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मन को बुरी लगने वाली बात न कहना भी है सेहत के ल‍िए हान‍िकारक, लंबे समय में हार्ट को बीमार बनाती है यह आदत

एक अध्ययन में पाया गया कि गुस्से को दबाने से दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, जिससे हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
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मन को बुरी लगने वाली बात न कहना भी है सेहत के ल‍िए हान‍िकारक, लंबे समय में हार्ट को बीमार बनाती है यह आदत


गुस्से को या मन की बातों को दबाकर रखना हार्ट की सेहत के लिए हान‍िकारक हो सकता है। जब हम अपनी भावनाओं को दबाते हैं, खासकर गुस्सा, तो हमारे शरीर में स्‍ट्रेस बढ़ता है, जो हार्ट पर दबाव डालता है। रिसर्च से पता चला है कि जो लोग गुस्से को व्यक्त नहीं करते, उनमें ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ने की संभावना ज्‍यादा होती है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, गुस्सा दबाकर रखने से स्‍ट्रेस लंबे समय तक रहता है, जिससे हार्ट की बीमार‍ियों की संभावना बढ़ती है। जब गुस्सा अंदर रहता है, तो यह धीरे-धीरे शरीर और मन दोनों पर बुरा प्रभाव डालता है। इसीलिए, अपने गुस्से और मन की बातों को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करना जरूरी है। इस लेख में हम जानेंगे मन में बात रखने की आदत का हार्ट पर असर और स्‍टडी से संंबंध‍ित जानकारी। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के पल्‍स हॉर्ट सेंटर के कॉर्ड‍ियोलॉज‍िस्‍ट डॉ अभ‍िषेक शुक्‍ला से बात की।

मन में बात या गुस्‍सा रखने से हो सकते हैं हृदय रोग: स्‍टडी

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हाल ही में एक स्‍टडी सामने आई ज‍िसमें यह बताया गया क‍ि बातों को मन में रखने से हार्ट की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। यह उन लोगों के ल‍िए अच्‍छी खबर नहीं है, जो बातों को या अपने गुस्‍से को जाह‍िर करने के बजाय मन में ही रखते हैं। स्‍टडी में गुस्‍से को मन में रखने और हार्ट की सेहत के बीच गहरा कनेक्‍शन देखा गया। स्‍टडी ने इन बातों पर गौर क‍िया क‍ि हम गुस्‍सा कैसे बाहर न‍िकालते हैं, इससे हमारे हार्ट की सेहत पर क्‍या असर पड़ता है। पहले भी इस व‍िषय पर कई स्‍टडी की जा चुकी हैं और ज्‍यादातर का नतीजा यही न‍िकलता है क‍ि ज‍िन लोगों को गुस्‍सा जल्‍दी आ जाता है या जो गुस्‍से को मन में ही रखते हैं उनमें समय से पहले हार्ट की समस्‍याओं का खतरा बढ़ सकता है।

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669 लोगों पर क‍िया गया अध्ययन

सैन एंटोनियो की टेक्सस यून‍िवर्स‍िटी में हाल ही में हुई एक स्‍टडी में यह बताया गया क‍ि ज‍िन लोगों को गुस्‍सा ज्‍यादा आता है, उनमें हार्ट की बीमार‍ियों का खतरा भी ज्‍यादा होता है। यह अध्ययन 669 लोगों पर किया गया, जो यूएस के म‍िडलाइफ डेवल्‍पमेंट डेटा से जुड़े थे। इन लोगों पर शोधकर्ताओं ने स्‍ट्रेस टेस्‍ट क‍िया और इनका बीपी और हार्ट रेट चेक क‍िया। लोगों को 3 कैटेगरी में बांटा गया- गुस्‍से को दबाने वाले, गुस्‍से को जाह‍िर करने वाले और गुस्‍सा कंट्रोल करने वाले लोग। स्‍टडी में यह पाया गया क‍ि जो लोग गुस्‍से को दबाते हैं, उनमें बीपी और हार्ट रेट, अन्‍य 2 कैटेगरी के मुकाबले ज्‍यादा द‍िखा।

मन में बात रखना है सेहत के ल‍िए हान‍िकारक

मन में बात या गुस्सा दबाकर रखने से शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ सकते हैं-

शारीरिक नुकसान

  • मन में गुस्सा दबाकर रखने से हार्ट पर ज्‍यादा दबाव बनता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • लगातार गुस्से को दबाने से स्‍ट्रेस लेवल बढ़ जाता है, जिससे सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
  • गुस्से को दबाने से पेट में एसिडिटी, अपच और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
  • लगातार दबा हुआ स्‍ट्रेस और गुस्सा शरीर की इम्‍यून‍िटी को कम कर सकता है, जिससे शरीर जल्दी बीमार पड़ सकता है।

मानसिक नुकसान

  • गुस्से और भावनाओं को दबाने से मन में निराशा और चिंता का भाव बढ़ सकता है, जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
  • दबा हुआ गुस्सा और स्‍ट्रेस के कारण अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
  • दबे हुए गुस्से से ध्यान भटकता है, जिससे पढ़ाई और काम में एकाग्रता की कमी हो सकती है।

नियमित रूप से मेडिटेशन, एक्‍सरसाइज और हेल्‍दी डाइट का सेवन करने से क‍िसी भी तरह के नकारात्मक प्रभावों को कम क‍िया जा सकता है।

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Study Source: sciencedirect

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