Singer Neha Bhasin Opens up about Battling PMDD and Eating Disorder: बॉलीवुड और म्यूजिक इंडस्ट्री की सिंगर नेहा भसीन अपनी दमदार आवाज और अदाओं के लिए जानी जाती हैं। लेकिन हाल ही में सिंगर नेहा भसीन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करके अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बड़ा खुलासा किया है। नेहा भसीन ने बताया कि वह अपने टीनएज की उम्र के दिनों से ही पीएमडीडी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMDD) और ईटिंग डिसऑर्डर से जूझ रही हैं। नेहा भसीन ने इंस्टाग्राम पोस्ट के कैप्शन में लिखा, "मैं अपनी लाइफ के बारे में इस तरह से लिखने में बहुत अनकर्मफर्टेबल महसूस कर रही हूं। लेकिन मैं टीनएज की उम्र से ही प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) (Premenstrual Dysphoric Disorder) का शिकार रही हूं। 2022 का साल मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। जब मुझको पता चला कि PMDD के साथ-साथ मेरे शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी है। इस बीमारी के कारण हर 15 दिन में मेरा जीना, उठना-बैठना बेहद मुश्किल हो जाता है।"
शारीरिक बीमारियों के बारे में खुलासा करते हुए नेहा भसीन ने इंस्टाग्राम पोस्ट में इस बात की भी जानकारी दी है कि उन्हें हार्मोनल डिसबैलेंस (Singer Neha Bhasin Suffering from Premenstrual Dysphoric Disorder) की वजह से ईटिंग डिसऑर्डर की भी समस्या हुई थी। ईटिंग डिसऑर्डर के कारण नेहा का वजन 10 किलो तक बढ़ गया है। उन्होंने अपने पोस्ट में बताया कि वजन बढ़ने पर उन्हें सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल किया जा रहा है और लोगों की बहुत सारी बातें भी सुननी पड़ रही हैं। हालांकि अब उन्होंने सोशल मीडिया ट्रोलर्स की बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया है और वर्कआउट के जरिए वजन को मैनेज करने की कोशिश कर रही हैं। नेहा भसीन द्वारा इस तरह से एक गंभीर बीमारी को सोशल मीडिया पोस्ट से जरिए शेयर करना न केवल उनकी हिम्मत को दर्शाता है, बल्कि इन गंभीर बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने पर भी जोर देता है। आइए आर्टिकल में आगे जानते हैं PMDD क्या है?
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PMDD क्या है?- What is Premenstrual dysphoric disorder (PMDD)
गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आस्था दयाल के अनुसार, प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) का एक बड़ा रूप है। इस बीमारी में महिला को हर पीरियड्स सर्कल से पहले शारीरिक और भावनात्मक लक्षण महसूस होते हैं। इस दौरान होने वाली परेशानियों की वजह से महिलाएं शारीरिक तौर पर काफी असहज महसूस करती हैं। इसके साथ ही PMDD कि वजह से होनी वाली समस्याओं के कारण महिलाएं भावनात्मक तौर पर भी कमजोर महसूस करने लगती हैं।
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PMDD के लक्षण क्या हैं?- Symptoms of Premenstrual dysphoric disorder (PMDD)
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि जो महिलाएं प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) से जूझ रही हैं, अगर वह अपनी सेहत का ध्यान न रखें, तो यह PMDD का कारण बन सकता है। PMDD से जूझने वाली महिलाओं में नीचे बताए गए लक्षण नजर आ सकते हैं
- पीरियड्स सर्कल शुरू होने से पहले चिड़चिड़ापन, उदासी और तनाव महसूस होना।
- सामान्य कामकाज में भी शरीर का टूटना और थकावट महसूस होना।
- कुछ मामलों में बहुत ज्यादा नींद आना या नींद न आने की समस्या भी देखी जाती है।
- सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, वजन बढ़ना और पेट संबंधी परेशानियां होना।
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होना, भावनाओं पर कंट्रोल ना रहना (रोना, पुरानी बातों को याद करना)।
ईटिंग डिसऑर्डर क्या है?- What is Eating Disorder
मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक स्थिति को ईटिंग डिसऑर्डर कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को असामान्य खानपान की आदत पड़ जाती है। इसकी वजह से वजन का बढ़ना, मोटापा और कई प्रकार की शारीरिक परेशानियां देखी जाती हैं।
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ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?- Symptoms of Eating Disorder
जैसा की हम पहले बात कर चुके हैं ईटिंग डिसऑर्डर अनियमित खानपान से जुड़ी बीमारी है। इससे पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित 5 लक्षण नजर आते हैं।
- बिना सोचे-समझे और बिना भूख लगे हुए खाना
- अपराधबोध में जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करना
- सामाजिक गतिविधियों से दूरी रहने की कोशिश करना
- अचानक से वजन कम होना
- पेट खराब होना, पेट में दर्द होना या अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं।
- ईटिंग डिसऑर्डर से जूझने वाले लोगों में यह परेशानी बहुत ही आम है और वक्त के साथ इस बीमारी के लक्षण बढ़ते ही जाते हैं।
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निष्कर्ष
सिंगर नेहा भसीन ने जिस तरीके से सोशल मीडिया पर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर बात की है, वो प्रेरणादायक है। नेहा भसीन का पोस्ट हर उस महिला के लिए है, जो किसी भी वजह से अपनी पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती हैं और अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं। नेहा का खुलासा समाज को बताता है कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों को छुपाने के बजाय इसके इलाज पर फोकस करना जरूरी है।
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