बड़े ही नहीं बल्कि बच्चों में आजकल तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, आमतौर पर बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर चिंता में रहते हैं। जिसके कारण उन्हें एक प्रकार का डर लगने लगता है कि परीक्षा में क्या होगा और कैसे वो अपनी पढ़ाई को पूरा कर पाएंगे। कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें ये देखा गया है कि जब बच्चे पढ़ाई को लेकर ज्यादा सोचने या परेशान होने लगते हैं तो वो मानसिक रूप से बीमार रहने लगते हैं। ये स्थिति उस स्तर पर भी जा सकती है जब बच्चे खुद को अवसाद में देख सकते हैं। जरूरी नहीं कि बच्चों को जीवन की दूसरी चीजों से ही तनाव की स्थिति में जाना पड़े बल्कि कई बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर चिंता और तनाव की स्थिति में चले जाते हैं। इस स्थिति को रोका भी जा सकता है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी बच्चों के माता-पिता की होती है।
जी हां, बच्चा पढ़ाई या अन्य चीजों के कारण किस मानसिक स्थिति से गुजर रहा है इस बारे में उनके माता-पिता को हमेशा पता होना चाहिए। कई माता-पिता जो अपने बच्चों की मानसिक स्थिति का ध्यान नहीं रखते हैं उन लोगों के बच्चों का तनाव एक समय पर गंभीर स्थिति में पहुंचा जाता है। हालांकि कुछ माता-पिता का ये सवाल होता है कि कैसे पढ़ाई के कारण बच्चे के तनाव की स्थिति को कैसे पहचाना जाए। तो इसके लिए अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि हमने इस विषय पर बात की इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक असेसमेंट एंड काउंसलिंग की अध्यक्ष और माइंड डिजायनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से। जिन्होंने बताया कि कैसे बच्चों में तनाव पढ़ाई के कारण बढ़ता है और इस तनाव को पहचानने के लिए क्या संकेत है।
क्यों बढ़ता है बच्चों में पढ़ाई को लेकर तनाव
एक्सपर्ट कोमलप्रीत कौर बताती हैं कि बच्चों की जीवनशैली में बदलती चीजें और बदलता पढ़ाई का दबाव इसका मुख्य कारण है। पढ़ाई के साथ अन्य चीजों के दबाव को देखते हुए बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा कम होने लगती है और वो एक डर के साथ जीने लगते हैं। जिसके कारण वो तनाव या चिंता का शिकार होने लगते हैं। धीरे-धीरे ये स्थिति बच्चे में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने लगता है जो एक गलत प्रक्रिया है। इतना ही नहीं कई बार स्कूल और पढ़ाई के बीच में दूसरे बच्चे के साथ तनावपूर्ण घटनाओं को देखते हुए बच्चे खुद भी घबराने लगते हैं। आमतौ पर देखा जाता है कि बच्चे पढ़ाई को लेकर इसलिए परेशान रहते हैं क्योंकि उन्हें परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने की इच्छा रहती है। इस दौरान उन्हें कई प्रकार से दबाव का भी सामना करना पड़ता है चाहे वो परिवार की ओर से हो या फिर स्कूल की तरफ से। जिसके कारण बच्चे इस दबाव में खुद को भूलने लगते हैं और एक डर के माहौल में जीने लगते हैं, जिससे मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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बच्चे के तनाव को पहचानने के संकेत
बर्ताव में बदलाव
एक्सपर्ट कोमलप्रीत कौर का कहना है कि जब आपका बच्चा पढ़ाई के कारण तनाव या चिंता में होता है तो इस दौरान आपके बच्चे में कई प्रकार के लक्षण या संकेत नजर आने लगते हैं। जिसकी मदद से आप अपने बच्चों को पहचान सकते हैं कि आपका बच्चा तनाव या चिंता में है। लेकिन कई माता-पिता अपने बच्चों के इस तरह के लक्षणों या संकतों को नजरअंदाज करने लगते हैं जिसके कारण बच्चा एक समय पर गंभीर स्थिति का शिकार होने लगता है। ऐसे ही बच्चा जब पढ़ाई के कारण चिंता या तनाव में होता है तो इस दौरान सबसे पहला संकेत ये होता है कि आपके बच्चे का बर्ताव पहले से ज्यादा अलग हो जाता है। जी हां, आपका बच्चा इस दौरान बिलकुल शांत हो सकता है, किसी से बात न करने की इच्छा दिखा सकता है या फिर खुद को हारा हुआ महसूस करने लगता है। अगर आपका बच्चा पहले बहुत बात किया करता था और अचानक से शांत हो जाए तो आप समझ सकते हैं कि आपका बच्चा तनाव या चिंता का शिकार हो रहा है।
