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मेनोपॉज के दौरान बढ़ जाता है सर्वाइकल कैंसर का खतरा, जानें दोनों के बीच में कनेक्शन

Does Menopause Increase The Risk Of Cervical Cancer?: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को मेनोपॉज का सामना करना पड़ता है। लेकिन, मेनोपॉज के बाद महिलाओं को कई तरह की गंभीर समस्याओं की संभावना बढ़ सकती है। इस लेख में जानते हैं कि मेनोपॉज और सर्वाइकल कैंसर के बीच क्या कनेक्शन होता है?
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मेनोपॉज के दौरान बढ़ जाता है सर्वाइकल कैंसर का खतरा, जानें दोनों के बीच में कनेक्शन


Menopause And Cervical Cancer in Hindi : मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जिसमें पीरियड्स स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच होता है और हार्मोनल परिवर्तन के कारण कई शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को जन्म देता है। वहीं दूसरी ओर, सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला एक गंभीर कैंसर है, जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को प्रभावित करता है। कुछ महिलाओं के मन में सवाल उठाता है कि क्या मेनोपॉज और सर्वाइकल कैंसर के बीच कोई संबंध है? इस लेख में हम साईं पॉलिक्लीनिक की सीनियर गाइनाक्लॉजिस्ट डॉ. विभा बंसल से जानते हैं कि इन दोनों के बीच क्या कनेक्शन है और यह जानेंगे कि मेनोपॉज के बाद सर्वाइकल कैंसर का जोखिम क्यों बढ़ सकता है।

मेनोपॉज और सर्वाइकल कैंसर के बीच क्या संबंध हैं? - Connection Between Menopause And Cervical Cancer in Hindi

मेनोपॉज और सर्वाइकल कैंसर के बीच कई कारकों के माध्यम से संबंध देखा गया है। मुख्य रूप से, हार्मोनल परिवर्तन, इम्यूनिटी पावर की कमजोरी और अनियमित आदतें इन दोनों स्थितियों को आपस में जोड़ते हैं।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में बदलाव

मेनोपॉज के दौरान महिला शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर तेजी से गिरता है। ये हार्मोन गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब हार्मोन का स्तर कम हो जाता है, तो सर्विक्स कमजोर हो जाता है और संक्रमण व कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।

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प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी

उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है, जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में कम सक्षम हो जाता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV), जो सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण है, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण अधिक खतरनाक हो सकता है।

स्वास्थ्य जांच की अनदेखी

मेनोपॉज के बाद कई महिलाएं अपने नियमित स्त्री रोग संबंधी परीक्षण (जैसे पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट) करवाना बंद कर देती हैं। इससे शुरुआती अवस्था में सर्वाइकल कैंसर का पता नहीं चल पाता, जिससे यह आगे बढ़ सकता है और गंभीर रूप ले सकता है।

लंबे समय तक संक्रमण और सूजन

मेनोपॉज के बाद, कुछ महिलाओं में लंबे समय तक सूजन (chronic inflammation) बनी रह सकती है, जो कोशिकाओं के असामान्य विकास और कैंसर बनने की संभावना को बढ़ा सकती है।

मेनोपॉज के बाद सर्वाइकल कैंसर के लक्षण - Symptoms of Cervical Cancer During Menopause In Hindi

  • वजाइना से असामान्य रक्तस्राव (मेनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना सामान्य नहीं होता)
  • यूरिन पास करते समय कठिनाई या बार-बार पेशाब आना
  • वजाइनल डिस्चार्ज में बदलाव होना (दुर्गंधयुक्त या असामान्य रंग का स्राव)
  • पेल्विक या कमर में दर्द
  • संभोग के दौरान दर्द, आदि।

इसे भी पढ़ें: महिलाओं में क्‍यों बढ़ रहे हैं सर्वाइकल कैंसर के मामले? डॉक्टर से जानें कौन सी गलतियां बढ़ा रही हैं खतरा

मेनोपॉज और सर्वाइकल कैंसर के बीच गहरा संबंध है, क्योंकि हार्मोनल बदलाव, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और स्वास्थ्य जांच की अनदेखी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हालांकि, सही जीवनशैली अपनाकर, नियमित जांच कराकर और एचपीवी से बचाव के उपाय अपनाकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। मेनोपॉज के बाद भी अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही आवश्यक है, जितना कि युवावस्था में था। महिलाओं को चाहिए कि वे नियमित रूप से अपने डॉक्टर से सलाह लें और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें। स्वस्थ जीवनशैली और समय पर जांच करवाकर सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है और एक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।

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