लिवर की समस्या होने पर आपको आहार को पचाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लिवर पाचन इंजाइम्स को बनाने और पाचन क्रिया को बेहतर करने का काम करते हैं। लिवर की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। लिवर में सिरोसिसत, फैटी लिवर, फाइब्रोसिस और लिवर फेलियर की समस्या हो सकती है। इन दौरान आपको कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। ऐसे में आंखों का पीलापन, खाना खाते ही उल्टी और अपच की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लिवर की अन्य रोग की तरह ही ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस भी लिवर को डैमेज करने का काम करता है। इसमें व्यक्ति के शरीर का इम्यून सिस्टम लिवर को प्रभावित करती है, इससे लिवर में सूजन और जलन हो सकती है। यदि इस रोग का समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे लिवर पर निशान हो सकते हैं। इस गंभीर स्थिति आपके लिवर फेलियर का वजह बन सकती है। इस लेख में आगे जानते हैं कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के कारण और लक्षण क्या हो सकते हैं।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के क्या कारण हो सकते हैं?
नारायणा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुदीप सिंह सचदेव के अनुसार ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के सही कारणों का पता नहीं लगाया गया है। स्टडी से पता चलता है कि जीन्स व्यक्ति के शरीर में ऑटोइम्यून रोग होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। ऐसे लोगों में इंवॉयरोमेंटल फैक्टर (environmental factor) के कारण ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं, यही प्रतिक्रिया इम्यून प्रणाली के द्वारा लिवर को प्रभावित कर सकती है। फिलहाल, विशेषज्ञ इन इनवॉयरोमेंटल फैक्टर पर आगे की रिचर्स कर रहे हैं। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के इन कारणों को ट्रिगर्स करने वाले कारकों में कुछ वायरस और दवाओं को भी शामिल किया जा सकता है। पहले से इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाएं लिवर इंजरी का कारण बन सकती है। ऐसे में आप डॉक्टर से सलाह लेकर इन दवाओं का सेवन बंद कर सकते हैं या इन दवाओं को बदलने के लिए कह सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के दो प्रकार होते हैं।
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ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के क्या लक्षण होते हैं?
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को बीमारी के लक्षण बेहद ही हल्के महसूस हो सकते हैं। आगे जानते हैं कि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हो सकते हैं।
- व्यक्ति के पेट में तकलीफ होना
- व्यक्ति की आंखों का रंग पीला होना
- स्किन का रंग पीला पड़ना
- लिवर में बढ़ोतरी
- जोड़ों में दर्द महसूस होना
- हमेशा थकान बनी रहना
- स्किन में लाल चकत्ते होना
- पीरियड्स में बदलाव होना आदि।
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ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के इलाज में डॉक्टर सबसे पहले लिवर की सूजन कम करने का प्रयास करते हैं। साथ ही, ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं को कम करने का प्रयास करते हैं। इसमें डॉक्टर मरीज को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स की हाई खुराक दे सकते हैं। लेकिन, इस दवा के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ऐसे में आप डॉक्टर रोगी स्थिति के आधार पर सही इलाज करते हैं।