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महिलाओं में क्यों होता है प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीडीडी), जानें इसके कारण और जोखिम कारक

महिलाओं को पीरीयड्स से पहले भी कुछ लक्षण महसूस हो सकता हैं। आगे जानते हैं इनके जोखिम कारक   
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महिलाओं में क्यों होता है प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीडीडी), जानें इसके कारण और जोखिम कारक

महिलाएं जैसे ही किशोरावस्था में प्रवेश करती हैं उनके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव और पीरियड्स शुरु होते हैं। साथ ही, कुछ लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स से पहले की समस्याओं व लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस समय महिलाओं को पेट में हल्की ऐंठन और दर्द हो सकता है। प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) से पीड़ित महिलाएं मासिक धर्म से पहले के हफ्तों में पीएमएस के लक्षण (सूजन, सिरदर्द और स्तन कोमलता) हो सकते हैं। वहीं, पीएमडीडी गंभीर चिंता, अवसाद और मनोदशा में बदलाव का भी कारण बन सकता है। हालांकि, दवाओं से महिलाों की इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है। आगे स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि पीएमडीडी के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं। 

महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के कारण और जोखिम कारक - Premenstrual Dysphoric Disorder Causes And Risk Factor In Hindi 

हार्मोनल उतार-चढ़ाव

मासिक धर्म चक्र के दौरान सेक्स हार्मोन, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव पीएमडीडी की समस्या को बढ़ा सकते हैं। ये हार्मोनल परिवर्तन ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर गतिविधि को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मूड स्विंग्स तेजी से होते हैं। पीएमडीडी वाले महिलाओं को इन हार्मोनल बदलावों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि का अनुभव हो सकता है।

Premestrual dysphoric disorder causes

न्यूरोट्रांसमीटर में बदलाव (असंतुलन)

सेरोटोनिन, डोपामाइन और गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड (जीएबीए) जैसे न्यूरोट्रांसमीटर मूड और भावनात्मक स्थिरता को नियंत्रित करने में महत्वपर्ण भूमिका निभाते हैं। पीएमडीडी वाली महिलाओं में न्यूरोट्रांसमीटर स्तर में परिवर्तन हो सकता है, जिससे उन्हें मासिक धर्म से पहले चरण के दौरान मूड तेजी से बदलता है। वहीं, सेरोटोनिन की कमी की वजह से चिंता, तनाव, अवसाद और चिड़चिड़ापन हो सकता है। 

अनुवांशिक प्रवृतियां

अनुवांशिक कारक के चलते महिलाओं को पीएमडीडी हो सकता है। जिन घर के परिवार की महिलाओं को पहले से पीएमडीडी की समस्या होती है, उनकी अन्य महिलाओं व लड़कियों को आनुवांशिकता के चलते ये समस्या होने का जोखिम अधिक होता है। 

लगातार तनाव

तनाव को पीएमडीडी के लक्षणों को बढ़ाने वाला माना जाता है। तनाव की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव तेजी से होता है। साथ ही, इसकी वजह से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है। इससे पीरियड्स प्रभावित हो सकते हैं। 

सूजन

पीएमडीडी वाले व्यक्तियों में प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स अधिक हो सकता है। यह इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। सूजन न्यूरोट्रांसमीटर फंक्शन को बाधित कर सकती है, इससे हार्मोन के स्तर में बदलाव हो सकता है। 

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प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर पीरियड से पहले होने वाली स्थिति है। इसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स से एक या दो सप्ताह पहले शारीरिक व भावनात्मक लक्षण महसूस हो सकते हैं। इस दौरान महिलाओं को पेट फूलना, सिरदर्द और बेस्ट में संवेदनशीलता हो सकती है। यदि, किसी महिला को अधिक समस्या हो तो वह स्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर उचित सलाह ले सकती हैं। 

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