Autoimmune Liver Disease in Hindi: हम जो भी खाते हैं, उसका असर हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे हमारी लिवर हेल्थ (Liver Health) भी प्रभावित होती है। दरअसल, खराब खान-पान यानी अधिक फास्ट फूड्स, तला-भुना या कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का सेवन करने से लिवर हेल्थ खराब हो सकती है। अनहेल्दी खाना या ड्रिंक, लिवर के रोगों का कारण भी बन सकता है। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद, लिवर पर हमला करने लेती है। इससे ऑटोइम्यून लिवर रोग होने लगते हैं। इस स्थिति में लिवर में सूजन पैदा हो सकती है। अगर इस कंडीशन का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेलियर का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, यह जानलेवा भी हो सकता है। आइए, इस लेख में फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के डॉक्टर रमन कुमार से जानते हैं कि ऑटोइम्यून लिवर डिजीज के लक्षण, कारण और इलाज क्या है-
ऑटोइम्यून लिवर डिजीज क्या होते हैं?- What is Autoimmune Liver Disease in Hindi
ऑटोइम्यून लिवर डिजीज तब होते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर पर हमला करती है। इससे लिवर में सूजन हो जाती है। ऑटोइम्यून लिवर डिजीज, लिवर में सूजन का कारण भी बन सकते हैं। इतना ही नहीं, इन रोगों की वजह से लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है। ये रोग, लिवर फेलियर का कारण बन सकते हैं। इसलिए ऑटोइम्यून लिवर रोगों का समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी होता है।
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ऑटोइम्यून लिवर डिजीज के लक्षण- Autoimmune Liver Disease Symptoms
आपको बता दें कि ऑटोइम्यून लिवर डिजीज के लक्षण, जल्दी से नजर नहीं आते हैं। जब स्थिति बेहद गंभीर होने लगती है, तब इसके लक्षणों का अनुभव होता है। यानी जब शरीर में ऑटोइम्यून लिवर डिजीज की शुरुआत होती है, तो इसके लक्षण महसूस नहीं होते हैं। हालांकि, आपको कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है। इनमें शामिल हैं-
- थकान और मतली
- पेट दर्द
- जोड़ों में दर्द
- कमजोरी और थकान
- ड्राई स्किन और खुजली
- बार-बार मुंह सूखना
- कोलेस्ट्रॉल बढ़ना
- हड्डियों से जुड़ी समस्याएं होना
- पित्त नलिकाओं में सूजन या घाव
ऑटोइम्यून लिवर रोग, लिवर में सूजन या घाव का कारण बन सकते हैं। ये रोग, लिवर, पित्ताशय या पित्त नली के कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं। इसलिए अगर आपको इन लक्षणों का अनुभव हो, तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
ऑटोइम्यून लिवर डिजीज के कारण- Autoimmune Liver Disease Causes
ऑटोइम्यून लिवर रोग तब होते हैं, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, लिवर पर हमला करने लगती है। जबकि प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर वायरस, बैक्टीरिया या किसी बीमारी से लड़ने में मदद करती है। इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली, लिवर पर हमला कर देती है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली, लंबे समय तक लिवर पर हमला करती है, तो इससे लिवर में सूजन हो सकती है। यह, लिवर की कोशिकाओं को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। आपको बता दें कि ऑटोइम्यून बीमारी वाले लोगों में, ऑटोइम्यून लिवर रोग होने का खतरा अधिक रहता है।
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ऑटोइम्यून लिवर डिजीज का इलाज- Autoimmune Liver Disease Treatment
ऑटोइम्यून लिवर रोगों का पता लगाने के लिए सबसे पहले डॉक्टर ब्लड टेस्ट करवाते हैं। हालांकि, इसके लक्षण जल्दी से नजर नहीं आते हैं। कई मरीजों में इसके लक्षण दिखने तब शुरू होते हैं, जब बीमारी लिवर सिरोसिस या फेलियर में बदल जाती है। ऐसे में डॉक्टर कुछ सामान्य लक्षणों के आधार पर टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। ऑटोइम्यून लिवर डिजीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, अगर लिवर सिरोसिस या लिवर फेलियर हो जाता है, तो इस स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।