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OCD क्या है और क्यों होता है? प्रिया की कहानी के जरिए डॉक्टर से समझें इस बीमारी को

what is ocd explained in hindi: OCD होने पर मरीज को एक ही जैसा काम करने की लत लग जाती है, जो उसकी रोजमर्रा की लाइफ को भी प्रभावित करता है।
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OCD क्या है और क्यों होता है? प्रिया की कहानी के जरिए डॉक्टर से समझें इस बीमारी को


32 वर्षीय प्रिया पटेल ओसीडी की मरीज है। टीनेज की उम्र से उसमें इस तरह के लक्षण दिखाई देने लगे थे। उसे अक्सर यह लगता था, जैसे जर्म्स उसे घेरे रहते हैं। हर समय खुद को साफ रखने की एक अजीब लग उसे लग चुकी थी। कई सालों तक यह सब चलता रहा। हद तो तब हो गई, जब उसे बार-बार अपने हाथ धोने की अलग ही सनक दिखने लगी थी। यहां तक कि उसने पब्लिक प्लेसेस में जाना तक छोड़ दिया था, क्योंकि उसे डर लगता था कि कहीं वह किसी तरह की बीमारी की चपेट में न आ जाए।

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ओनलीमायहेल्थ के साथ प्रिया पटेल की केस स्टडी माइंडट्राइब की फाउंडर और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की। आज प्रिया की कहानी के माध्यम से हम जानेंगे कि ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर क्या है और इससे कैसे बचा सकता है।

ओनलीमायहेल्थ मेंटल हेल्थ डिसऑर्डरर्स को समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इसमें हम आपको तरह-तरह की मेंटल हेल्थ बीमारियों, उसके प्रभाव और लक्षणों के बारे में सटीक जानकारी देंगे। इस संबंध में हमने विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। आज इस सीरीज में आपको प्रिया पटेल की केस स्टडी के माध्यम से ‘ओसीडी’ के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या है ओसीडी

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डॉ. प्रेरणा कोहली के अनुसार , ‘‘एक मनोवैज्ञानिक के रूप में अगर बात करूं, तो ओसीडी, ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर है। यह एक तरह की मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, जिसके तहत मरीज बार-बार एक ही तरह का काम कर रहता है या फिर उसे बार-बार एक ही तरह के ख्याल आते रहते हैं। इस वजह से उसकी चिंता और परेशानी बढ़ती रहती है। ओसीडी के मरीज आमतौर पर एक जैसा एक्ट करते हैं, जिसमें हाथ धोना, बार-बार किसी चीज की गिनती करना और बार-बार दरवाजा बंद करने पर उसे चेक करने जाना आदि। हालांकि, सामान्य लोग भी ऐसी चीजें करते हैं, लेकिन ओसीडी के मरीज इन्हें सनक की हद तक करते हैं। प्रिया के केस में भी यही सब देखा गया था। वह दिन में कई दफा अपने हाथ धोती थी। उसकी यह आदत उसके लिए ही समस्या बन गई थी।’’ 

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क्या है ओसीडी के लक्षण

प्रिया पटेल की स्टोरी पर गौर करें, तो पता चलता है कि उसे सार्वजनिक जगहों पर जाने से डर लगता था और उसे अक्सर इसी बात से डर लगता था कि कहीं उसके हाथ में जर्म्स न लग जाए, जिस वजह से वह बार-बार अपने हाथ धोती रहती थी। इसी तरह के अन्य लक्षण भी ओसीडी में दिखाई देते हैं-

ऑब्सेशन

  • जर्म्स लगने का डर।
  • चीजों को सीक्वेंस में लगाने की सनक।
  • चीजों की गिनती को लेकर कॉन्शस रहना।
  • हमेशा खुद को लेकर डाउट करना या संशय में रहन।

