डिलीवरी के बाद डिप्रेशन कम करने में मददगार हैं ये योगासन, स्टडी में सामने आई बात

एक नई स्टडी में पाया गया है कि नियमित योगासन और प्राणायाम पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण कम कर सकते हैं। जानें डिलीवरी के बाद डिप्रेशन में कौन से योगासन मन को शांत कर सकते हैं और कैसे मदद करते हैं।
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डिलीवरी के बाद डिप्रेशन कम करने में मददगार हैं ये योगासन, स्टडी में सामने आई बात

डिलीवरी के बाद का समय किसी भी नई मां के लिए आसान नहीं होता। शरीर पहले ही कई बदलावों से गुजर रहा होता है और ऊपर से नींद की कमी, लगातार थकान, हार्मोनल उतार-चढ़ाव और नई जिम्मेदारियां मन पर गहरा असर डालती हैं। कई बार यही स्थिति धीरे-धीरे पोस्टपार्टम डिप्रेशन का रूप ले लेती है। ऐसे समय में महिलाओं में दुख, चिंता, रोने का मन होना, चिड़चिड़ापन या मानसिक थकान जैसी समस्याएं हफ्तों तक बनी रहती हैं। ये हालत सिर्फ भावनाओं से जुड़ी नहीं है, बल्कि पूरी लाइफ और रिश्तों को प्रभावित कर सकती है।


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लेकिन अच्छी बात यह है कि हाल में एक वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आया है कि योगासन ऐसे समय में महिला की मदद कर सकते हैं।

The Effect of Yoga on Women with Postpartum Depression नाम से प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि नियमित योगाभ्यास करने से नई मां के मूड, नींद, मानसिक स्थिति और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार आ सकता है। यानी योग सिर्फ शरीर को ही नहीं, बल्कि डिलीवरी के बाद मानसिक स्थिति को संभालने में भी मदद कर सकता है। यह अध्ययन पतंजलि विश्वविद्यालय (University of Patanjali) के योग साइंस विभाग ने किया है।

अब सवाल यह है कि कौन-से ऐसे योगासन हैं, जो पोस्टपार्टम डिप्रेशन में मदद कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में।

1. शवासन

डिलीवरी के बाद शरीर और मन दोनों को आराम की जरूरत होती है। शवासन स्ट्रेस के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि ये पूरी तरह से विश्राम देने वाला आसन है। इसे करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं।

कैसे करें:

आराम से पीठ के बल लेट जाएं, हथेलियां खुले रखें, आंखें बंद करें और खुद को 5-10 मिनट के लिए गहरी सांस लें और खुद को सांस लेता हुआ महसूस करें।

इसे भी पढ़ें: डिलीवरी के बाद इन 5 संकेतों को न करें नजरअंदाज, हो सकता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन

2. पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तासन भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लिए बहुत अच्छा आसन है। जब हम आगे झुकते हैं और सांस को लंबा और नियंत्रित लेते हैं, तो यह मानसिक तनाव कम करने में मदद करता है। खासकर मां बनने के बाद, जो भावनात्मक थकान होती है, उसके लिए यह आसन अच्छा है।

कैसे करें:

पैरों को सामने सीधा रखें, धीरे-धीरे आगे झुकें और हाथ पैरों की ओर बढ़ाएं। सांस अंदर-बाहर शांत रखें।

3. अनुलोम-विलोम प्राणायाम

यह प्राणायाम श्वसन (सांस) तंत्र को शांत करता है और मन को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ाता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जुड़ी बेचैनी, घबराहट और नींद न आने जैसी समस्याओं में यह उपयोगी साबित होता है।

कैसे करें:

दाएं अंगुली से एक नसिका छिद्र बंद करें, दूसरे से धीरे-धीरे सांस लें। फिर पहले जिस नसिका छिद्र को बंद किया था, उसी से सांस को बाहर छोड़ें। ऐसा ही दूसरी तरफ से भी करें। शुरुआत में 5-7 मिनट करें। इससे आपको आराम मिलेगा।

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4. गरुड़ासन

यह आसन शरीर-मन को संतुलित करता है, हाथ-पैरों को क्रॉस करके किए जाने वाला हल्का आकार शरीर में ऊर्जा लाता है और मानसिक संतुलन को सुधारता है।

कैसे करें:

खड़े हो जाएं, एक पैर दूसरे पैर के ऊपर लपेटें (या बैठकर हल्की क्रॉस करें), हाथों को सामने में क्रॉस करें और आंखें बंद कर सांस-प्रवाह पर ध्यान दें।

5. भ्रामरी प्राणायाम

मां बनने के बाद मन अक्सर चिंता, गिल्ट या थकान महसूस करता है। भ्रामरी प्राणायाम इन भावनाओं को शांत करने का तरीका है। जब आप ‘हम्’ की ध्वनि के साथ सांस छोड़ते हैं, तो यह मस्तिष्क-तंत्रिका तंत्र को आराम देता है।

कैसे करें:

बैठकर गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ते समय ‘म’ या ‘हूँ’ की ध्वनि करें। 5 से 7 मिनट तक इसे दोहराएं।

इसे भी पढ़ें: पोस्टपार्टम डिप्रेशन कितने समय तक रह सकता है? एक्सपर्ट से जानें इसे कम करने के तरीके

योग पोस्टपार्टम डिप्रेशन में कैसे मदद करता है?

स्‍टडी में पाया गया कि डिलीवरी के बाद नियमित योगासन करने से डिप्रेशन स्कोर (उदासी, चिंता या आत्मग्लानि जैसी भावना) में पर्याप्त कमी आई। इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, जैसे योग से स्ट्रेस-हॉर्मोन्स कम होते हैं, मन शांत होता है। इसके अलावा प्राणायाम और आसनों से श्वसन पर बहुत फोकस होता है। सांसों पर ध्यान देने से दिमाग रिलैक्स होता है और मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं।

ध्यान देने की बात यह है कि सिर्फ योगासन करने से ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है। स्टडी में कहा गया है कि योग को मेन ट्रीटमेंट नहीं, बल्कि एक "पूरक उपाय" के रूप में देखना चाहिए, खासकर अगर डिप्रेशन की स्थिति गंभीर हो।

Patanjali Ayurveda का सुझाव

कुल मिलाकर डिलीवरी के बाद सिर्फ बॉडी ही नहीं, मन भी देखभाल मांगता है। Patanjali Ayurveda ज्यादातर बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक जीवनशैली के साथ योग को अपनाने की सलाह देता है। नियमित योगाभ्यास और आयुर्वेद की मदद से न सिर्फ बीमारियों को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि कई बार इन्हें पूरी तरह खत्म भी किया जा सकता है।

डिलीवरी के बाद डिप्रेशन व मानसिक थकान जैसी समस्या आम है और इसे घर-परिवार के लोगों को समझना चाहिए। ऐसे समय में अगर महिला का परिवार का साथ मिले, जीवनशैली और खानपान सही रखा जाए और थोड़े योगासन या एक्सरसाइज को डेली रूटीन का हिस्सा बनाया जाए, तो महिला बहुत जल्दी इस डिप्रेशन को हरा सकती है।

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  • Nov 19, 2025 17:49 IST

    Published By : Anurag Gupta

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