कुछ बच्चे मां का दूध नहीं पीते हैं। दरअसल, कुछ शिशुओं को दूध से एलर्जी होती है, ऐसे में डॉक्टर शिशु की जरुरत को फॉर्मूला मिल्क से पूरा करने की सलाह देते हैं। वहीं, जिन महिलाओं को डिलीवरी के बाद दूध बनने में समस्या होती है, वह भी बच्चे को फॉर्मूला मिल्क मिलते हैं। इसके लिए सोयाबिन फॉर्मूला मिल्क एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। सोयाबिन से तैयार फॉर्मूला मिल्क में कई पोषक तत्व होते हैं। बच्चों को एलर्जी होने पर माता-पिता को चितिंत होती है। आगे मदर एंड चाइल्ड केयर के बच्चों के सीनियर पीडियेट्रिशियन डॉक्टर राजीव जैन जानते हैं कि सोया फॉर्मूला मिल्क बच्चों के लिए सुरक्षित होता है या नहीं?
क्या बच्चों को सोया फॉर्मूला मिल्क देना सुरक्षित होता है? - Is Soy Formula Milk Safe For Babies In Hindi
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार सोया आधारित फॉर्मूला मिल्क शिशुओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होता है। यह गाय के दूध की तरह ही पोषण प्रदान करता है। हालांकि, शिशुओं के लिए तैयार सोया मिल्क फॉर्मूला व्यस्कों के सोया मिल्क से अलग होता है। सोया दूध पिसे हुए सोयाबीन के पेस्ट से बनाया जाता है। यह सोयाबिन पेस्ट, पानी और वनस्पति तेल के इमल्शन से तैयार किया जाता है। वस्यकों के लिए तैयार मिल्क बच्चों को पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में उन्हें व्यस्कों के लिए तैयार सोया मिल्क नहीं दिया जाना चाहिए।
शिशुओं के लिए तैयार सोया मिल्क फार्मूला सोयाबीन से सोया प्रोटीन और अन्य आवश्यक पोषक तत्व निकाले जाते हैं, जो बच्चे के लिए आवश्यक होते हैं। डॉक्टर के अनुसार दो साल से छोटे बच्चे कोे नियमित रूप से सोया मिल्क न दें। सोया शिशु फार्मूला मिल्क दो साल से छोटे बच्चे को दिया जा सकता है। समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को सोया शिशु फॉर्मूला नहीं देना चाहिए, क्योंकि उनके शरीर में सोयाबीन के कुछ कंपाउंड्स को पचाने में जैव रसायनिक प्रक्रिया नहीं होती है। इसके अलावा, समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को सोया फॉर्मूला मिल्क देने से ऑस्टियोपेनिया होने का खतरा हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें नई हड्डियां कोशिकाएं के अपर्याप्त बनने की वजह से टूट जाती हैं।
शिशुओं को सोया फॉर्मूला मिल्क कब दिया जाता है? - When Would You Give Soy Infant Formula In Hindi
गैलेक्टोसिमिया
जिन शिशुओं को गैलेक्टोसिमिया होता है, उनको फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है। यह एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है, इस स्थिति में शिशु के शरीर में गैलेक्टोज (दूध में मौजूद शर्करा) को ग्लूकोज में परिवर्तित करने की क्षमता नहीं होती है। मां से मिलने वाले दूध और अन्य सभी प्रकार के दूध में गैलेक्टोज पाया जाता है, इससे पीड़ित शिशु को स्तनपान कराना असंभव हो जाता है।
लैक्टोज इंटोलरेंस
कुछ शिशुओं में लैक्टोज इंटोलरेंस होता है। इस स्थिति को लैक्टोज एलर्जी कहा जाता है। जिन शिशुओं को लैक्टोज से एलर्जी होती है, उन्हें सोया बेस्ड फॉर्मूला दिया जा सकता है, जो स्वाभाविक रूप से लैक्टोज शुगर से मुक्त होते हैं।
इसे भी पढ़ें: एक साल से कम उम्र के बच्चों को क्यों नहीं पिलाना चाहिए गाय का दूध? एक्सपर्ट से जानें
शिशुओं को मिल्क एलर्जी होने पर उन्हें सोया मिल्क फॉर्मूला दे सकते हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चों को कुछ दिनों के अंतराल में या डॉक्टर की सलाह पर सोया फॉर्मूला मिल्क दिया जाता है। सोया फॉर्मूला मिल्क बच्चे की पोषण की जरूरतों को पूरा करने में मददगार होता है।