International Yoga Day 2021: तन और मन को हमेशा शांत रखने के लिए नियमित रूप से करें 'शीतकारी प्राणायाम'

अगर आप भी अपने मन को शांत रखने के साथ खुद को हमेशा तनावमुक्त रखना चाहते हैं तो नियमित रूप से जरूर करें शीतकारी प्राणायाम।
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International Yoga Day 2021: तन और मन को हमेशा शांत रखने के लिए नियमित रूप से करें 'शीतकारी प्राणायाम'


शीतकारी प्राणायाम एक प्रकार से शीतली प्राणायाम की तरह ही है लेकिन दोनों अलग हैं और जरूरत अनुसार किए जाते हैं।  ये किसी बीमारी से पीड़ित रोगी को करने के लिए नहीं बना बल्कि इसे कोई भी आसानी से कर सकता है। ये आपको शारीरिक और मानसिक रूप से काफी फायदा पहुंचाने का काम करता है। शीतकारी प्राणायाम करने से आपका मन शांत और ठंडा होता है। ये आपके दिमाग के उन बिंदुओं पर काम करता है जो आपके शरीर के तापमान को केंद्रीत करते हैं। ये हमे मानसिक रूप से स्वस्थ करने के साथ ही कई स्वास्थ्य परेशानियों से भी दूर करने का काम करता है। आइए इस लेख के जरिए आपको शीतकारी प्राणायाम के बारे में सभी जानकारी देते हैं। 

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शीतकारी प्राणायाम के फायदे

  • शारीरिक और मानसिक रूप से आपको करता है शांत। 
  • तनाव को दूर भगाने में है मददगार। 
  • नियमित रूप से शीतकारी प्राणायाम करने से आपकी मांसपेशियों को काफी आराम मिलता है। 
  • प्यास और भूख पर करता है नियंत्रण। 
  • दांतों और मसूड़ों को रखता है स्वस्थ। 

शीतकारी प्राणायाम करने का तरीका

  • शीतकारी प्राणायाम करने के लिए आप सबसे पहले साफ-सुथरी और खुली जहग पर बैठें। 
  • ध्यान लगाने वाली मुद्रा में बैठकर आप अपनी आंखें बंद कर पूरे शरीर को आराम देने की कोशिश करें। 
  • मुंह को बिलकुल सीधा रखकर दांतों को हल्का सा जुड़ा हुआ रखें और अपने होंठों को थोड़ा सा खुला रखें। 
  • इसके बाद आप अपनी जीभ को ऊपर की ओर चिपाते हुए वहीं रखें। 
  • अब एक लंबी सांस लेते हुए अपने मुंह को बंद करने की कोशिश करें। 
  • फिर सांस को अंदर से बाहर छोड़ने के लिए अपनी नाक का इस्तेमाल करें और धीरे-धीरे नाक से सांस को त्यागें। 
  • आप इस प्रक्रिया को काफी धीरे-धीरे करें और इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं। 

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शीतकारी प्राणायाम करने के बाद जरूर करें शवासन

शीतकारी प्राणायाम के बाद आपको शवासन जरूर करना चाहिए, ये आपके शरीर को पूरा आराम देने के साथ कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। 

    • शवासन करने के लिए आप सबसे पहले आप एक साफ-सुथरी जगह पर लेट जाएं।
    • लेटते हुए ध्यान रखें कि आपकी पीठ बिलकुल सीधी हो और आपके दोनों कंधे जमीन पर लगे हों। 
    • दोनों हाथों और उंगलियों को पूरी तरह से खोलकर आराम से फैला लें।  
    • अब आंखों को बंद कर धीरे-धीरे सांस लेने की कोशिश करें।
    • शवासना को करने के दौरान आप खुद को पूरा आराम देने की कोशिश करें। 

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शीतकारी प्राणायाम करते हुए ये सावधानियां बरतें

  • बुजुर्ग जिन लोगों के दांत काफी कमजोर या जिन लोगों दांत नहीं होते उन लोगों को शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए। आप इसकी जगह शीतली प्राणायाम कर सकते हैं। 
  • सांस से संबंधित रोग या अस्थमा रोगियों को नहीं करना चाहिए शीतकारी प्राणायाम।
  • हृदय रोगियों के लिए ये प्राणायाम थोड़ा मुश्किल और कठिन हो सकता है।
  • कब्ज की शिकार लोगों को भी नहीं करनी चाहिए शीतकारी प्राणायाम।
  • कोशिश करें कि आप सुबह के ठंडे मौसम में ही शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करें। 

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