What Are The Symptoms Of Baby Dead In Womb In Hindi: गर्भावस्था में महिलाओं को न सिर्फ अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी नजर रखनी चाहिए। खासकर, प्रेग्नेंसी की आखिरी तिमाही में महिलाओं को गर्भ में पल रहे शिशु की मूवमेंट पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे पता चलता है कि शिशु की ग्रोथ सही हो रही है और वह एक्टिव है। यहां तक सही मूवमेंट से शिशु के स्वास्थ्य का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि, यह सच है कि कुछ बच्चे कम मूवमेंट करते हैं और कुछ ज्यादा करते हैं। ऐसा होना बिल्कुल सामान्य होता है। लेकिन, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कई बार ऐसी परिस्थितियां हो जाती हैं कि गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो जाती है। ऐसा महिला की मेडिकल कंडीशन, ऑक्सीजन की प्रॉपर सप्लाई न होने के कारणों से हो सकता है। बहरहाल, अगर गर्भ में ही शिशु की मृत्यु हो जाती है, तो इसके संकेतों और लक्षणों पर जरूर गौर करना चाहिए। यहां हम उन्हीं संकेतों का जिक्र कर रहे हैं। इस बारे में हमने वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की।
गर्भ में शिशु की मृत्यु के संकेत- What Are The Symptoms Of Baby Dead In Womb In Hindi
1. शिशु के मूवमेंट में कमी
जिस तरह शिशु के मूवमेंट से उसके हेल्दी होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह, अगर शिशु गर्भ में हलचल नहीं कर रहा है, तो यह सही संकेत नहीं होता है। अगर कोई गर्भवती महिला यह नोटिस करे कि गर्भ में शिशु मूवमेंट नहीं कर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपनी जांच करवाएं। यह शिशु के मृत होने का संकेत हो सकता है। ध्यान रखें कि अगर शिशु मूवमेंट कम रहा है, तो इसे भी हल्के में न लें।
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2. वजाइनल ब्लीडिंग होना
वैसे तो प्रेग्नेंसी में कई बार महिलाओं को ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है। यह सामान्य होता है। हालांकि, कभी-कभी प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना किसी गंभीर बीमारी की ओर भी इशारा कर सकता है। इसलिए, अगर किसी गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो रही है, तो उन्हें बिना लापरवाही किए अपनी जांच करवानी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह कभी-कभी गर्भ में पल रहे शिशु के मृत होने की ओर भी इशारा करता है।
3. दिल की धड़कन न सुनाई देना
अगर जांच के दौरान डॉक्टर को स्टेथोस्कोप के जरिए बच्चे की हार्टबीट न सुनाई और अल्ट्रा साउंड भी में उसकी धड़कनों का पता न चले, तो यह भी स्टिलबर्थ की ओर इशारा करता है। ऐसा होने पर महिलाओं को तुरंत चिकित्सकीय मदद लेनी चाहिए। ध्यान रखें कि गर्भ में मृत शिशु का होना महिला के लिए भी जानलेवा हो सकता है।
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4. दर्द या ऐंठन होना
प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार पेट में दर्द या ऐंठन का अहसास होता है। आमतौर पर इसे हार्मोनल बदलाव या शिशु के विकास से जोड़कर देखा जाता है। असल में, प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा होना हैरानी की बात नहीं होती है। लेकि, अगर दर्द तीव्र और ऐंठन भी असहनीय हो रही है, तो इसे हल्के में न लें। यह भी स्टिलबर्थ का संकेत हो सकता है।
5. बुखार या उल्टी होना
उपरोक्त कुछ लक्षणों के अलावा, अगर महिला को बुखार आ जाए या बार-बार उल्टी हो रही हो, तो यह भी स्टिलबर्थ के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा, थकान, डायरिया, डिप्रेशन जैसे कुछ अन्य संकेत भी स्टिलबर्थ की ओर इशारा करते हैं। अगर किसी भी गर्भवतीम महिला के साथ ऐसा हो रहा है, तो उन्हें तुरंत अपनी जांच करवानी चाहिए।
वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, "कई महिलाओं को दो पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग होती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे प्रेग्नेंसी, हार्मोनल अंसतुलन और ओव्यूलेशन आदि। हालांकि, कभी-कभी स्पॉटिंग होना किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। इनमें पीसीओएस, बर्थ कंट्रोल पिल लेना, स्ट्रेस, सर्वाइकल कैंसर, मिसकैरेज या ड्राइनेस शामिल हैं। स्पॉटिंग को ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं होती है। हां, स्पॉटिंग की वजह से अक्सर महिलाएं असहज हो जाती हैं और उन्हें पैड का यूज करना पड़ता है। कम ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होने की वजह से पैड ड्राई रहता है, जिससे इचिंग या वजाइनल ड्राईनेस की प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। कुल मिलाकर, हल्के-फुल्के रक्तस्राव को स्पॉटिंग कहा जा सकता है।"
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स्पॉटिंग पीरियड्स से कैसे अलग है- How Spotting Is Different From Period In HindiHow Spotting Is Different From Period
पीरियड्स में ब्लड फ्लो लगातार होता है। यह करीब 4-5 दिनों तक बना रहता है। डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, "पीरियड के दौरान होने वाली ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए पैड लगाया जाता है। कुछ महिलाएं टैंपोन और मेंस्ट्रुअल कप का भी यूज करती हैं। पीरियड्स के दैरान आमतौर पर ब्लड का कलर काफी डार्क होता है। जबकि स्पॉटिंग के दौरान ऐसा नहीं होता है। स्पॉटिंग होने पर महिलाओं को लाइट रेड या पिंक कलर का ब्लड फ्लो होता है, जिसकी मात्रा बहुत कम होती है। इसके अलावा, स्पॉटिंग और पीरियड्स के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। आमतौर पर स्पॉटिंग होने से पहले कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते हैं। जबकि पीरियड्स के लक्षणों का जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं। इसमें पैरों में दर्द, ब्रेस्ट टेंडरनेस, कमर दर्द, सिरदर्द और मूड स्विंग होना शामिल है।"
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स्पॉटिंग के लिए कब जाएं डॉक्टर के पास- When To See Doctor For Spotting In Hindiजैसा कि पहले ही कहा गया है कि स्पॉटिंग अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। इसके बावजूद, कुछ संकेत बुरे स्वास्थ्य की ओर इशारा कर सकते हैं, जैसे-
प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग होने पर।ओवर वेट हैं और हर बार पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग होती है।किसी दवा के लेने की वजह से स्पॉटिंग हो रही है, तो अनदेखी न करें।डाइट में अचानक किसी के बदलाव करने के बाद स्पॉटिंग होने लगी है, तो डॉक्टर के पास जाएं।मेनोपॉज होने के बाद भी स्पॉटिंग हो, तो एक बार डॉक्टर से मिलें।स्पॉटिंग के साथ-साथ स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़े, तो इसकी अनदेखी न करें।Image Credit: Freepik
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