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रात में सोने में परेशानी
तनाव का एक और अहम संकेत जिसे माना जाता है वो है रात में नींद लेने में परेशानी होना। ये न सिर्फ बच्चों के साथ बल्कि ये बड़े लोगों के साथ भी होता है जब वो गहरी चिंता या तनाव में होते हैं। इस दौरान आपके बच्चे को भी रात में नींद लेने में परेशानी हो सकती है और वो बार-बार जाग सकता है। जिसके कारण उनकी नींद पूरी नहीं होती और वो खुद को मानसिक रूप से ज्यादा बीमार महसूस कर सकते हैं। आप अपने बच्चे को रात में जागते हुए देखकर उनसे उनकी समस्या पूछ सकते हैं और आप इस संकेत से ये जान सकते हैं कि आपका बच्चा चिंता का शिकार हो रहा है।
खानपान का त्याग करना
डाइट आपके बच्चे और आपके लिए बहुत जरूरी होती है, जो आपको पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने के साथ आपको लंबे समय तक बीमारियों से दूर रख सकती है। लेकिन जब आपका बच्चा खानपान और अपनी नियमित डाइट लेने से मना करें या बहुत कम खाना खाए तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपके बच्चे को तनाव का खतरा हो सकता है। आप अपने बच्चे की इस आदत को देखते हुए उनसे बात करें और सवाल करें कि किन कारणों से वो अपनी नियमित डाइट से दूर हैं।
चिड़चिड़ापन
चिड़चिड़ापन भी तनाव के उन लक्षणों या संकेतों में से एक है जिसकी मदद से आप पहचान कर सकते हैं कि आपका बच्चा तनाव का शिकार हो रहा है। आपको बता दें कि जब आपका बच्चा चिड़चिड़ेपन के साथ रहने लगे तो आपको ये स्थिति नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए, बल्कि आपको ये जानने की कोशिश करनी चाहिए कि आपका बच्चा किन कारणों से ऐसा हो रहा है।
हमेशा पढ़ाई करना
हमेशा पढ़ाई करना एक प्रकार का डर और दबाव हो सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं ये स्थिति तब भी पैदा हो सकती है जब आपका बच्चा तनाव या चिंता में हो। एक्सपर्ट के मुताबिक, कई ऐसे बच्चे आते हैं जो पढ़ाई या परीक्षा को बेहतर करने के लिए डरे हुए रहते हैं और लगातार पढ़ाई करने लगते हैं। ऐसे बच्चे को जब आप भी पढ़ाई कुछ देर के लिए छोड़ने को कहते हैं तो वो उन्हें अच्छा नहीं लगता है। इसके कारण बच्चे के मानसिक स्थिति बुरी होती जाती है और उन्हें अपने मानसिक तनाव को कम करने का समय नहीं मिलता है।
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कैसे करें बच्चे के तनाव को कम
- बच्चों के तनाव को कम करने के लिए जरूरी है कि आप उन्हें रोजाना एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह दें। इसकी मदद से आपका बच्चा खुद को तनावमुक्त कर सकता है साथ ही वो खुद में मानसिक ऊर्जा को भी बढ़ा सकता है।
- हेल्दी डाइट बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्थिति के लिए बहुत जरूरी है, जिसके मदद से आपका बच्चा लंबे समय तक स्वस्थ और तनाव से दूर रह सकता है। इतना ही नहीं जब आप पोषण से भरपूर डाइट अपने बच्चे को देते हैं तो इससे आपके बच्चे का मूड भी बेहतर होता है।
- बच्चे के शारीरिक लक्षणों या संकेतों को देखते हुए जरूरी है कि आप उनसे बात करें और उनकी समस्या को समझने की कोशिश करें। आप अपने बच्चे के तनाव को कम करने के लिए रोजाना बच्चे से उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें और उनसे पूछे कि पढ़ाई में कोई परेशानी तो नहीं।
(इस लेख में दी गई जानकारी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक असेसमेंट एंड काउंसलिंग की अध्यक्ष और माइंड डिजायनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से बातचीत पर आधारित है)।