
महिलाओं में पीरियड्स होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कई बार कुछ महिलाओं को पीरियड्स आने से पहले भी शरीर में कुछ असमानताएं या फिर चिड़चिड़ापन होने जैसी समस्या रहती है। इसके पीछे प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual Dysphoric Disorder) जिम्मेदार हो सकता है। जी हां, हाल ही में जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक कई महिलाओं में यह समस्या देखी जाती है।
क्या कहती है स्टडी?
स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनियाभर में 31 मिलियन महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर से जूझ रही हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफॉर्ड के साइकैट्री डिपार्टमेंट के डॉ. थॉमस रेली के मुताबिक आमतौर पर महिलाओं में इस डिसऑर्डर डायग्रोस नहीं होता है, जिसके चलते उन्हें जीवनभर इस समस्या से जूझना पड़ सकता है। 1.6 प्रतिशत महिलाओं में यह समस्या रह सकती है। इसपर अन्य भी कई शोध किए गए हैं, जिसमें 50 हजार के करीब महिलाओं को इसमें शामिल किया गया था।

क्या है प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर?
प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पीरियड्स के पहले या फिर आस-पास महिलाओं की शरीर में कुछ बदलाव जैसे मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने जैसे लक्षण दिखते हैं। आमतौर पर यह शरीर में होने वाले हार्मोनल इंबैलेंस के कारण हो सकता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बदलने पर महिलाओं में ऐसी स्थिति हो सकती है। इस स्थिति में शरीर में कई लक्षण जैसे वजन बढ़ना, गुस्सा आना, एलर्जी, इंफेक्शन, पेशाब कम आना और हाथों पैरों में सूजन आना आदि हो सकता है। इस स्थिति में एंग्जाइटी और डिप्रेशन आदि भी हो सकता है।
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प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर से बचने के तरीके
- प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर से बचने के लिए आपको अपनी डाइट में बदलाव करने की जरूरत है।
- इसके लिए डाइट में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स बढ़ाने के साथ कैफीन और शराब का सेवन कम करना चाहिए।
- इसके लिए आपको स्ट्रेस कम करने के साथ ही ज्यादा सोचने से बचना चाहिए।
- इससे बचने के लिए नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें साथ ही शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- ऐसे में गर्भनिरोधक गोलियां खाने से बचें।
- इसके लक्षण दिखने पर इसे नजरअंदाज करने के बजाय चिकित्सक से सलाह लें।
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