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एंग्जायटी डिसऑर्डर क्या है और क्यों होता है? 32 वर्षीय आयशा पटेल की केस स्टडी से समझें इसे

एंग्जायटी होने पर मरीज एक ही बात पर लंबे समय तक परेशान रहता है। कई बार, यह स्थिति उसकी नॉर्मल लाइफस्टाइल को भी इफेक्ट करने लगती है।
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एंग्जायटी डिसऑर्डर क्या है और क्यों होता है? 32 वर्षीय आयशा पटेल की केस स्टडी से समझें इसे


"32 वर्षीय आयशा शादीशुदा है और दो बच्चों की मां है। वह एक बड़ी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के रूप में काम कर रही है। हालांकि, उसकी लाइफ दिखने में बहुत अच्छी और आइडल लगती है। लेकिन, पिछले छह महीने से उसकी लाइफ में काफी उथल-पुथल मची हुई है। कुछ समय पहले तक तो वह अपनी अपनी सिचुएशन को खुद भी समझ नहीं पा रही थी। अक्सर उसे छोटी-छोटी बातें परेशान करती थीं और अक्सर उसके बिहेवियर में बेचैनी और परेशानी झलकती है। यह चिंता का विषय तब बनी जब उसकी परेशानी बढ़ती चली गई और घर में बच्चों तथा उसके परिवार के लिए चिंता बनने लगी थी। उसकी बिगड़ती हालत को देखकर, उसकी फैमिली उसे मेरे पास लेकर आई थी। हालांकि, उसे मेरे पास आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, लेकिन कम समय में ही उसकी स्थिति में सुधार होने लगा था। इसके लिए उसके परिवार को श्रेय दिया जा सकता है, क्योंकि वे उसे मेरे पास समय रहते ले आए थे।"

यह केस स्टडी हमारे साथ क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है, जो अब भी आयशा का ट्रीटमेंट कर रही हैं। आयशा के साथ बातचीत करके और ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर प्रेरणा को पता चलता था कि वह एंग्जाइटी डिसऑर्डर की मरीज है।

what is anxiety disorder

ओनलीमायहेल्थ ऐसे मानसिक विकारों और रोगों की बेहतर तरीके से समझने के लिए ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक विशेष सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के जरिए हम विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में अपने पाठकों को बता रहे हैं। इस सीरीज में हम आपको मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के संबंध में जरूरी जानकारी दे विस्तार से बताते हैं। आज इस सीरीज में हम आपको आयशा की केस स्टडी की मदद से ‘एंग्जाइटी डिसऑर्डर’ के बारे में बताने जा रहे हैं।

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क्या है एंग्जाइटी डिसऑर्डर

anxiety disorder

एंग्जाइटी डिसऑर्डर, जिसे हम जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर के नाम से भी जानते हैं। इस तरह की समस्या होने पर मरीज घंटों और लंबे समय तक एक ही बात को लेकर चिंतित रहता है। डॉ. प्रेरणा के शब्दों में, "एंग्जाइटी डिसऑर्डर के मरीज अक्सर अपनी सिचुएशन को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं, जो उनकी नॉर्मल लाइफ को भी इफेक्ट करने लगता है। कई बार चिंता इतनी बढ़ जाती है कि मरीज चाहते हुए भी उसे इग्नोर नहीं कर पाता है।" एंग्जाइटी डिसऑर्डर होने पर मरीज किसी एक स्थिति या बात को लेकर चिंतित हो, यह जरूर नहीं है। चिंता का विषय कुछ भी हो सकता है, इसमें हेल्थ, फाइनेंस, बच्चों का स्वास्थ्य, रिलेशनशिन या डेली लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजें भी हो सकती हैं।

प्रेरणा कोहली की आगे बताती हैं, "कोई भी सामान्य चिंता तब एंग्जाइटी डिसऑर्डर बनती है, जब मरीज एक ही विषय पर छह महीने से ज्यादा समय तक परेशान रहता है। चिंता के कारण मरीज में बेचैनी बढ़ने लगती है, चिड़चिड़ापन भर जाता है, उसके मांसपेशियों में तनाव होने लगता है आदि। यही नहीं, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के कारण मरीज छोटी से छोटी बातपर भी घबराहट या बेचैनी से भर जाता है।"

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एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण

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डॉ. प्रेरणा कोहली आयशा के लक्षणों पर गौर करते हुए बताता है, "सबसे पहले आयशा के लक्षणों की ओर गौर करें, तो पता चलता है कि वह हर बात पर चिंता व्यक्त करने लगी थी। वह चाहकर भी बातों को इग्नोर नहीं कर पा रही थी। वह अपने ऑफिस के काम और घर को बैलेंस नहीं कर पाती थी।" इसके अलावा, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के अन्य लक्षणों की बात करें, तो इसमें निन्म बातें देखी जा सकती हैं-

  • अपने काम, हेल्थ और फाइनेंस को लेकर अक्सर चिंता में रहना। चिंता इतनी ज्यादा बढ़ जाना कि उसे इग्नोर करना मुश्किल होना।
  • अपने रिश्ते को लेकर अक्सर टेंशन में रहना। यह सोचना कि कहीं रिश्ता टूट न जाए और बार-बार यह सोचना कि पार्टनर छोड़कर चला जाएगा या फिर रिश्ते में किसी न किसी बात पर क्लेश होना।
  • अक्सर बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस होना। कई बार बातों से इतना परेशान होना कि घबराहट और डर से भर जाना। इस तरह के भाव के कारण कई तरह की शारीरिक परेशानियां होना।
  • बेचैनी और एंग्जाइटी के कारण व्यक्ति की मांसपेशियों में तनाव होना। जरा-जरा सी बात पर उत्तेजित हो जाना और न चाहते हुए भी हर बात को लेकर अतिरिक्त कॉन्शस रहना।
  • किसी भी तरह के काम को करने में कठिनाईयां महसूस करना। नतीजतन ध्यानकेंद्रित करने में कठिनाई महसूस करना।
  • इसके अलावा, सोने मे दिक्कत होना, थकान महसूस होना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं

