छोटे बच्चों के लिए पोषण का चुनाव करते समय माता-पिता अक्सर इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि उन्हें कौन से खाद्य पदार्थ देने चाहिए और कौन से नहीं। दूध को पोषण का एक जरूरी स्रोत माना जाता है, लेकिन जब बात कच्चे दूध (Raw Milk) की आती है, तो यह सवाल उठता है कि क्या इसे छोटे बच्चों को दिया जाना चाहिए? कच्चा दूध सीधे गाय, भैंस या बकरी से प्राप्त किया जाता है और इसमें किसी प्रकार की प्रोसेसिंग नहीं की जाती, जिससे इसके पोषक तत्व प्राकृतिक रूप में मौजूद रहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कच्चा दूध पाश्चराइज्ड दूध की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें ज्यादा एंजाइम, विटामिन और गुड बैक्टीरिया होते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे दूध में हानिकारक बैक्टीरिया जैसे ई. कोलाई, साल्मोनेला और लिस्टेरिया हो सकते हैं, जो छोटे बच्चों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कच्चा दूध बच्चों के लिए सही विकल्प है या नहीं। इस लेख में हम जानेंगे कि एक्सपर्ट्स का इस पर क्या कहना है और बच्चों के लिए कौन सा दूध सबसे सुरक्षित है और कच्चे दूध का सेवन बच्चों को करवाना ठीक है या नहीं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के विकास नगर में स्थित न्यूट्रिवाइज क्लीनिक की न्यूट्रिशनिस्ट नेहा सिन्हा से बात की।
क्या बच्चों को कच्चा दूध पिलाना सुरक्षित है?- Is Raw Milk Safe For Toddlers
बच्चों को कच्चा दूध पिलाना सुरक्षित नहीं है। इस विषय पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि छोटे बच्चों को कच्चे दूध के मुकाबले पाश्चराइज्ड मिल्क (Pasteurized milk) देना ज्यादा सुरक्षित विकल्प है। पाश्चराइजेशन एक प्रक्रिया है, जिसमें दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म करके उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर दिया जाता है, जिससे यह सुरक्षित और ज्यादा सेहतमंद बनता है।विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे दूध के पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए उसे उबालकर दिया जा सकता है। उबला हुआ दूध बैक्टीरिया से मुक्त होता है और बच्चों की पाचन क्रिया के लिए ज्यादा सुरक्षित होता है। इसके अलावा, अगर बच्चा दूध से एलर्जी और लैक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित है, तो उसे लैक्टोज-फ्री दूध या सोया दूध जैसे अन्य विकल्प भी दिए जा सकते हैं। 2 साल की उम्र के बाद, बच्चों को कम फैट वाला दूध दिया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह से स्किम्ड मिल्क देने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें जरूरी पोषक तत्व कम होते हैं।
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छोटे बच्चों के लिए कच्चे दूध के नुकसान- Raw Milk Side Effects For Toddlers
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चे दूध में बैक्टीरिया और हानिकारक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं, जो बच्चों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं-
- सबसे बड़ा खतरा बैक्टीरियल इंफेक्शन का होता है। कच्चे दूध में ई. कोलाई, साल्मोनेला, लिस्टेरिया जैसे बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, जो पेट में इंफेक्शन, उल्टी, दस्त और बुखार का कारण बन सकते हैं। छोटे बच्चों की इम्यूनिटी विकसित हो रही होती है, इसलिए वे इन इंफेक्शन के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं।
- इसके अलावा, कच्चा दूध पीने से फूड पॉइजनिंग का खतरा भी रहता है, जो शरीर में डिहाइड्रेशन और कमजोरी का कारण बन सकता है। कई मामलों में, यह इंफेक्शन इतना गंभीर हो सकता है कि बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है।
- कुछ बच्चों में लैक्टोज इंटॉलरेंस (Lactose Intolerance) की समस्या होती है, जिससे वे दूध में मौजूद लैक्टोज को पचा नहीं पाते। कच्चा दूध लैक्टोज से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है और गैस, पेट दर्द और अपच जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
इसके अलावा, अगर दूध को सही तरीके से कलेक्ट नहीं किया गया या दूषित वातावरण में रखा गया, तो यह जल्दी खराब हो सकता है और बच्चे को बीमार कर सकता है। इसलिए, एक्सपर्ट्स कच्चे दूध को उबालकर या पाश्चराइज्ड रूप में देने की सलाह देते हैं, ताकि इंफेक्शन के खतरे को कम किया जा सके।
छोटे बच्चों को कच्चे दूध की जगह पाश्चराइज्ड मिल्क ही दें। ताजा दूध खरीद रहे हैं, तो उसे बच्चे को उबालकर पिलाएं।
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