How to Communicate With Your Baby in the Womb: प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मां और गर्भ में पलने वाले शिशु का एक गहरा रिश्ता होता है। अब तक हुई कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि गर्भ में पलने वाले शिशु न सिर्फ मां द्वारा किए गए एहसास को समझ पाते हैं, बल्कि मां की आवाज, उसका स्पर्श और उसकी भावनाओं का बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे से बात करना न केवल उसके दिमागी विकास में सहायक होता (The Benefits of Talking to Baby in Womb) है, इससे बच्चे और मां के बीच एक खास कनेक्शन बनता है।
लेकिन प्रेग्नेंसी के कौन से महीने से गर्भ में पलने वाले शिशु से बात करनी चाहिए और इसकी शुरुआत कैसी करनी चाहिए, इसकी जानकारी न्यू पेरेंट्स को नहीं होती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको इसकी जानकारी देने वाले हैं। इस विषय पर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आनंद केयर क्लीनिक के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण आनंद ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है।
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गर्भ में पलने वाले शिशु से बात करना कब शुरू करें?- When should I start talking to my unborn baby?
डॉ. तरुण आनंद के अनुसार, प्रेग्नेंसी के चौथे या पांचवें महीने में गर्भ में पलने वाले बच्चे के सुनने की क्षमता विकसित होने लगती है। इस समय से वह मां की आवाज और अन्य बाहरी ध्वनियों को महसूस करने लगता है। महिला के गर्भधारण के 18वें सप्ताह के बाद गर्भस्थ शिशु मां की आवाज को महसूस करने लगता है और 25 वें सप्ताह के बाद मां व उसके आसपास के लोग क्या बात कर रहे हैं, उसे सुनने लगता है। डॉ. तरुण आनंद की मानें तो प्रेग्नेंसी के 18वें सप्ताह के बाद से गर्भस्थ शिशु से बात करना शुरू कर देना चाहिए। इस समय की गई बातचीत और संवाद बच्चे के दिमागी विकास के लिए फायदेमंद होती है।
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गर्भ में पलने वाले शिशु से कैसे करें बात?-How to talk to the baby in the womb?
गर्भ में पलने वाले शिशु से बात करने का कोई खास तरीका नहीं है, लेकिन आप इसके लिए नीचे बताए गए टिप्स को जरूर फॉलो कर सकते हैंः
1. कहानियां सुनाएं
गर्भ में पलने वाले शिशु से बात करने सबसे खास तरीका है, उसे अपनी दिनभर की कहानियां सुनाएं। आपने दिन में क्या-क्या किया, आपको क्या अच्छा लगा इसके बारे में गर्भस्थ शिशु को बताएं। आपकी आवाज शिशु के लिए एक आरामदायक माहौल बनाती है और भाषा पहचान विकसित करने में मदद करती है।
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2. हल्का संगीत बजाएं
शिशु से बात करने के लिए कमरे में हल्का संगीत या कोई धुन बजाने की कोशिश करें। कोमल धुनें आपके शिशु को आराम पहुंचा सकती हैं। संगीत से शिशु की भावनाओं और मस्तिष्क कनेक्शन पर भी पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है।
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3. धीरे से स्पर्श करें और थपथपाएं
शिशु से बात करने के लिए मां के पेट को पर हल्का स्पर्श करें, उसे हल्के हाथों से थपथपाएं। ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु का दिमागी विकास तेजी से होता है और वह अच्छा महसूस करता है।
4. शांत रहें
सकारात्मक संचार मां और गर्भ में पलने वाले शिशु के लिए अच्छा महसूस कराने वाले हार्मोन रिलीज करता है, जिससे एक पोषण करने वाला माहौल बनता है।
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गर्भ में पलने वाले बच्चे से बात करने के फायदे- Benefits of talking to your unborn baby
- गर्भ में पलने वाले बच्चे से बात करने से मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।
- रोजाना थोड़ी देर बातचीत से बच्चे के दिमाग का विकास तेजी से होता है। इसकी मदद से उसकी समझने की क्षमता भी बढ़ती है।
- मां की आवाज और उसके संवाद से बच्चे को गर्भ में ही सुरक्षा का अनुभव मिलता है।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के दौरान मां का गर्भस्थ शिशु से बात करना एक खूबसूरत अनुभव है। यह मां और बच्चे के बीच गहरा रिश्ता बनाता है और इससे दोनों के बीच एक अनोखा रिश्ता मजबूत होता है। यही वजह है हर मां को 18वें सप्ताह के बाद गर्भस्थ शिशु से बात करनी चाहिए।