पोस्टमार्टम डिप्रेशन बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को होने वाला खास तरह का डिप्रेशन है। बच्चे होने के बाद अधिकतर मांएं स्ट्रेस और डिप्रेस महसूस करती हैं। इसे ही पोस्टमार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। बच्चे के जन्म के बाद मां काफी इमोशनल भी हो जाती है, जिसके कारण मां को छोटी-छोटी बातों पर रोना आता है और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है। ये स्थिति अवसाद यानी डिप्रेशन तक पहुंच जाती है। कई बार होने वाली मांओं को प्रेगनेंसी के समय से ही डिप्रेशन का अनुभव होने लगता है लेकिन उन्हें इस बात का पता भी नहीं चलता। आइए जानते हैं क्या होता है पोस्टमार्टम डिप्रेशन क्यों होता है।
क्या होता है पोस्टमार्टम डिप्रेशन
पोस्टपार्टम डिप्रेशन अक्सर पहली बार मां बनने वाली मांओं को ज्यादा होता है। बच्चे के जन्म के बाद मां के ऊपर कई नई जिम्मेदारियां आ जाती है। बच्चे का हर समय सोना, उसकी देखभाल करना, उसकी साफ-सफाई से जुड़े काम और डिलीवरी के बाद आई खुद की शारीरिक कमजोरी से जूझने के कारण महिलाओं को तनाव होने लगता है। इस दौरान महिलाओं में कई शारीरिक-मानसिक बदलाव होते हैं इसलिए भी वो स्थिर नहीं रह पाती हैं। डिप्रेशन के समय मां के मन में उदासी और तनाव लगतार बना रहता है। कई बार मां ये बातें किसी को बता भी नहीं पाती हैं, जिस कारण ये और बढ़ता जाता है।
नई मां बनने के बाद अचानक से नींद की कमी और शिशु की हर समय देखभाल मां को काफी थका देती है। इस कारण वह पोस्टमार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। कई बार पोस्टमार्टम डिप्रेशन महिला में इतना बढ़ जाता ह कि उसे शिशु पर भी गुस्सा आने लगता है। मां को बच्चे के साथ बॉन्ड बनाने में भी दिक्कत होने लगती है। वैसे तो हर महिला में पोस्टमार्ट डिप्रेशन का समय अलग हो सकता है लेकिन अधिकतर मामलों में डिप्रेशन का फेज 4 से 6 हफ्ते तक रह सकता है। पोस्टमार्टम डिप्रेशन होने पर काउंसलर की मदद अवश्य लें।
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पोस्टमार्टम डिप्रेशन होने के कारण
पोस्टमार्टम डिप्रेशन होने के कोई खास कारण तो नहीं होते लेकिन कई बार मां मानसिक दबाव के कारण भी पोस्टमार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव होने के कारण भी पोस्टमार्टम डिप्रेशन हो सकता है। कई बार शिशु की देखभाल में परिवार की तरफ से मदद नहीं मिलने के कारण भी महिलाएं पोस्टमार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।
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पोस्टपर्टम डिप्रेशन के लक्षण
- बिना वजह रोने का मन करना
- हमेशा थका हुआ रहना
- छोटी बातों पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाना
- हमेशा मन में निगेटिव ख्यालों का आना
- जो चीजें आप पहले एंजॉय करती थीं, अब उनमें कोई इंटरेस्ट न होना।
- बेबी के साथ कोई बॉन्ड न बना पाना
- मन में खुद को चोट पहुंचाने के ख्याल आना
पोस्टमार्टम डिप्रेशन से कैसे बाहर आएं?
- हेल्दी डाइट और भरपूर नींद लें।
- शिशु के संभालने के लिए परिवार वालों की मदद लें।
- अपने दिल की बात परिवार या दोस्तों के साथ शेयर करें।
- ऐसा काम करें जिसमें आप इन्जॉय कर सकें।
- सैर करें या डॉक्टस से पूछ कर हल्की फुल्की एक्सरसाइज करें।
अगर पोस्टमार्टम डिप्रेशन लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर की मदद जरूर लें। अपने मन स्थिति के बारें में परिवार या दोस्तों को अवगत अवश्य कराएं।
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