कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी क्या है? बातचीत के जरिए तनाव का इलाज करना ही सीबीटी थेरेपी है, इसे प्रोफेशनल के जरिए क्लीनिक में कई सेशन के जरिए किया जाता है। बदलते तौर में तनाव बढ़ता जा रहा है ऐसे में कई लोग तनाव को कम करने के बजाय उसके बुरे प्रभावों के शिकार हो जाते हैं, अगर आपको भी तनाव महसूस हो रहा है तो साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें, वो आपको चेकअप के बाद सीबीटी थेरेपी करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी में आपकी मानसिक समस्या का कारण पता लगाकर उसका इलाज किया जाता है ठीक वैसे जैसे बुखार आने पर डॉक्टर जांच करके दवा देते हैं। इस लेख में हम सीबीटी थेरेपी का तरीका और फायदों पर चर्चा करेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी क्या होती है? (Cognitive behavioral therapy in hindi)
सीबीटी थेरेपी को टॉक थेरेपी के नाम से भी जानते हैं। टॉक थेरेपी की मदद से साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर आपसे बात करके आपके मन में मौजूद नेगेटिव वचिारों को जानने की कोशिश करता है और तनाव का कारण पता लगाता है जिससे आपका तनाव कम किया जा सके। सीबीटी थेरेपी को आप किसी भी उम्र में करवा सकते हैं यहां तक कि बच्चे भी सीबीटी थेरेपी ले सकते हैं।
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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी के फायदे (Benefits of CBT therapy)
इस थेरेपी के कई फायदे हैं जैसे-
1. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी की मदद से डिप्रेशन या अवसाद के लक्षण को कम किया जाता है।
2. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी को अपनाकर आप ओवरथिकिंंग की समस्या से बच सकते हैं।
3. जिन लोगों को किसी तरह का फोबिया या डर सताता है उनके लिए सीबीटी थेरेपी फायदेमंद मानी जाती है।
4. जो लोग आशाहीन महसूस करते हैं या थकान या कमजोरी महसूस करते हैं या मानसिक समस्याओं के शिकार हैं उन्हें सीबीटी थेरेपी से मदद मिलेगी।
5. मृत्यु या आत्महत्या का लगातार विचार आने पर डॉक्टर सीबीटी थेरेपी लेने की सलाह देते हैं।
कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी लेने का तरीका (Method of CBT therapy)
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- सीबीटी थेरेपी में भाव (emotions) विचार (thoughts) और व्यवहार (behaviour) तीन जरूरी तत्व माने जाते हैं।
- जैसा हमारा विचार होता है वैसा ही हमारा भाव आता है, अगर हम किसी चीज को पसंद नहीं करते तो उसके प्रति मन में भाव भी अच्छा नहीं होगा। अगर भाव अच्छा नहीं होगा तो हम अच्छे विचार को मन में नहीं ला सकेंगे।
- सीबीटी थेरेपी में काउंसलर आपसे बात करके नकारात्मक विचार के कारण जानने की कोशिश करता है और उसका उपाय आपको काउंसलिंंग और दवाओं के फॉर्म में दिया जाता है।
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सीबीटी थेरेपी के कोई साइड इफेक्ट्स हैं? (Side effects of CBT therapy)
सीबीटी थेरेपी के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है पर इसके साथ दी जाने वाली दवा हर मरीज पर अलग तरीके से प्रभाव छोड़ती है, डॉ नेहा ने बताया कि आप थेरेपी या दवा को बीच में छोड़ने की गलती न करें, मानसिक रोग के मरीज हल्का फायदा या निराशा के चलते इलाज बीच में छोड़ देते हैं पर आपको ऐसा नहीं करना है, पूरा इलाज लें और डॉक्टर की सलाह को मानें।
सीबीटी थेरेपी कब तक लेनी पड़ सकती है? (Duration of CBT therapy)
सीबीटी थेरेपी की मदद से ठीक होने पर कितना समय लगता है ये इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की समस्या कितनी पुरानी है, अगर अवसाद या डिप्रेशन लंबे समय से है या किसी सदमे के कारण डिप्रेशन हुआ है तो व्यक्ति को सामान्य होने पर कई महीने या साल लग सकते हैं वहीं कुछ मरीजों में 15 दिन में ही फर्क देखने को मिलता है। डॉक्टर सीबीटी के 9 से 10 सेशन ले सकते हैं।
सीबीटी थेरेपी के रिजल्ट कम समय के लिए होंगे या दोबारा इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी ये एक व्यक्तिगत मामला है। अगर व्यक्ति सीबीटी थेरेपी को ठीक से समझ पाए तो उसे दोबारा इसकी जरूरत नहीं होगी वहीं कुछ लोगों में थेरेपी लेने के बाद भी डिप्रेशन के लक्षण नजर आ सकते हैं।
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