क्या है वॉटर इंटॉक्सिकेशन? जानें बच्चों में इसके लक्षण, कारण और उपचार

नवजात के शरीर में पानी की जरूरत मां के दूध से पूरी हो जाती है। ऐसे में यदि उनको अलग से पानी दिया जाए तो वॉटर इंटॉक्सिकेशन की समस्या हो सकती है।
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क्या है वॉटर इंटॉक्सिकेशन? जानें बच्चों में इसके लक्षण, कारण और उपचार


हमारे शरीर के लिए पानी एक बेसिक जरूरत है इसलिए ही पूरी मात्रा में पानी पीने पर जोर दिया जाता है। लेकिन नवजात को शुरूआती 6 महीनों में तब तक पानी नहीं दिया जाता जब तक कि डॉक्टर खुद न कह दें। कोलंबिया एशिया अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनेटालॉजिस्ट डॉक्टर अमित गुप्ता कहते हैं कि दरअसल बच्चों की खान-पान की जरूरतों को पता कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि वह हमें बोल कर नहीं बता सकते। ऐसे में अगर मायें बिना जरूरत के पानी पिला देती हैं तो इससे उनका इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ सकता है। जिससे बच्चे का शारीरिक तापमान कम हो सकता है और सीजर का खतरा भी बढ़ सकता है। इस स्थिति को ही वॉटर इंटॉक्सिकेशन कहा जाता है। यह स्थिति बच्चों में कम ही देखी जाती है लेकिन फिर भी कुछ बच्चों के माता पिता उन्हें अधिक मात्रा में पानी पिलाते रहते हैं जिससे बच्चे में वॉटर इंटॉक्सिकेशन हो जाता है।

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बच्चों में वॉटर इंटॉक्सिकेशन के लक्षण (Symptoms Of Water Intoxication)

  • बच्चे का काफी सुस्त रहना और उसे चक्कर आना।
  • हर समय खुश रहने वाला बच्चा चिड़चिड़ा हो जाना और काफी उधमी बन जाना।
  • 36 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान होना।
  • बच्चे को उल्टियां आना और उसका जी मिचलाना।
  • बाजू, हाथ और मुंह पर सूजन आना।
  • सांस लेने में असामान्यता महसूस होना।
  • शरीर में सोडियम लेवल बहुत कम हो जाना।

बच्चों को कितना पानी पिलाना चाहिए? (How Much Water The Toddler need)

6 महीने से कम उम्र के बच्चे को पानी पिलाने की इसलिए जरूरी नहीं क्योंकि वह मां के दूध से ही हाइड्रेट हो जाते हैं। 6 महीने से एक साल के बच्चे को दिन में आधे से एक कप के बीच पानी पिलाया जा सकता है। इतनी पानी की मात्रा बच्चे की हाइड्रेशन की जरूरतों को भी पूरा कर देती है और उन्हें सुरक्षित भी रखती है।

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बच्चों में वॉटर इंटॉक्सिकेशन के कारण (Causes For Water Intoxication)

पानी और जूस पिलाना : कुछ माता पिता अपने बच्चे को 6 महीने का होने से पहले ही पानी और हल्के फुल्के जूस पिलाना शुरू कर देते हैं ताकि उन्हें अतिरिक्त पोषण भी मिलता रहे। लेकिन बच्चों को इस प्रकार के पोषण या हाइड्रेशन की कोई जरूरत नहीं होती है। यह पानी उन्हे केवल नुकसान ही पहुंचाएगा। अभी बच्चे की किडनी पानी को फिल्टर करने में असमर्थ होती हैं।

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कप के द्वारा कोई चीज पिलाना : एक से दो साल के बच्चों को केवल बॉटल से ही तरल पदार्थ पिलाने चाहिए। अगर छोटे बच्चों को कप से पानी पिलाया जाता है तो वह एकदम से बहुत अधिक पानी पी लेते हैं जिसके कारण वॉटरइंटॉक्सिकेशन का रिस्क बढ़ जाता है।

अधिक डाइल्यूट किया गया फार्मूला पिलाना : अगर बच्चे को फॉर्मूला दूध पिलाती हैं तो उसके पैकेज पर लिखी सारी बातों को ध्यान से पढ़ लें। अगर आप फॉर्मूला में अधिक पानी डाइल्यूट कर देती हैं तो इससे भी बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।

वॉटर इंटॉक्सिकेशन उपचार (Water Intoxication Treatment)

अगर बच्चे में वॉटर इंटोक्सिकेशन के लक्षण दिख रहे हैं तो आप घर पर ही उसका उपचार नहीं कर सकते हैं इसलिए उसे डॉक्टर के पास ले जाना ही अच्छा विकल्प रहेगा। आपके बच्चे के इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को संतुलित करने और उसके लक्षणों को ठीक करने के लिए डॉक्टर उनका इलाज शुरू कर देंगे। अधिकतर केसों में बच्चे को तब तक पानी नहीं दिया जाता जब तक उसके शरीर से पेशाब के माध्यम से यह अतिरिक्त पानी बाहर नहीं निकल जाता है।

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इन टिप्स का करें पालन (Tips To Follow)

  • बच्चे को 6 महीने का होने तक उसे पानी न दें। 
  • अगर बच्चे के हाइड्रेशन को लेकर मन में सवाल आ रहे हैं तो बच्चों के किसी अच्छे डॉक्टर से यह दुविधा स्पष्ट कर लें। लेकिन अंदाजे के आधार पर उन्हें पानी अधिक न पिलाएं।
  • फॉर्मूला को अधिक डाइल्यूट न करें।

वॉटर इंटॉक्सिकेशन की स्थिति बहुत ही कम बच्चों में देखने को मिलती है। लेकिन अगर इस स्थिति का ध्यान न रखा जाए तो इससे कुछ गंभीर लक्षण जैसे बच्चे का कोमा में जाना या सीजर होना भी देखे जा सकते हैं इसलिए अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखें।

All images credit: freepik

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