ग्रोथ स्पर्ट्स एक स्टेज है जिसमें शिशु का विकास होता है। ये स्टेज किसी भी समय हो सकती है। इस दौरान आपका बच्चा नई स्किल्स सीख सकता है, इसमें मुस्कुराना, क्रॉल करना, घुटने के बल चलना आदि शामिल है। इस लेख में हम ग्रोथ स्पर्ट्स के लक्षण पर चर्चा करेंगे और कुछ आसान टिप्स जानेंगे जिनकी मदद से आप ग्रोथ स्पर्ट्स के बारे में जान सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने डफरिन अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
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बच्चों में ग्रोथ स्पर्ट्स क्या होता है? (Growth spurts in infants)
बच्चे के विकास को ही हम ग्रोथ स्पर्ट्स के नाम से जानते हैं। ये वो समय होता है जब शिशु अपने जन्म से करीब तीन गुना बढ़ता है। हालांकि ये ग्रोथ स्पर्ट्स अचानक से नहीं होते। जब हम शिशु में अचानक से ग्रोथ देखते हैं तो उसे ग्रोथ स्पर्ट्स के नाम से जाना जाता है।
ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान बच्चे में क्या बदलाव आते हैं?
ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान आपको कई बदलाव शिशु में देखने को मिल सकते हैं। चलिए जानते हैं उसके बारे में-
1. भूख बढ़ती जाती है
ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान शिशु की भूख बढ़ जाती है। इस दौरान स्तनपान करवाने वाली मां को विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि शिशु लंबे समय तक ब्रेस्टफीडिंग कर सकता है या ऐसा भी हो सकता है कि आपको हर थोड़ी देर में शिशु को स्तनपान करवाना पड़े।
2. हर समय रोते रहना
ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान हो सकता है आप शिशु को ज्यादा रोता हुआ नोटिस करें, इस दौरान शिशु बिना किसी बात ज्यादा रोते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप शिशु का रूटीन फिक्स करें, शिशु समय पर सोएगा या खाएगा तो बिना बात रोने की आशंका कम हो जाएगी।
3. शिशु के मूड में बदलाव
ग्रोथ स्पर्ट्रस की स्टेज में आपको शिशु के मूड में फर्क देखने को मिलता है। इस दौरान शिशु चिड़चिड़ा भी हो सकता है। आपको इस दौरान शिशु को ज्यादा शोर भरे इलाके से दूर रखना चाहिए। शिशु को इस दौरान संभालने में आपको परेशानी हो सकती है।
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4. स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव
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ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान आपको शिशु के स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव नजर आ सकता है। हो सकता है आपको बच्चे के लिए रात में कई बार उठना पड़े। इस दौरान बच्चे कम सोते हैं। आपको बच्चे के सोने के लिए शांत माहौल रखना चाहिए क्योंकि शिशु जितना सोएगा उतना ही जल्दी उसका विकास होगा।
ग्रोथ स्पर्ट्स का पता कैसे लगाएं?
ग्रोथ स्पर्ट्स का पता लगाने के लिए आप ग्रोथ चार्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रोथ चार्ट से आप बच्चे का वजन नाप सकते हैं और लंबाई का पता लगा सकते हैं। आप ग्रोथ स्पर्ट्स का पता लगाने के लिए चार्ट का इस्तेमाल करें तो हर हफ्ते की रीडिंग अपने पास नोट करके रख लें।
ग्रोथ स्पर्ट्स के दौरान बच्चे का ध्यान कैसे रखें?
- आपको शिशु को समय पर खिलाना चाहिए, अगर बच्चे का पेट भरा होगा तो वो उसका व्यवहार चिड़चिड़ा महसूस नहीं होगा।
- आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को समय-समय पर आप समय पर ब्रेस्टफीडिंग करवाएं क्योंकि बच्चे का पेट भरा रहने से उसके व्यवहार में बदलाव नहीं आएगा।
- अगर बच्चा बहुत ज्यादा परेशान हो रहा है तो हो सकता है कि शिशु को अच्छी नींद लेने की जरूरत हो, आप उसे दूध पिलाने के बाद डकार दिलाकर सुलाने का प्रयास करें ताकि वो सुकून की नींद ले सके।
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ग्रोथ स्पर्ट्स कब होता है?
शिशु के पहले साल में होने वाले ग्रोथ स्पर्ट्स दूसरे सप्ताह से शुरू होते हैं और तीसरे, 6वें और 9वें सप्ताह में भी दिखाई देते हैं। ये ग्रोथ स्पर्ट्स तीसरे, 6वें और 9वें महीने में भी होते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है की हर बच्चे में एक जैसा ही पैटर्न हो, विशेषकर प्रीमैच्योर बच्चों में ऐसा होना जरूरी नहीं है, जिनका विकास अन्य बच्चों से अलग गति से होता है।
बच्चे के जन्म के बाद पहले साल में ग्रोथ स्पर्ट्स दूसरे सप्ताह से शुरू होते हैं। ग्रोथ्स स्पर्ट्स आपको तीसरे, छठे और नौवे महीने में भी हो सकता है। ये जरूरी नहीं है कि हर बच्चे में ग्रोथ स्पर्ट्स का पैटर्न एक जैसा हो, ये शिशु के वातावरण और ग्रोथ पर निर्भर करता है।
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