
How To Identify Coexisting Symptoms Of Depression And Anxiety In Hindi: डिप्रेशन और एंग्जाइटी यानी अवसाद और चिंता। दोनों ही अलग तरह की स्थिति है। जहां एक ओर, डिप्रेशन होने पर व्यक्ति डल महसूस करता है, सुस्त रहता है और उदासीनता से भरा रहता है। जबकि, चिंता होने पर व्यक्ति में घबराहट और डर की भावनाएं शामिल होती हैं। आमतौर पर इन दोनों मानसिक स्थिति के लक्षण एक-दूसरे से मिलते जुलते हो सकते हैं। ऐसे में कोई भी आसना से इनके लक्षणों को लेकर कंफ्यूज हो सकता है और उसके लिए यह समझना मुश्किल हो सकता है कि उसे डिप्रेशन है, एंग्जाइटी है या दोनों है। 2015 में वर्ल्ड वाइड सर्वेक्षण हुआ था, जिसमें यह बात पता चली थी कि 41.6 प्रतिशत लोगों ने 12 महीने के अंदर डिप्रेशन और एंग्जाइटी, दोनों एक-साथ होने की बात स्वीकार की थी। इसका मतलब यह है कि एक ही समय में दोनों स्थितियां हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप इसके लक्षणों को अच्छी तरह समझें और इससे निपटने का तरीके केबारे में जानें। सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी से इस संबंध में विस्तार से जानिए।
डिप्रेशन-एंग्जाइटी के संभावित लक्षण
अवसाद के लिएः जैसा कि थोड़ी देर पहले ही जिक्र गया है कि डिप्रेशन होने पर व्यक्ति डल, उदास और निराशा से घिर जाता है। इस तरह की भावना जब व्यक्ति में 2 सप्ताह से ज्यादा समय तक रहती है, तब यह अवसाद का रूप लेती है। इसके अलावा, डिप्रेशन के कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं, जैसे किसी चीज में मन न लगना, चिड़चिड़ापन होना, बेचैनी महसूस करना, ऊर्जा की कमी होना, नींद न आने की समस्या होना, हमेशा थकान महसूस करना, भूख न लगना और वजन में भी परिवर्तन होना, कंसंट्रेंट करने में दिक्कत होना, डिसीजन लेने में प्रॉब्लम होना आदि।
चिंता के लिएः चिंता यानी एंग्जाइटी होने की स्थिति में व्यक्ति डर, घबराहट महससू करता है। इसके अलावा व्यक्ति काफी ज्यादा तनाव में रहता है। असल में वह किसी स्थिति के साथ किस तरह डील करता है, इसी के आधार पर उसकी चिंता का स्तर बढ़ता या घटता है। इसके अलावा, मरीज में चिड़चिड़ापन, शारीरिक बेचैनी, नींद की प्रॉब्लम, सिरदर्द, मांसपेशियोंमें तनाव, मतली और दस्त जैसे शारीरिक लक्षण नजर आ सकते हैं।
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डिप्रेशन-एंग्जाइटी के साथ दिखने वाले लक्षणः जरूरी नहीं है कि हर मरजी में डिप्रेशन और एंग्जाइटी के लक्षण साथ-साथ दिखे। यह पूरी तरह व्यक्ति की मानसिक स्थिति, परिवेश और आसपास के माहौल पर निर्भर करता है। जहां तक एक-साथ दिख रहे लक्षणों की बात है, तो इसमें नींद के पैटर्न में बदलाव, एनर्जी लेव कम होना, चिड़चिड़ापन का बढ़ना, फोकस करने में प्रॉब्लम, याददाश्त कमजोर होना, पेट में दर्द या अन्य पेट संबंधी समस्या होना।
कैसे करें मैनेज
कुछ मन का करेंः यह सच है कि डिप्रेशन और एंग्जाइटी होने की स्थिति में कुछ भी करने का मन नहीं करता। इसके बावजूद, ऐसा कुछ करने की कोशिश करें, जिससे आपको अच्छा महसूस होता है। आप चाहें, तो अपनी हॉबीज को स्पेस दे सकते हैं, कहीं ट्रैवल पर जा सकते हैं या फिर पेंटिंग, कुकिंग, गार्डनिंग जैसी चीजें कर सकते हैं।
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लाइफस्टाइल को बैलेंस रखेंः कई बार काम का बढ़ता दबाव भी डिप्रेशन और एंग्जाइटी की वजह बन सकता है। अगर आपके साथ भी ऐसा ही है, तो इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी लाइफस्टाइल को बैलेंस करें। काम का टाइम कम करें और अपने लिए समय निकालें।
रात को अच्छी नींद लेंः घर-दफ्तर संभालते हुए कई बार डिप्रेशन और एंग्जाइटी एक-साथ होने लगती है। इससे नींद भी डिस्टर्ब होती है। ऐसी स्थिति आपके साथ न आए, इसके लिए जरूरी है कि अच्छी नींद लें। कई बार डिप्रेशन और एंग्जाइटी हो जाए, तो भी आप अच्छी नींद लेने की कोशिश करें। इससे आपकी स्थिति में सुधार हो सकता है।
करीबियों से बात करेंः आप चाहे कितने ही बिजी क्यों न हों, अपने करीबियों से मिलने का समय जरूर निकालें। खासकर, अगर आपको डिप्रेशना और एंग्जाइटी के लक्षण एक-साथ दिखाई दे, तब तो करीबियों की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए जब भी समय हो, उनके पास जाएं, उनसे मुलाकात करें और समय को एंज्वॉय करें।
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