Cervical Cancer Risk Factors: महिलाओं को होने वाले कैंसर में सर्वाइकल कैंसर को भी शामिल किया जाता है। यह कैंसर महिलाओं के प्रजनन अंग को प्रभावित कर सकता है। हर साल सर्वाइकल कैंसर के मामलों में तेजी से इजाफा होने लगा है। महिलाओं को मासिक धर्म, पीरियड्स और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के किसी भी संकेत को अनदेखा नहीं करना चाहिए। समय के साथ कैंसर के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। अन्य कैंसर की तरह सर्वाइकल कैंसर पर महिलाओं के लिए जानलेवा सबित हो सकता है। आगे स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल से जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक (Cervical Cancer Risk Factor) क्या हो सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक - Cervical Cancer Risk Factors In Hindi
सर्वाइकल कैंसर में महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं अनियंत्रित हो रूप से बढ़ने लगती है। डॉक्टर के अनुसार जिस भी अंग में कोशिकाओं के जीन में बदलाव होता है, उसी अंग के नाम से कैंसर को पहचाना जाता है। इस दौरान महिला को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। सर्वाइकल कैंसर वजाइना के निचले भाग से शुरु होता है और ऊपरी वजाइना तक फैल सकता है। यह गर्भाशय(यूट्रस) के सबसे नीचे के भाग का घातक ट्यूमर होता है। आगे जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर से जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।
कमजोर इम्यूनिटी
जिन महिलाओं की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनको कैंसर होने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा, जो महिलाएं इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी कराती हैं, उनको भी सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। वहीं, जिन महिलाओं की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनको डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। साथ ही, नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इससे गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का जोखिम कम हो जाता है।
ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) संक्रमण
एचपीवी इंफेक्शन सर्वाइकल कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक हो सकता है। वहीं, एचपीवी के कुछ प्रकार विशेष रूप जैसे एचपीवी 16 और एचपीवी 18 सर्वाइकल कैंसर से जुड़े होते हैं। एचपीवी एक यौन संचारित संक्रमण है। इससे बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध और एचपीवी वैक्सीन लेनी चाहिए।
धूम्रपान
जो महिलाएं नियमित रूप से सिगरेट पीती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम अधिक होता है। सिगरेट के तंबाकू और धूएं के कैमिकल से गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं डैमेज हो सकती है। इससे एचपीवी इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, जो महिलाएं सिगरेट नहीं पीती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम कम होता है।
नियमित रूप से जांच न कराना
महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए नियमित रूप से पैप टेस्ट या एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए। इससे प्रजनन अंगों से जुड़े कैंसर का जोखिम कम होता है। नियमित जांच से कैंसर की पहचान समय रहते की जा सकती है, जिससे इसका इलाज करना आसन हो जाता है।
एचपीवी वैक्सीन न लगवाना
एचपीवी वैक्सीन न लगावाने वाली महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का जोखिम अधिक होता है। गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं व इंफेक्शन से बचने के लिए महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लगानी चाहिए। इसके लिए महिलाएं स्री रोग विशेषज्ञ की सलाह ले सकती हैं।
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महिलाओं को प्रजनन अंगों से जुड़े रोगों से बचने के लिए जागरुक होना चाहिए। साथ ही, सर्वाइकल व अन्य कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए डाइट व लाइफस्टाइल में आवश्यक बदलाव करने चाहिए। यदि, किसी महिला को पीरियड से जुड़ी किसी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो उनको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।