How Long Can Postpartum Depression Last And Can You Shorten It In Hindi: प्रेग्नेंसी के सफर के बाद जब डिलीवरी हो जाती है, तो कई लोगों को लगता है कि उनकी परेशानियों के दिन खत्म हो गए हैं। लेकिन, ऐसा नहीं होता है। कई महिलाएं डिलीवरी के बाद इसलिए मानसिक और शारीरिक समस्याओं से दो-चार हो जाती हैं। इसके साथ ही, उन पर बच्चे की जिम्मेदारी भी हो जाती है, जो कि उन्हें प्रॉपर आराम करने नहीं देती, जीवनशैली अस्त-व्यस्त हो जाती है। अपनी स्थिति कंट्रोल न कर पाने के कारण, महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। घर के इमोशनल और मेंटल सपोर्ट की मदद से महिला इससे उबर सकती है। मगर कुछ महिलाओं को पोस्टपार्ट डिप्रेशन लंबे समय तक रहता है। सवाल है, पोस्टपार्टम डिप्रेशन कितने लंबे समय तक रह सकता है? क्या इसे कम करने का कोई जरिया है? जानिए, सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी से।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शुरुआत कब होती है?
इस बात को कोई सटीक तरीके से नहीं बता सकता है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन कब शुरू होता है। अगर शिशु के जन्म के कुछ दिनों बाद महिला को उदास रहने लगती है, निराशा से घिर जाती है, बात-बात पर चिड़चिड़ी हो जाती है, उसका किसी से बात करने का मन नहीं करता है और यहां तक कि उसे अपने बच्चे को लेकर भी मन में अजीब-अजीब ख्याल आने लगते हैं, तो यह समझा जा सकता है कि महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो रही है। कई लोग पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज को एक ही समझते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। बेबी ब्लूज कुछ दिनों में अपने आप सही हो जाते हैं और महिला सामान्य होने लगती है। वहीं, पोस्टपार्टम डिप्रेशन शिशु के 4 से 6 सप्ताह बाद शुरू होता है, जो कि कई महीनों से लेकर साल भर रह सकता है।
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन से कैसे उबरें
रेगुलर एक्सरसाइज करें
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शुरुआत का पता चलते ही महिलाओं को अपनी लाइस्फटाइल में हेल्दी बदलाव करने चाहिए। जैसे, उन्हें खुद को फिजिकली एक्टिव रखना चाहिए। इसके लिए, एक्सरसाइज की मदद ले सकते हैं। हेल्थलाइन वेबसाइट में प्रकाशित एक रिसर्च की मानें, तो एक्सरसाइज करने से महिलाओं पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर, महिलाओं को चाहिए कि वे वॉक करें। इसका मेंटल हेल्थ बहुत पोजिटिव असर पड़ता है।
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हेल्दी डाइट लें
पोस्टपार्टम डिप्रेशन को हेल्दी डाइट से भी दूर भगाया जा सकता है। हालांकि, यह मेंटल हेल्थ कंडीशन होती है। इसके बावजूद, अगर महिला अपने हेल्थ का ध्यान रखे और अच्छी तथा पौष्टिक चीजें खाए, तो उन्हें अच्छा महसूस होता है। इस तरह, उनका स्वास्थ्य बेहतर होने लगता है, जिससे मेंटल हेल्थ पर भी पोजिटिव असर दिखता है।
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अपने लिए समय निकालें
पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिलाओं को इसलिए होता है, क्योंकि वे अचानक काफी बिजी हो जाती हैं। उनके पास अपने लिए समय नहीं रह जाता है। बच्चे को खिलाने-पिलाने से लेकर उसके सोने तक की प्रक्रिया में महिला व्यस्त हो जाती है। इस तरह की लाइफस्टाइल महिलाओं को काफी बोझिल लगने लगती है, जिससे मेंटल हेल्थ पर प्रभाव नजर आने लगता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि आप चाहे कितने ही बिजी क्यों न हो जाएं, अपने लिए समय निकालना न भूलें। इस दौरान कहीं अकेले टहल आएं, दोस्तों से मिलें, गपशप करें या फिर अपने मन की पेंटिंग करें। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निपटने में मदद मिलेगी।
कंप्लीट रेस्ट लें
अपने लिए रेस्ट का समय निकालना भी महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है। अक्सर देखने में आता है कि बच्चा रात को सोता नहीं है और उसके लिए महिला को रातभर जगना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि वे अपने घर के अन्य सदस्यां की मदद लें ताकि वे भी बच्चे की केयर करें। इसके अलावा, महिलाओं को चाहिए कि शिशु के सोने के दौरान, वे भी थोड़ा रेस्ट कर लें। खुद को फोन से दूररखें। इससे आराम करने में मदद मिलेगी।
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