32 साल के रवि की जिंदगी बिल्कुल भी आम लोगों की तरह नहीं गुजरी थी। उसकी परवरिश उसकी सिंगल मदर ने की थी। लेकिन, मां के साथ भी रवि के रिश्ते अच्छे नहीं थे। दरअसल, ऐसा नहीं था कि रवि की मां उसे प्यार नहीं करती थी। पर, रवि की मां खुद का मेंटल इलनेस का शिकार थीं। उन्हें अक्सर दौरे पड़ते थे। रवि अपनी मां की इन्हीं स्थितियों को देखकर बड़ा हुआ था। शायद उसकी हालत इतनी नहीं बिगड़ती, जितनी कि भविष्य में खराब हो गई थी। असल में, रवि की मां अक्सर उसे टॉर्चर करती थी, फिजीकल और इमोशनल एब्यूज करती थी। कभी-कभी उसकी मां उसके साथ अच्छी भी रहती थी। इस तरह के एन्वायरमेंट में बड़े हुए रवि के लिए इन सब चीजों को समझना या मैनेज करना आसान नहीं था। हालांकि, टीनेज के दौरान उसे किसी तरह की मेंटल इलनेस नहीं थी। मगर बदलते वक्त के साथ-साथ उसमें मेंटल इलनेस के लक्षण दिखने लगे। जब वह मेरे पास आया, तब तक उसके अंदर चार अलग-अलग किस्म की पर्सनालिटीज सर्वाइव कर रही थी। दरअसल, रवि डिसोसिएटिव डिसऑर्डर का शिकार हो चुका था।
यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जो फिलहाल रवि का इलाज कर रही हैं। ट्रीटमेंट के दौरान उन्हें पता चला कि रवि डिसोसिएटिव डिसऑर्डर का शिकार है। इस बीमारी को एक समय में हिस्टीरिया के नाम से जाना जाता था।
ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में बता रहे हैं। इसके सीरीज में हम आपको बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बताते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको रवि की केस स्टडी की मदद से ‘हिस्टीरिया’ के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है हिस्टीरिया (What Is Hysteria)
साइकिएट्रिस्ट जतिन उक्रानी की मानें, ‘हिस्टीरिया को आज हम कंवर्जन या डिसोसिएटिव डिसऑर्डर के नाम से जानते हैं। इस बीमारी के तहत मरीज के अंदर बहुत बड़ा बदलाव होता है और यह बिल्कुल नाटकीय लगता है। इसमें व्यक्ति बिहेवियर बदल जाता है, उसके साथ हुई घटना के बारे में वह भूल सकता है, अचानक मरीज की जिंदगी से कोई एक क्षण गायब हो सकता है या फिर वह अपनी पहचान तक भूल सकता है। आपको बता दें कि मरीज यह सब जानबूझकर नहीं करता है, बल्कि यह इस अंजाने में उसके साथ होता चला जाता है।’
इसे भी पढ़ें: सोशल फोबिया क्या है और क्यों होता है ? 30 वर्षीय जगदीश की केस स्टडी से समझें
हिस्टीरिया के लक्षण (Symptoms Of Hysteria)
‘अगर हम रवि के केस की बात करें, तो वह चार अलग-अलग पर्सनालिटीज की तरह बिहेव करता था। एक वह खुद, जिसमें वह रवि बना होता है, दूसरा आदी, जो कि एक बच्चे की तरह पेश आता था। तीसरा, राजन, जो गुस्सैल पर्सनालिटी का था और एक डरा-सहमा व्यक्तित्व बृज नाम का था।’ सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी के अनुसार, अगर हिस्टीरिया के अन्य लक्षणों की बात करें, तो इसमें निम्न चीजें शामिल हैं-
- मरीज अक्सर परेशान रहता है।
- वह अलग-अलग तरीके से पेश आता है।
- एक समय में एक पर्सानालिटी बनता है, तो दूसरे समय में दूसरी।
- अपने सिर और हाथ को अलग-अलग तरीके से मूव करना।
- किसी ट्रॉमा में अपनी याददाश्त खो देना।
- इसके अलावा, मरीज के सोने के पैटर्न में बदलना हो जाता है, उसकी भूख कम हो जाती है और कई बार उसे आत्महत्या की चाह होने लगती है।
हिस्टीरिया का कारण (Causes Of Hysteria)
