Myths of Formula Milk in Hindi: डिलीवरी के बाद जब शिशु मां की गोद में आता है, तो मां को सबसे ज्यादा चिंता होती है कि कैसे शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराया जाए। लेकिन कुछ महिलाओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में फॉर्मूला मिल्क ही सबसे बेहतर विकल्प सामने आता है। मांओं को लगता है कि फॉर्मूला मिल्क देना शिशु के लिए गलत है और इसकी वजह मिथकों पर विश्वास करना है। इसलिए वे काफी परेशान रहती हैं। अगर मां ब्रेस्टफीड नहीं करा पाती है, तो क्या उसे फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए। इस बारे में हमने दिल्ली के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के नियोनेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशियन विभाग के कंसल्टेंट डॉ.अभिषेक चोपड़ा (Dr Abhishek Chopra, Consultant Neonatologist and Pediatrician, Cloudnine Group of Hospitals, Punjabi Bagh, New Delhi) से बात की। उन्होंने कई मिथकों की सच्चाई बताई, जो हर मां को पढ़नी चाहिए।
फॉर्मूला मिल्क से जुड़े मिथक और उसकी सच्चाई (Formula Milk Myths and Facts)
मिथक: फॉर्मूला मिल्क देने से शिशु का मां के साथ बॉन्ड नहीं बन पाता।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक कहते हैं, “यह मिथक गलत है क्योंकि मां और शिशु का बॉन्ड सिर्फ दूध से नहीं होता, बल्कि प्यार, गोद में समय बिताने और देखभाल से बनता है। अगर महिला को किसी भी मेडिकल कंडीशन या फिर ब्रेस्ट मिल्क न आने के कारण ब्रेस्टफीड नहीं करा पा रही हैं और फॉर्मूला मिल्क देना पड़ रहा है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। डॉक्टर से सलाह लेकर फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है और इसे देने से भी मां और शिशु के बीच गहरा और प्यारा रिश्ता बन सकता है।”
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मिथक: फॉर्मूला मिल्क देने से शिशु की इम्युनिटी कमजोर होती है।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक बताते हैं कि वैसे तो मां का दूध ही सबसे बेहतर होता है, फिर चाहे बात इम्युनिटी की हो, क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर फॉर्मूला मिल्क पी रहा शिशु बीमार ही होगा। सही साफ-सफाई और डॉक्टर की सलाह से फॉर्मूला मिल्क देने पर शिशु सेहतमंद रह सकता है।
मिथक: फॉर्मूला मिल्क शिशु को पूरा न्यूट्रिशन नहीं देता।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक कहते हैं,”आज जो भी फॉर्मूला मिल्क बन रहे हैं, उनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन और मिनरल्स होते हैं। ये शिशु की जरूरत के अनुसार उन्हें पूरा पोषण देते हैं। हालांकि मैं बार-बार ब्रेस्टफीड कराने पर ही जोर देता हू क्योंकि उससे बेहतर और कुछ नहीं है। अगर ब्रेस्टफीड उपलब्ध न हो, तो फॉर्मूला भी शिशु को जरूरी पोषण देता है।
मिथक: फॉर्मूला मिल्क डाइजेस्ट करना मुश्किल होता है।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक बताते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क हल्का और पचने में आसान होता है, जबकि फॉर्मूला थोड़ा भारी होता है। लेकिन इस दूध से हर शिशु को दिक्कत नहीं होती। अगर मां डॉक्टर की सलाह लेकर सही ब्रांड और सही मात्रा में देती हैं, तो शिशु को कोई ज्यादा दिक्कत नहीं होती। इससे कब्ज या गैस की शिकायत ज्यादा नहीं होती। अगर शिशु को असहज महसूस होता है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
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मिथक: फॉर्मूला मिल्क में हानिकारक केमिकल्स होते हैं।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक कहते हैं कि फॉर्मूला मिल्क WHO के सेफ्टी मानकों के अनुसार ही बनते हैं। क्वालिटी के लिए कई टेस्ट होते हैं। इसलिए ये कहना गलत है कि फॉर्मूला मिल्क में किसी भी तरह के हानिकारक केमिकल्स होते हैं। बस मां को यह ध्यान रखना चाहिए कि मिल्क बनाते समय साफ पानी और साफ बोतल होनी चाहिए ताकि इससे इंफेक्शन न हो।
मिथक: फॉर्मूला मिल्क पीने वाले शिशुओं के कान में इंफेक्शन होता है।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक ने बताया कि हालांकि कुछ रिसर्च में आया कि शिशु को लिटाकर बोतल से पिलाने पर दूध का प्रवाह कान तक पहुंच सकता है। इससे इंफेक्शन हो सकता है, लेकिन अगर कुछ सावधानियां बरती जाए तो इससे बचा जा सकता है। शिशु को हमेशा सीधा या हल्का ऊंचा बैठाकर फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए।
मिथक: फॉर्मूला मिल्क पीने वाले शिशु रात में ज्यादा सोते हैं।
सच्चाई: डॉ.अभिषेक कहते हैं, “फार्मूला मिल्क ब्रेस्ट मिल्क से थोड़ा भारी होता है, इसलिए शिशु कभी-कभी लंबे समय तक सो सकता है। नवजात शिशु को हर 2-3 घंटे में दूध की जरूरत होती है। इसलिए लंबे समय तक सोना हमेशा सेहतमंद नहीं होता, इसलिए रात में समय-समय पर शिशु को जगाकर दूध देना जरूरी है।
निष्कर्ष
डॉ. अभिषेक जोर देते हुए कहते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग ही हमेशा पहला और सबसे अच्छा ऑप्शन है, लेकिन यदि किसी कारणवश यह संभव न हो, तो फॉर्मूला मिल्क सेफ ऑप्शन है। जरूरी है कि इसे डॉक्टर की सलाह और साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।