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एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण

आयशा के केस की बात करें, तो पता चलता है कि वह अपने ऑफिस और काम को लेकर परेशान थी। उसकी यह चिंता धीरे-धीरे एंग्जाइटी डिसऑर्डर में बदल गई। इसके अलावा, वह अपने बच्चों और परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाने के कारण इस तरह की परेशानियों से जूझ रही थी। एंग्जाइटी डिसऑर्डर के निम्न कारण हो सकते हैं-

  • पारिवार इतिहासः अगर किसी की फैमिली में पहले कोई सएंग्जाइटी डिसऑर्डर का शिकार रहा हो, तो भावी पीढ़ी में भी इस तरह की बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
  • ब्रेन फंक्शनः एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण ब्रेन फंक्शन को भी माना जाता है। दरअसल, कुछ न्यूरोट्रांसमीटर, जैसे सेरोटोनिन, डोपामाइन इस तरह की चीजों के लिए जिम्मेदार होते हैं। जब इन न्यूरोट्रांसमीटरों में असंतुलन हो जाता है, तो मेंटल इलनेस हो सकती है।
  • आसपास का माहौलः अगर किसी व्यक्ति के जीवन में कभी कोई दर्दनाक घटना घटी है, उसके साथ अनहोनी हुई है, तो वह एंग्जाइटी डिसऑर्डर का शिकार हो सकता है। इसके अलावा, खराब रिश्ते, सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसे वाकया एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर का ट्रीटमेंट

डॉ. प्रेरणा ने आयशा के ट्रीटमेंट के दौरान कई तरह की बातों का ध्यान रखा। इस दौरान उन्होंने आयशा का एसेसमेंट किया ताकि वह इस बात को समझ सके कि ऐसी कौन सी बातें हैं, जो एंग्जाइटी डिसऑर्डर को ट्रिगर करती हैं। इसके बाद, आयशा का सोइकोएजुकेशन किया गया ताकि वह अपने लक्षणों को समझ सके और उसकी वजह को जानकर अपनी भावनाओं को कंट्रोल कर सके। इसके अलावा, उन्हांने आयशा को रिलैक्स करने की तकनीक अपनाने को कहा। रिलैक्स करने के लिए मेडिटेशन की सलाह दी। इसके अलावा, सपोर्टिव काउंसलिंग के लिए भी मोटिवेट किया गया।’ एंग्जाइटी डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के तौर अन्य चीजों पर भी ध्यान दिया जाता है-

  • कई बार मरीज सिर्फ काउंसलिंग या थेरेपी की मदद से ठीक नहीं होता है। ऐसे में मरीज की स्थिति को देखते हुए उसे दवाई दी जाती है। साथ में, उसकी थेरेपी भी जारी रखी जाती है।
  • मरीज को रिलैक्सेशन तकनीक सिखाने की कोशिश की जाती है। इसमें ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसल्स रिलैक्सेशन आदि चीजों को करने को कहा जाता है। इस तरह की एक्सरसाइज की मदद से कोशिश की जाती है कि मरीज की बॉडी रिलैक्स हो सके और उसका तनाव कम हो सके।
  • स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए कुछ उपाय सिखाए जाते हैं। स्ट्रेस को मैनेज करने की सलाह दी जाती है। स्ट्रेस मैनेज करने के दौरान, मरीज को टाइम मैनेजमेंट करने को कहा जाता है, एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है, पर्याप्त मात्रा में नींद लेने को कहा जाता है और सेल्फ केयर करने के लिए भी कहा जाता है।
  • मरीजों को सपोर्ट ग्रुप का हिस्सा बनने की सलाह भी दी जाती है या फिर एक्सपर्ट खुद उन्हें इसके लिए मोटिवेट करते हैं।

एंग्जाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की मदद कैसे करें

अगर आपके आसपास कोई ऐसा है, जिन्हें एंग्जाइटी डिसऑर्डर है, तो उनकी मदद करने से पहले आप खुद को एजुकेट करें। बीमारी को समझें और इसके कारण तथा लक्षण को जानें।

  • अपने दोस्त या रिश्ते, जो एंग्जाइटी डिसऑर्डर का श्किर हैं, उनकी हर बात को ध्यान से सुनें। उनकी बातों को इग्नोर न करें।
  • अपने जानने वाले के प्रति प्यार दिखाएं, लेकिन दया न दिखाएं। ऐसे लोगों को दया भाव दिखाना पसंद नहीं आता है।
  • अपने दोस्त या परिजन को सपोर्ट ग्रपु के साथ जुड़ने की सलाह दें। अपने जैसे लोगों के बीच इस तरह के लोगों को रिलैक्स फील होते हैं।

आयशा की तरह अगर आपके घर में भी ऐसा कोई है, जिसे एंग्जाइटी डिसऑर्डर है और जो लंबे समय तक एक ही बात पर चिंतिंत रहता है, तो आप सावधान हो जाएं। उसे लेकर तुरंत एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘एंग्जाइटी डिसऑर्डर से जुडी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल रह गए हैं, तो हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में 'Anxiety Disorder' से जुड़े दूसरे लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

image credit: freepik

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