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कान के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं ये 4 जोखिम कारक, जानें इसके शुरुआती लक्षण

कान का कैंसर होने के कई जोखिम कारक होते हैं। यह कैंसर स्किन कैंसर के रूप में शुरू होता है, जो बाद में कान के मुख्य हिस्सों को प्रभावित करता है। आगे जानते इन कारकों के बारे में
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कान के कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं ये 4 जोखिम कारक, जानें इसके शुरुआती लक्षण


Risk Factors Of Ear Cancer: हम अपने रोजमर्रा के काम शरीर के सभी अंगों की मदद से करते हैं। शरीर के अन्य मुख्य अंगों में कान की भी मुख्य भूमिका होती है। कान के बिना पूरी दुनिया सूनी हो सकती है। साथ ही, आपको कई चीजों को सिखना मुश्किल हो सकता है। कान में होने वाले लक्षणों को हम अक्सर नजरअंदाज कर जाते हैं। लेकिन, कई बार यह मामूली लगने वाले लक्षण ही किसी गंभीर बीमारी की वजह बन जाते हैं। यही वजह कि आज कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिलती है। कैंसर के रोग का सही समय पर पता न लगाया जाए तो यह जानलेवा रोग हो सकता है। अन्य कैंसर के मुकाबले कान के कैंसर के मामले कम देखने को मिलते हैं। ज्यादातर मामलों में स्किन कैंसर जब बढ़ता है तो यह कान अंदुरूनी और बाहर के मुख्य हिस्सों जैसे एयर कैनाल, ईयर ड्रम, कान का पर्दा और अन्य  को भी प्रभावित कर सकता है। इससे व्यक्ति के सुनने की क्षमता कम हो जाती है। साथ ही, सही समय पर पहचान न कर पाने से कैंसर का इलाज करने में ज्यादा समय लग सकता है। गाजियाबाद के योशदा सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल के ईएनटी विभाग के कान रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निरपेन विश्नोई से जानते हैं कि कान का कैंसर होने के पीछे कौन से कारक जिम्मेदार होते हैं (Kaan me cancer ke karan)। 

कान में कैंसर के जोखिम कारक - Risk Factor Of Ear Cancer In Hindi 

डॉक्टर के अनुसर कान के कैंसर के मुख्य कारणों का पता अभी नहीं लगाया जा सका है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि इसके बेहद ही कम मामले सामने आते हैं। लेकिन, डॉक्टर इस बात से सहमत हैं कि कुछ कारक कान में कैंसर होने के जोखिम कारक माने जाते हैं। इनके चलते कान के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। आगे जानते हैं इनके बारे में 

  • तवचा का रंग हल्का होना- जब आपके कान के आसपास की त्वचा बिना किसी कारण के साफ रंग में बदलने लगे तो यह कैंसर की ओर संकेत कर सकती है। 
  • ज्यादा समय तक धूप में रहना- कुछ लोग बिना सनस्क्रीन का उपयोग किए धूप की यूवी किरणों में घंटों समय बिताते हैं। ऐसे में स्किन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है, जो बाद में कान के कैंसर का कारण बन सकता है। 
  • थोड़े-थोड़े समय में कान का इंफेक्शन होना- कुछ लोगों को कान में बार-बार इंफेक्शन होने लगता है। इंफेक्शन के दौरान कान में सूजन सेलुलर बदलाव की वजह बन सकती हैं, जो कैंसर की संभावनाओं को बढ़ा सकती है। 
  • अधिक उम्र में कैंसर का जोखिम- कुछ प्रकार के कान के कैंसर ज्यादातर अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलते हैं। डॉक्टर के मुताबिक टेम्पोरल बोन का स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा अधिकतर 60 की आयु के बाद ही देखने को मिलता है। 

Risk Factor of Ear Cancer

कान में कैंसर के क्या लक्षण होते हैं? 

  • कान से तरल पदार्थ बहना 
  • कान में दर्द होना
  • सुनने की क्षमता में कमी होना
  • लगातार सिरदर्द बने रहना, आदि। 

इसे भी पढ़ें: कान में कैंसर होने पर दिखते हैं ये 5 शुरुआती लक्षण, न करें नजरअंदाज

कान का इंफेक्शन, कान में दर्द होना या कान बहना आदि कान के कैंसर हो सकता है। हालांकि, कान के कैंसर के बेहद ही कम मामले देखने को मिलते हैं।  कान में होने वाले किसी भी लक्षण को दिखाई देने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उनके द्वारा सुझाए गए टेस्ट को समय रहते करें। इससे कान के कैंसर के संभावित मामलों की संपूर्ण जानकारी मिलने में मदद मिलती है। 

 

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