Difference Between Spotting And Periods In Hindi: पीरियड्स यानी महिलाओं को प्रत्येक महीने में 4 से 5 दिनों तक ब्लीडिंग होना। इसी को हम पीरियड्स के नाम से जानते हैं। हर महिला को पीरियड्स होते हैं। नियमित रूप से पीरियड्स होने पर यह पक्का होता है कि महिला का स्वास्थ्य सही है और वह फर्टाइल है। इसके अलावा, रिप्रोडक्टिव ऑर्गन से जुड़ी कोई समस्या नहीं है। लेकिन, ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स से जुड़े कुछ न कुछ समस्याएं जीवन में कभी न कभी जरूर होती हैं। इसमें कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान क्रैंप्स होना, कमर दर्द होना और सिरदर्द होना शामिल हैं। इसी तरह, कुछ महिलाओं को पीरियड्स के बाद स्पॉटिंग होती है। यूं तो स्पॉटिंग होना कोई गंभीर समस्या नहीं है। हालांकि, कुछ महिलाएं स्पॉटिंग और पीरियड्स के बीच कंफ्यूज हो जाती हैं। वे स्पॉटिंग को ही पीरियड्स समझ बैठती हैं। यहां हम आपके इसी कंफ्यूजन को दूर कर रहे हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि स्पॉटिंग और पीरियड्स के बीच (period spotting kya hai) क्या अंतर है।
स्पॉटिंग ब्लीडिंग और पीरियड्स में क्या अंतर है- Difference Between Spotting And Periods In Hindi
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स्पॉटिंग क्या है- What Is Spotting In Hindi
पीरियड्स खत्म होने के बाद कुछ महिलाओं को अक्सर स्पॉटिंग होती है। स्पॉटिंग होना अपने आप में कोई गंभीर समस्या नहीं है। वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता कहती हैं, "कई महिलाओं को दो पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग होती है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे प्रेग्नेंसी, हार्मोनल अंसतुलन और ओव्यूलेशन आदि। हालांकि, कभी-कभी स्पॉटिंग होना किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। इनमें पीसीओएस, बर्थ कंट्रोल पिल लेना, स्ट्रेस, सर्वाइकल कैंसर, मिसकैरेज या ड्राइनेस शामिल हैं। स्पॉटिंग को ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं होती है। हां, स्पॉटिंग की वजह से अक्सर महिलाएं असहज हो जाती हैं और उन्हें पैड का यूज करना पड़ता है। कम ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होने की वजह से पैड ड्राई रहता है, जिससे इचिंग या वजाइनल ड्राईनेस की प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है। कुल मिलाकर, हल्के-फुल्के रक्तस्राव को स्पॉटिंग कहा जा सकता है।"
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स्पॉटिंग पीरियड्स से कैसे अलग है- How Spotting Is Different From Period In Hindi
पीरियड्स में ब्लड फ्लो लगातार होता है। यह करीब 4-5 दिनों तक बना रहता है। डॉ. शोभा गुप्ता के अनुसार, "पीरियड के दौरान होने वाली ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए पैड लगाया जाता है। कुछ महिलाएं टैंपोन और मेंस्ट्रुअल कप का भी यूज करती हैं। पीरियड्स के दैरान आमतौर पर ब्लड का कलर काफी डार्क होता है। जबकि स्पॉटिंग के दौरान ऐसा नहीं होता है। स्पॉटिंग होने पर महिलाओं को लाइट रेड या पिंक कलर का ब्लड फ्लो होता है, जिसकी मात्रा बहुत कम होती है। इसके अलावा, स्पॉटिंग और पीरियड्स के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। आमतौर पर स्पॉटिंग होने से पहले कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते हैं। जबकि पीरियड्स के लक्षणों का जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं। इसमें पैरों में दर्द, ब्रेस्ट टेंडरनेस, कमर दर्द, सिरदर्द और मूड स्विंग होना शामिल है।"
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स्पॉटिंग के लिए कब जाएं डॉक्टर के पास- When To See Doctor For Spotting In Hindi
जैसा कि पहले ही कहा गया है कि स्पॉटिंग अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। इसके बावजूद, कुछ संकेत बुरे स्वास्थ्य की ओर इशारा कर सकते हैं, जैसे-
- प्रेग्नेंसी के दौरान स्पॉटिंग होने पर।
- ओवर वेट हैं और हर बार पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग होती है।
- किसी दवा के लेने की वजह से स्पॉटिंग हो रही है, तो अनदेखी न करें।
- डाइट में अचानक किसी के बदलाव करने के बाद स्पॉटिंग होने लगी है, तो डॉक्टर के पास जाएं।
- मेनोपॉज होने के बाद भी स्पॉटिंग हो, तो एक बार डॉक्टर से मिलें।
- स्पॉटिंग के साथ-साथ स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़े, तो इसकी अनदेखी न करें।
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