
एक उम्र के बाद या बड़ों में आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य कमजोर होने की शिकातें पाई जाती है और आप सभी ने ये देखा भी होगा। लेकिन बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य को पहले से ही स्वस्थ रखना जरूरी हो जाता है नहीं तो ये बढ़ती उम्र के साथ गंभीर स्थिति की ओर जाता रहता है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को हमेशा से मजबूत बनाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे कि बच्चा अपने दिमागी रूप से कमजोर न हो। इसके लिए पैरैंट्स को बच्चे का किसी तरह का इलाज कराने की जरूरत नहीं है, बल्कि बस उनकी आदतों और भावनाओं पर नजर रखने की जरूरत होती है।
इस विषय पर हमने बात की साइकोमेट्रिक मूल्यांकन और परामर्श संस्थान में अध्यक्ष और माइंड डिजाइनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से, जिन्होंने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर होने से बचाव के लिए कई अहम बाते बताई। तो चलिए इस लेख के जरिए जानते हैं कि डॉक्टर कोमलप्रीत ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर क्या सलाह दी है।
भावनाओं पर नजर
माइंड डिजाइनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर ने बताया कि बच्चों की भावनाएं क्या है, उन्हें क्या चाहिए और वो किस बर्ताव के साथ रहते हैं इसपर पैरेंट्स को नजर रखनी चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें सही और गलत के बारे में समझाना चाहिए साथ ही उन्हें नियमित रूप से अच्छी आदतों के बारे में बताना चाहिए। जिससे कि आपके बच्चे दिमागी रूप से स्वस्थ हो सके और नकारात्मक चीजों से दूर रहें।
सकारात्मक आदतें डालें
सकारात्मक आदतों से मतलब है कि पैरेंट्स को समय-समय पर यानी बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ ये सीखाना चाहिए कि क्या गलत है और क्या सही। इस दौरान माता-पिता को लंबे समय तक ये देखने की जरूरत होती है कि क्या उनका बच्चा दिखाए गए सही और गलत को पहचान सकता है या नहीं। इस मदद से आपका बच्चा हमेशा खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ और एक्टिव महसूस करेगा और इससे दिमाग को बार-बार चुनौती मिलती है, जो दिमाग को पूरी तरह से सक्रिय रखने में मदद करता है।
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दूसरों से मिलना-जुलना सिखाएं
आमतौर पर कुछ बच्चे बचपन से ही दूसरे लोगों से बातचीत करने में डर या घबराहट महसूस करते हैं, जिसके कारण उन्हें किसी से बात करना या जुड़ना पलंग नहीं होता। जबकि ये आदत बच्चे के दिमाग और सोच पर सीधा प्रभाव डालती है और इससे बच्चा खुद को मानसिक रूप से कमजोर बनाता है। आपको अपने बच्चों को दूसरे लोगों से बात करने का तरीका और मिलने के बारे में बताना चाहिए। उन्हें ये बताएं कि क्यों दूसरों से बात करना उनके लिए जरूरी है और कैसे उनके साथ बातचीत की जाए।
सोचने की क्षमता बढ़ाने में मदद करें
बच्चे बहुत कम किसी चीज के बारे में सोचते हैं, लेकिन यही आदत उनकी लंबे समय तक रहती है तो वो बड़े होने के बाद भी सोच नहीं पाते। इसलिए बच्चों के सोचने की क्षमता को बचपन से ही बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इससे वो किसी न किसी चीज के बारे में हमेशा सोचेंगे और उन चीजों पर जानकारी प्राप्त करेंगे। इस आदत के साथ बच्चे अपने मानसिक स्वास्थ्य को जल्दी तेज बना सकते हैं।
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नींद पूरी करने की सलाह दें
नींद हर किसी उम्र के लोगों के दिमाग पर सीधा प्रभाव करती है, अगर आप रोजाना पर्याप्त नींद लेते हैं तो आप मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ महसूस कर सकते हैं। लेकिन अगर आपके बच्चे की नींद पूरी नहीं होती तो इससे वो अपने मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे को रोजाना पर्याप्त नींद पूरी करने की सलाह दें। इससे अगले दिन उनका दिमाग तेज और सक्रिय रहता है।
बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को हमेशा बेहतर और सक्रिय बनाए रखने के लिए आप इस लेख में बताए गए तरीकों का पालन कर सकते हैं। इस लेख में बताए गए सभी तरीके बच्चों की कुछ आदतों में बदलाव के साथ किए जाने वाले हैं, इसलिए आप इसे बिना डरे अपना सकते हैं।
इस लेख में दी गई जानकारी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर होने से बचाव के बारे में दी गई है। जिस पर साइकोमेट्रिक मूल्यांकन और परामर्श संस्थान में अध्यक्ष और माइंड डिजाइनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से हमने बातचीत की है।
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