कंपल्शन

  • बार-बार एक ही तरह काम करना, जैसे हाथ धोना।
  • दरवाजा बंद करने पर बार-बार उसे चेक करना।
  • एक ही तरह के शब्दों को बार-बार रिपीट करना।
  • चीजों को अलग तरह से व्यवस्थित तरीके से रखना।

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ओसीडी होने की वजह

डॉक्टर प्रेरण कोहली कहती हैं, “प्रिया पटेल पहले से ही ओसीडी का शिकार थी। वह अपने टीनेज की उम्र से ओसीडी के लक्षणों से गुजर रही थी। दरअसल, वह स्टडीज में बहुत अच्छी थी और भविष्य में प्रोफेशनली भी अच्छा परफॉर्म करती थी। लेकिन, धीरे-धीरे वह पर्फेक्शन की ओर बढ़ती चली गई, जिस कारण उसमें ओसीडी के लक्षण बढ़ गए और कई सालों तक उसे काफी झेलना पड़ा।’’ इसके अलावा, ओसीडी होने की कुछ अन्य वजहें हो सकती हैं, जैसे-

न्यूरोट्रांसमीटरः न्यूरोट्रांसमीटर एक किस्म का रसायन होते हैं, जो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संकेतों को पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के बीच बैलेंस बिगड़नने के कारण यह मेंटल डिसऑर्डर होता है।

जेनेटिक्सः प्रेरणा कोहली के शब्दों के अनुसर, ‘‘कई अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि अगर किसी के परिवार में यह बीमारी रही है, तो उसकी भावी पीढ़ी को भी यह बीमारी हो सकती है। इस नजरिए से, ओसीडी को जेनेटिक्स की बीमारी कहा जा सकता है।

आसपास का माहौलः विशेषज्ञों की मानें, तो आसपास का माहौल भी इस तरह की बीमारी होने की वजह बन सकता है। इसमें, ट्रॉमा, स्ट्रेस, जीवन में कोई बड़ा बदलाव आदि शामिल हैं।

ओसीडी का ट्रीटमेंट

प्रेरणा कोहली के शब्दों में, "प्रिया के मामले में हमने उसके ओसीडी के लक्षणों पर गौर किया और उसी के आधार पर ट्रीटमेंट दिया। कई मामलों में सिर्फ काउंसलिंग पर्याप्त नहीं होती है। ऐसे में मरीजों को दवा भी देनी होती है। सामान्यतः अन्य मरीजों के साथ भी यही किया जाता है। हालांकि, डॉक्टर्स को यह भी ध्यान रखना होता है कि किसी दवा का मरीज पर नेगेटिव असर न पड़े। ऐसी स्थिति में मरीज की हेल्थ कंडीशन को समझते हुए मेडिसिन और काउंसलिंग की मदद ली जा सकती है।"

ओसीडी के मरीजों की मदद कैसे करें

  • आप खुद को एजुकेट करें, ताकि अगर घर में किसी को ओसीडी है, तो उसकी केयर सही तरह से की जा सके। एजुकेट करने के लि, सबसे पहले आप यह जानें कि ओसीडी क्या होता है और क्यों होता है।
  • मरीज के साथ हमेशा धैर्य से पेश आएं। उसके साथ उग्र होने की कोशिश न करें। अगर मरीज अपने धैर्य को संभाल नहीं पा रहा है, तो आप उसे समझने की कोशिश करें और सिचुएशन के अनुसार उसकी मदद करें।
  • ध्यान रखें, ओसीडी एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है। इसके मरीजों की केयर करना आसान नहीं है। इसलिए, जब भी जरूरी हो, एक्सपर्ट की मदद लें। मरीज की साइकोथेरेपी करवाएं।

प्रिया की तरह अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो सावधानी बरतें। किसी भी तरह के लक्षण दिखे, तो डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि, इस लेख में हमने OCD से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। फिर भी अगर कोई सवाल आपके मन में है, तो उनका जवाब जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में OCD से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

 

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