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स्वस्थ रहने के लिए रोज कौन-सा प्राणायाम करना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें

प्राणायाम का नियमित अभ्यास, हमें ध्यान केंद्रित करने और जीवन में पॉजिटिव रहने में मदद करता है। यहां जानिए, रोजाना कौन सा प्राणायाम करना चाहिए? 
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स्वस्थ रहने के लिए रोज कौन-सा प्राणायाम करना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें


सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप एक्टिव लाइफस्टाइल को मेंटेन करें और डाइट में हेल्दी फूड्स को शामिल करें। खासकर, युवाओं को अपनी दिनचर्या में जरूरी बदलाव करने चाहिए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वर्तमान समय में ज्यादातर युवाओं को पार्टी करने के साथ-साथ रात में देर तक जागना और सुबह देर तक सोते रहना पसंद होता है। ऐसे में लोगों को एक्ससाइज और योग का समय भी नहीं मिलता है, जिसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं कम उम्र से ही शुरू हो जाती हैं। फिट और हेल्दी रहने के लिए जरूरी है कि आप नियमित योग और प्राणायाम का अभ्यास करें। प्राणायाम, योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, रोजाना प्राणायाम का अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस लेख में नोएडा के योसोम योग स्टूडियो के योग शिक्षक रजनेश शर्मा रोजाना कौन से प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए, इसके बारे में बता रहे हैं।

कौन सा प्राणायाम प्रतिदिन करना चाहिए?

योग शिक्षक रजनेश शर्मा ने बताया कि आजकल लोगों की जिंदगी में तनाव बहुत है, जिसका बुरा प्रभाव शरीर पर होता है। ऐसे में प्राणायाम एक ऐसी विधि है जो हमें तनाव के साथ-साथ अन्य मानसिक समस्याओं से दूर रखने में मदद कर सकती है। प्राणायाम के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का फ्लो बेहतर होता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और पाचन तंत्र के साथ-साथ हार्ट हेल्थ भी बेहतर होती है। 

1. नाड़ी शोधन

नाड़ी शोधन का अभ्यास तनाव को कम करता है, ध्यान में सुधार करता है, हार्ट हेल्थ को बेहतर करता है और रेस्पिरेटरी हेल्थ को बढ़ावा देता है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को संतुलित करता है और मानसिक स्पष्टता यानी मेंटल क्लियरिटी बढ़ाता है। नाड़ी शोधन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए सीधे बैठें और दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका बंद करें और बायीं नासिका से सांस लें। अब अनामिका और छोटी उंगली से बायीं नासिका बंद करें और दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। इसी तरह अब दाहिनी नासिका से सांस लें और बायीं नासिका से सांस छोड़ें। नाड़ी शोधन का अभ्यास रोजाना कम से कम 5-10 मिनट करें।

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2. कपालभाति

कपालभाति प्राणायाम का नियमित अभ्यास शरीर को शुद्ध करता है, चयापचय को बढ़ाता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और मानसिक स्पष्टता में सुधार करता है। इसके साथ ही कपालभाति शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। कपालभाति का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले अपने पेट को ढीला छोड़कर सीधे बैठें। इसके बाद तेजी से और ताकत के साथ सांस छोड़ें, जिससे पेट अंदर की ओर खिंचे। इसी तरह 5-10 मिनट तक सांस छोड़ें और फिर लें।

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3. भ्रामरी

भ्रामरी प्राणायाम तनाव और चिंता को कम करता है और मन को शांत करता है, इसके साथ ही यह नींद की क्वालिटी को बेहतर करने में भी सहायक होता है। जिन लोगों को सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत रहती है उनके लिए इस प्राणायाम का अभ्यास लाभकारी होता है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करें। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों से कानों को बंद करें और गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय मधुमक्खी की आवाज की तरह 'हम्म' की आवाज करें। इस प्राणायम का नियमित 5-10 मिनट तक अभ्यास करें। 

4. उज्जायी

उज्जायी प्राणायाम का नियमिक अभ्यास रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करता है और एकाग्रता की क्षमता को बढ़ाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास मन को शांत करता है, जिससे तनाव और एंग्जायटी जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं। उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए सीधे बैठें और अपनी आंखें बंद करके गले की मांसपेशियों को कसकर गहरी सांस अंदर लें, जिससे हल्की सी आवाज भी गले से आएगी। इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस प्राणायाम का नियमित 5-10 मिनट तक अभ्यास करें।

इन सभी प्राणायाम का नियमित अभ्यास आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। इन प्राणायामों का अभ्यास करते समय हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होने पर तुरंत बंद कर दें। 

All Images Credit- Freepik

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