अगर रवि के केस की बात करें, तो उसमें पता चलता है कि रवि का बचपन बहुत ही खतरनाक था। उसने अपनी मां को मेंटल इलनेस से गुजरते देखा था। उसकी मां सिंगल पेरेंट थीं, तो उनकी लाइफ के चैलेंजेस भी खुद देखे थे। इसके अलावा, कई बार उसकी मां उसके साथ गलत बर्ताव करती थी, फिजीकल-इमोशनल तरीके से एब्यूज करती थीं।’ लेकिन, अगर हिस्टीरिया के अन्य कारणों की बात करें, तो जतिन उक्रानी के अनुसार निम्न बातें हो सकती हैं, ‘हिस्टीरिया के पीछे कई दुखद घटना जिम्मेदार होती है। यह घटना किसी अपने को खोना हो सकता है, अपनी नजरों से कोई बुरा हादसा देखना हो सकता है या रिलेशनशिप में ब्रेकअप आदि भी हो सकता है। इसके अलावा, डॉमेस्टिक वायलेंस यानी घरेलू हिंसा को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।’
इसे भी पढ़ें: ऑटिज्म क्या है और क्यों होता है? 8 वर्षीय सोनू की कहानी के जरिए समझें बीमारी को
हिस्टीरिया का ट्रीटमेंट (Treatment Of Hysteria)
रवि के मामले में डॉक्टर ने साइकोथेरेपी पर फोकस किया था। थेरेपी के दौरान कोशिश की गई थी कि वह अपनी स्थिति से जागरूक हो सके। साथ ही उन बातों पर विशेष जोर दिया जा सके, जब मरीज में अलग-अलग पर्सनालिटीज आती थीं। उन ट्रिगर प्वाइंट को जानने की कोशिश की जाती थी। असल में, इस ट्रीटमेंट का फोकस यही थी कि रवि का अपनी लाइफ पर कंट्रोल हो सके। वह किसी प्वाइंट से ट्रिगर न हो और एंग्जाइटी या डिप्रेशन की वजह को जानकर अपनी समस्या को कम कर सके। वहीं, जतिन उक्रानी हिस्टीरिया के मरीजों के ट्टरीटमेंट की बात करते हुए कहते हैं, ‘हिस्टीरिया के मरीजों को एंटीडिप्रेसेंट दवाईयां दी जाती हैं और काउंसलिंग से उनकी मदद की जाती है। इसके अलावा, मरीज की हालत देखते हुए ट्रीटमेंट को आगे बढ़ाया जाता है।’
हिस्टीरिया के मरीजों की देखभाल कैसे करें (Hot To Take Care Of Patient With Hysteria)
- हिस्टीरिया के मरीजों की केयर करने से पहले बहुत जरूरी है कि घर के लोगों को यह पता हो कि यह किस तरह की मेंटल इलनेस है। कहने का मतलब है कि किसी की मदद करने से पहले आप खुद को अवेयर करें।
- मरीज की जरूरत को समझें। वह आपसे क्या कहना चाहता है, उसके मन में क्या चल रहा है, इस तरह की बातों को समझने की कोशिश करें।
- हिस्टीरिया के मरीजों के साथ कभी भी जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा, हिस्टीरिया के मरीज के हर व्यक्तितव के बारे में जानना बहुत जरूरी है उसे हर एक के साथ प्यार से पेश आना चाहिए।
- हिस्टीरिया का इलाज कभी भी खुद से करने की कोशिश करें और न ही इसे भूत-पिशाच से संबंधित बीमारी समझें। व्यक्ति में हिस्टीरिया के लक्षण दिखते ही, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी दी हुई सलाह पर अमल करें।
- हिस्टीरिया के मरीज की मदद करने के अलावा, आप अपनी भी केयर करें। असल में, जो लोग मेंटल इलनेस से पीड़ित व्यक्ति की मदद करते हैं, वे खुद कई बार डिप्रेशन या एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं। आपके साथ ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप खुद की केयर करें। समय-समय पर घर से बाहर निकलें, घूमने जाएं और दोस्तों के साथ फन एक्टिविटीज करें।
अगर आपके घर में भी कोई हिस्टीरिया का मरीज है, तो उसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘हिस्टीरिया’ से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गया है, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में “Hysteria” से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
image credit: freepik