
आज के समय में इनफर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। केवल भारत ही नहीं बल्कि, दुनियाभर में लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। बहुत से कपल किसी न किसी कारणवश कंसीव नहीं कर पाते हैं। हाल ही में लांसेट जर्नल में प्रकाशित हुई एक स्टडी के मुताबिक भारत में पिछले 70 सालों में फर्टिलिटी रेट में तेजी से गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 1950 में भारत में प्रजनन दर यानी प्रति महिला जन्म दर 6.2 थी, जो 2021 में घटकर दो से भी कम रह गई।
क्या कहती है स्टडी?
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2021 के मुताबिक लो इनकम वाले कई देशों को 21वीं सदी में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं का सामना काफी ज्यादा करना पड़ रहा है। आज की फर्टिलिटी समस्या को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि साल 2050 तक प्रजनन दर 1.29 और साल 2100 में 1.4 तक ही सीमित रह जाएगी। साल 1950 में भारत में फर्टिलिटी की दर 6.2 तक थी, जो इस दौरान घटकर 2 तक पहुंच चुकी है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्रजनन क्षमता को देशभर में एक चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
फर्टिलिटी घटने के पीछे के कारण
- फर्टिलिटी घटने के पीछे बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- खराब खानपान और अनियमित जीवनशैली फॉलो करना लो फर्टिलिटी का एक मेजर कारण माना जाता है।
- सर्वाइकल म्यूकस से या फिर पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होना भी प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है।
- शराब और सिगरेट पीने के अलावां टॉक्सिक चीजें खाने से भी यह समस्या हो सकती है।
- रेडिएशन थेरीपी या फिर कीमोथेरेपी कराने के बाद भी कुछ लोगों में यह समस्या देखी जाती है।
- कैमिकल और पेप्टिसाइड्स के संपर्क में आने से भी फर्टिलिटी कम हो सकती है।
इसे भी पढ़ें - सर्जरी के बाद अचनाक वजन बढ़ने के पीछे हो सकते हैं ये 3 कारण, डॉक्टर से जानें कारण
फर्टिलिटी बढ़ाने के तरीके
- फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने के साथ ही खानपान को हेल्दी रखना चाहिए।
- फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए आपको नियमित तौर पर एक्सरसाइज और योग करना चाहिए।
- इसके लिए आपको केले, दूध, कद्दू के बीज और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- इसके लिए जंक और प्रोसेस्ड फूड्स खाने से परहेज करना चाहिए।
Read Next
माइग्रेन का दर्द कम करने के लिए महिला ने लिया बोटोक्स इंजेक्शन, अब नहीं हिला पा रही सिर और गर्दन
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version