Prevention Ways of Milk Bottle Cavity: अक्सर माता-पिता यह मान लेते हैं कि शिशु के दूध के दांत स्थायी नहीं होते, इसलिए उनकी ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं है। लेकिन यह सोच काफी हानिकारक साबित हो सकती है। शिशु के शुरुआती दांत ही उनके आगे आने वाले स्थायी दांतों की नींव रखते हैं। लखनऊ के इन्दिरा नगर में स्थित शेखर डेंटल क्लीनिक के डॉ अनुभव श्रीवास्तव ने बताया कि अगर दूध के दांतों में कैविटी हो जाए, खासकर मिल्क बॉटल की वजह से, तो न सिर्फ दर्द और इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है, बल्कि भविष्य में बच्चे के दांत टेढ़े-मेढ़े, कमजोर और जल्दी गिरने वाले भी हो सकते हैं। इसे मेडिकल भाषा में बॉटल कैरिज या बॉटल टूथ डिके (Bottle Tooth Decay) कहा जाता है। जब बच्चे को रातभर या लंबे समय तक बोतल से दूध, जूस या मीठा पेय दिया जाता है, तो उनके दांतों पर शुगर जमा हो जाती है और बैक्टीरिया उसे एसिड में बदल देते हैं, जिससे दांतों में सड़न शुरू हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता सही समय पर सावधानी बरतें और कुछ आसान आदतों को अपनाकर अपने बच्चे के दांतों को इस गंभीर समस्या से बचाएं। आइए जानते हैं डॉक्टर द्वारा बताए गए 7 असरदार और आसान उपाय।
1. रात में बच्चे को बोतल से दूध न दें- Avoid Night Time Bottle Feeding
सोते समय बोतल से दूध पिलाने की आदत बच्चों में दांतों की सड़न का सबसे बड़ा कारण है। दूध या जूस में मौजूद शुगर पूरी रात दांतों पर जमी रहती है, जिससे बैक्टीरिया पनपते हैं। अगर बच्चा रात में दूध के बिना नहीं सोता, तो बोतल में केवल पानी दें या दूध दें, तो बच्चे का मुंह पानी से साफ कर दें।
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2. दूध पिलाने के बाद मुंह साफ करें - Clean Baby’s Mouth After Every Feed
हर बार दूध या कुछ मीठा पिलाने के बाद शिशु के मसूड़ों और दांतों को साफ करना जरूरी है। आप नरम कपड़े या गॉज से मसूड़ों को पोंछें। दांत आने के बाद सॉफ्ट बेबी टूथब्रश से बिना टूथपेस्ट के ब्रश करें।
3. मीठे तरल पदार्थों से बचें- Avoid Sweetened Liquids in Bottle
बोतल में दूध, जूस या शरबत जैसे मीठे तरल न डालें। इससे दांतों पर शुगर की परत जम जाती है। अगर शिशु को जूस देना है, तो कप में थोड़ा-थोड़ा दें और उसके बाद पानी जरूर पिलाएं।
4. पेसिफायर का इस्तेमाल कम करें- Limit Use of Pacifier
कई माता-पिता शिशु को सुलाने के लिए शहद या मीठा कुछ चूसने को दे देते हैं। ये आदतें दांतों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। पेसिफायर का इस्तेमाल कम से कम करें और उसे समय-समय पर साफ रखें।
5. डेंटल चेकअप जल्दी शुरू करें- Start Oral Checkup Early
पहला दांत आते ही या 1 साल की उम्र तक शिशु को डेंटिस्ट के पास जरूर ले जाएं। इससे प्रारंभिक समस्याएं पकड़ी जा सकती हैं और सही सलाह मिलती है कि किस तरह दांतों की देखभाल करनी है।
6. सही टूथब्रश और पेस्ट का इस्तेमाल- Use Right Toothbrush and Toothpaste
6 महीने के बाद जब शिशु के दांत आने लगते हैं, तो उनके लिए खास बेबी टूथब्रश और फ्लोराइड-फ्री पेस्ट का इस्तेमाल करें। शुरुआत में बहुत कम मात्रा में पेस्ट लगाएं, मात्रा की बात करें, तो मटर के दाने जितनी मात्रा काफी है।
7. बच्चे को कप से पीने की आदत डालें- Encourage Cup Feeding Early
12 से 18 महीने की उम्र तक बच्चे को बोतल छोड़कर कप से पीने की आदत डालनी चाहिए। इससे शुगर लंबे समय तक दांतों पर नहीं टिकती और मिल्क बॉटल कैविटी का खतरा कम हो जाता है।
शिशु के दूध के दांत भी उतने ही जरूरी हैं जितने स्थायी दांत, क्योंकि वे भविष्य में दांतों के विकास और उनके आकार को प्रभावित करते हैं। मिल्क बॉटल कैविटी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। सही समय पर सावधानी और डेंटल हाइजीन अपनाकर आप अपने बच्चे को इस परेशानी से बचा सकते हैं।
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image credit: fuchsdental.net
FAQ
क्या बोतल से दूध पिलाना हानिकारक है?
हां, अगर बोतल से बार-बार या रात में दूध पिलाया जाए, तो शिशु के दांतों पर शुगर जमा होती है, जिससे कैविटी का खतरा बढ़ता है। बोतल से पानी देना बेहतर विकल्प है।दूध के दांत किस आयु तक गिर जाते हैं?
बच्चों के दूध के दांत आमतौर पर 6 से 12 साल की उम्र के बीच धीरे-धीरे गिरते हैं। उनकी जगह स्थायी दांत आते हैं, इसलिए दूध के दांतों की देखभाल बहुत जरूरी है।अगर बच्चे के दांतों में कैविटी हो तो क्या करें?
अगर बच्चे के दांतों में कैविटी है, तो तुरंत डेंटिस्ट से संपर्क करें। समय रहते इलाज करवाएं, वरना दांत में दर्द, सूजन या इंफेक्शन की संभावना बढ़ सकती है।