सुबह प्राणायाम करना है बहुत फायदेमंद, जानें कितने प्रकार के होते हैं ये और क्या है अभ्यास का सही तरीका

स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से प्राणायाम करना बहुत जरूरी होता है। प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है। प्राणायाम कई तरीकों से किया जा सकता है।
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सुबह प्राणायाम करना है बहुत फायदेमंद, जानें कितने प्रकार के होते हैं ये और क्या है अभ्यास का सही तरीका


Pranayam Benefits: प्राणायाम स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी होता है। प्राणायाम करने से स्वस्थ तंत्र मजबूत बनता है, पेट से जुड़े रोग दूर होते हैं और पाचन क्रिया दुरुस्त बनती है। प्राणायाम दो शब्दों प्राण+आयाम से मिलकर बनता है। इसमें प्राण का मतलब श्वसन और आयाम का मतलब रोकना है। यानी खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना है। कपालभाति, अनुलोम-विलोम प्राणायाम के बारे में आपने जरूर सुना होगा। लेकिन आज हम आपको प्राणायाम से जुड़े इसके अन्य प्रकारों के बारे में भी बताने जा रहे हैं। जानें प्राणायाम के प्रकार (types of pranayam)- 

1. भस्त्रिका प्राणायाम (bhastrika pranayama in hindi)

भस्त्रिका प्राणायाम श्वसन तंत्र के लिए एक बेहतरीन प्राणायाम है। इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी कमर, गर्दन, पीठ और रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें। शरीर को स्थिर रखें। अब अपने दोनों नासिका छिद्र से आवाज करते हुए श्वास भरें। इसके बाद आवाज करते हुए श्वास बाहर छोड़ दें। आप ऐसे 10-15 बार दोहरा सकते हैं।

pranayam benefits

(image source : deetsforyou)

2. कपालभाति (kapalbhati benefits in hindi)

कपालभाति पेट और श्वसन तंत्र के लिए एक बेहतरीन प्राणायाम है। इसके लिए आप सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बना लें। दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अब लंबी गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खीचें। इसे रोज करने से आपको काफी फायदा नजर आएगा। इस प्राणायाम को आप अपनी क्षमतानुसार कर सकते हैं।

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3. उज्जायी प्राणायाम (ujjayi pranayama in hindi)

उज्जायी प्राणायाम करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है। इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इसका अभ्यास सर्दी को दूर करने के लिए किया जा सकता है। उज्जायी प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले किसी आरामदायक आसान में बैठ जाएं। अब अपने श्वांस लेने की गति को निरंतर रखें और समान रूप से सांस लेते रहें। गले पर ध्यान केंद्रित करें। विचारों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। ध्यान लगाने के थोड़ी देर बाद सोचे की सांस गले से गुजर रहा है और लौट रहा है, यह क्रिया निरंतर चल रही है। इसके साथ अपने कंठ द्वार को संकुचित करने का प्रयास करें। इससे सांस की आवाजें सुनाई देने लगेगी। आप इसका अभ्यास 10-20 मिनट कर सकते हैं।

4. शीतली प्राणायाम (sheetali pranayama steps and benefits)

शीतली प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अपनी जीभ को बाहर निकालें। उसे गोल घुमाएं और लंबी गहरी सांस लें। दाहिए नाक से सांस बाहर निकालें। इसके बाद फिर से जीभ निकालें, गोल घुमाएं और सांस लें। फिर बाएं नाक से सांस बाहर निकालें। इससे आपको बॉडी में कूलिंग इफेक्ट मिलेगा। शीतकारी प्राणायाम तन और मन को शांत करता है

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(image source : Istock)

5. शीतकारी प्राणायाम (sitkari pranayama)

शीतकारी प्राणायाम करने के लिए ऊपर और नीचे के दांतों को मिला लें। सीटी जैसी आवाज निकालें। अब दाएं नाक से सांस लेकर बंद कर दें और बाएं नाक से सांस छोड़ दें। आप इस प्रक्रिया को 10-15 बार दोहरा सकते हैं।

6. चंद्र अनुलोम-विलोम ( anulom-vilom)

चंद्र अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। नासिका मुद्रा या विष्णु मुद्रा को हाथों से दबाएं। अब दाहिने अंगूठे से दाएं नाक को बंद करें। बाएं नाक से सांस लें और 4-8 तक गिनती करें। इसके बाद सांस छोड़ दें। आप इस प्रक्रिया को 4-8 बार दोहरा सकते हैं। अब बाएं नाक को उंगुली से दबाएं और दाएं नाक से सांस लें-छोड़ें। आप अनुलोम विलोम भी कर सकते हैं।

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7. नाड़ी शुद्धि प्राणायाम

नाड़ी शुद्धि प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले दाहिने नाक को बंद करके बाएं नाक से सांस लें। इसके बाद दोनों नाक छिद्रों को बंद कर दें। इसके बाद दाएं नाक से सांस छोड़ें। फिर दोनों नाक से सांस लें और दोनों नाक को बंद कर दें। इसके बाद बाएं नाक से सांस छोड़ें। सांस लेने के बाद 4-8 तक की गिनती करने के बाद सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को आप 10 बार तक दोहरा सकते हैं।

8. भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम करना काफी फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। दोनों आंखें बंद करें। दोनों हाथों की तर्जनी उंगुली को कान में डालें। ओम का उच्चारण करते हुए नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। भ्रामरी प्राणायाम इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है

आप भी स्वस्थ रहने के लिए इन प्राणायामों को अपनी जीवनशैली में शामिल कर सकते हैं। यह प्राणायाम श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। प्राणायाम करने से मन, आत्मा और शरीर को शांति मिलती है। नियमित प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत बनाता है।

(main image source : wockhardthospitals.com, Women fitness )

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