
ओवरथिंकिंग आपका पूरा दिन खराब कर सकती है, और यह आपकी सोच से कहीं ज्यादा बार हो सकती है। कई बार हम किसी बात में उलझकर अपना पूरा दिन खराब कर लेते हैं। कई ऐसे लोग हैं जो ख्यालों में उलझे रहते हैं और एक ही बात को घंटों तक सोचते रहते हैं। इससे तनाव बढ़ता है, नींद में खलल पड़ता है और सिरदर्द या ज्यादा थकान जैसे शारीरिक लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। इस लेख में मनोचिकित्सक से जानते हैं कि ओवरथिंकिंग के पीछे क्या कारण हो सकते हैं और ओवरथिंकिंग को कैसे दूर कर सकत हैं? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. Naveen Kumar Dhagudu, Senior Consultant Psychiatrist At Yashoda Hospitals, Hyderabad से बात की।
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ओवरथिंकिंग कैसे होती है?- How Overthinking Happens

Psychiatrist Dr. Naveen ने बताया कि ओवरथिंकिंग तब होती है जब दिमाग का प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स (Prefrontal Cortex) जो तार्किक सोच (Logical Thinking) के लिए जिम्मेदार होता है कमजोर पड़ जाता है और अमिग्डाला (Amygdala) यानी डर और चिंता से जुड़ा हिस्सा हावी हो जाता है। इस वजह से इंसान बार-बार एक ही बात पर सोचता रहता है, जिसे गहन विचार (Rumination) कहा जाता है। यह स्थिति आगे चलकर एंग्जाइटी और डिप्रेशन से जुड़ सकती है। अच्छी बात यह है कि माइंडफुलनेस (Mindfulness) और सीबीटी (Cognitive Behavioral Therapy) पर आधारित कुछ आसान और रिसर्च-प्रूव्ड तरीके इस आदत से बाहर निकलने में मदद मिलती है।
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1. 5-4-3-2-1 ग्राउंडिंग तकनीक अपनाएं- Choose Grounding Technique
- सबसे पहले 5-4-3-2-1 ग्राउंडिंग तकनीक अपनाएं।
- Psychiatrist Dr. Naveen ने बताया कि जब दिमाग बहुत तेज चलने लगे, तो पांच चीजें देखें, चार चीजें छुएं, तीन आवाजें सुनें, दो खुशबू महसूस करें और एक स्वाद पर ध्यान दें। यह तरीका आपको वर्तमान में लाता है और ओवरथिंकिंग का चक्र तोड़ता है।
- अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (American Psychological Association) के अनुसार, इससे कुछ ही मिनटों में एंग्जाइटी लगभग 40% तक कम हो सकती है।
2. रोज समस्याओं को लिखकर सुलझाएं- Write Your Problems
- रोज के लिए एक वरी टाइम (Worry Time) तय करें। दिन में 10 से 15 मिनट निकालकर अपनी चिंताएं डायरी में लिखें।
- इसके अलावा जब भी चिंता हो, खुद से कहें- अभी नहीं सोचना है। जैसे इमरजेंसी में मरीजों को प्राथमिकता दी जाती है, वैसे ही यह तरीका आपकी चिंताओं को पूरे दिन पर हावी होने से रोकता है।
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3. नकारात्मक सोच को चुनौती दें- Challenge Negative Thoughts

नकारात्मक सोच को चुनौती दें। खुद से पूछें कि इस डर का सबूत क्या है? सबसे बुरा क्या हो सकता है? सबसे अच्छा क्या हो सकता है? और सबसे ज्यादा संभव क्या है? सीबीटी रिसर्च बताती है कि इस तरह सोच को नए नजरिए से देखने से मन शांत होता है।
4. गहरी सांस से तनाव कम करें- Reduce Stress With Deep Breathing
Psychiatrist Dr. Naveen ने बताया कि गहरी सांस लें, चार सेकंड सांस अंदर लें, चार सेकंड रोकें और छह सेकंड में छोड़ें। इससे शरीर का पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (Parasympathetic Nervous System) एक्टिव होता है और स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल कम होता है।
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5. शरीर को एक्टिव रखें- Move Your Body Regularly
शरीर को एक्टिव रखें। सिर्फ 20 मिनट की वॉक से ही शरीर में (Endorphins) रिलीज होते हैं, जिन्हें नेचुरल एंटीडिप्रेसेंट कहा जाता है।
6. डिसीजन फटीग से बचें- Avoid Decision Fatigue
आखिर में, डिसीजन फटीग (Decision Fatigue) कम रखें। निर्णय लेने पर थकान होना एक मानसिक समस्या है जो व्यक्ति को निर्णय लेने की स्थिति में परेशान कर सकती है। इससे बचने के लिए छोटे-छोटे फैसले एक साथ लें, जैसे खाने की प्लानिंग, ताकि दिमाग की ऊर्जा बचे।
निष्कर्ष:
ओवरथिंकिंग कोई आपकी कमी नहीं, बल्कि एक आदत है जिसे बदला जा सकता है। छोटे कदमों से शुरुआत करें, क्योंकि लगातार कोशिश से ही मानसिक मजबूती बनती है। अगर समस्या बनी रहे, तो एक्सपर्ट से मदद लें।
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FAQ
ओवरथिंकिंग क्या होता है?
ओवरथिंकिंग एक स्थिति है जब व्यक्ति किसी बात पर जरूरत से ज्यादा और बार-बार सोचता है। इससे दिमाग शांत नहीं होता और नकारात्मक विचार लगातार दिमाग में चलते रहते हैं।ओवरथिंकिंग के नुकसान क्या हैं?
ओवरथिंकिंग से निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है, नींद प्रभावित होती है, स्ट्रेस बढ़ता है और व्यक्ति डिप्रेशन, थकान, आत्मविश्वास में कमी का शिकार बन सकता है।ओवरथिंकिंग के लक्षण क्या हैं?
ओवरथिंकिंग होने पर व्यक्ति छोटी समस्याओं को बड़ा बना देता है, उसे बेचैनी महसूस होती है, ध्यान लगाने में समस्या आती है, नींद नहीं आती और हर स्थिति में नकारात्मक ख्याल हावी हो जाते हैं।
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Dec 23, 2025 17:17 IST
Published By : Yashaswi Mathur