद गर्म पानी में हल्दी, काली मिर्च और अदरक डालकर इसका सेवन करना शुरू किया। इससे पाचन क्रिया ठीक हुई और बॉडी डिटॉक्स करने में मदद मिली।  
  • अपनी डाइट में दो टाइम फ्रूट्स लेना शुरू किया। पहला सुबह खाली पेट फिर शाम को चाय की जगह फल खाना शुरू किया। 
  • ज्यादा से ज्यादा सब्जियों को डाइट में शामिल किया। मैं लंच और डिनर से पहले एक बाउल सलाद खाया करती थी। 
  • नाश्ते में भीगे हुए बादाम और अखरोट खाने के बाद एक कटोरी फल खाना शुरू किया। 
  • लंच में मैं प्रोटीन लेती थी। इसके लिए मैं दाल या बेसन पनीर का चीला खाती थी। साथ ही, एक बाउल सलाद का सेवन भी रोज किया।  
  • डिनर मैं सोने से 4 घंटे पहले कर लेती थी। इसके साथ ही डिनर में भी सलाद पहले लिया। इसके बाद ही अपनी मील लिया। 
  • पीसीओडी में दूध नुकसान करता है इसलिए दूध का सेवन करना छोड़ दिया। इसकी जगह दूध से बने पदार्थ जैसे दही और चीज लिया। 
  • ग्लूटन सेंसिटिवीटी की वजह से आटा और मैदा खाना छोड़ दिया। इसकी जगह रागी और जौ के आटे की रोटी खाना शुरू किया। 

इस तरह से रिद्धि ने नौ महिने के अंदर पीसीओडी से जुड़ी समस्याओं को कंट्रोल किया है। इनकी कहानी उन हजारों लड़कियों के लिए मिसाल कायम करती हैं, जो पीसीओडी को कंट्रोल करने पर लगातार मेहनत कर रही हैं। रिद्धि की कहानी से हमने जाना कि अच्छी डाइट कैसे आपको बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ने में भी मदद कर सकती है। इस सीरीज में हम ऐसी ही प्रेरणात्मक कहानियां आपसे साझा कर रहे हैं। जिससे आपको हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल बनाने में मदद मिल सके।

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