Connection Between HPV and Cervical Cancer: भारत समेत दुनिया के विभिन्न देश कैंसर के बढ़ते मामलों से चिंतित है। खासकर महिलाओं में होने कैंसर। भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर मौत का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़े बताते हैं, वैश्विक स्तर पर हर साल लगभग 6 लाख महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से प्रभावित होती हैं, जिनमें से 85% मामले विकासशील देशों में होते हैं। भारत में यह कैंसर महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। इस बीमारी का प्रमुख कारण एक वायरल संक्रमण है, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV)।
एचपीवी वायरस क्या है- What is HPV Virus
एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता (Dr. Mannan Gupta, Obstetrician, Gynecologist and Infertility Specialist, New delhi) का कहना है कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) एक आम यौन संक्रमित वायरस है, जो त्वचा और म्यूकस मेम्ब्रेन के संपर्क से फैलता है।महिलाओं में अब तक 200 से ज्यादा एचपीवी वायरस की पहचान हो चुकी है। इनमें से 40 प्रकार के एचपीवी वायरस महिलाओं के जननांग क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। लेकिन सिर्फ 14 को ऐसे एचपीवी वायरस हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। जिनमें सर्वाइकल कैंसर सबसे प्रमुख है।
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एचपीवी (HPV) वायरस और सर्वाइकल कैंसर के बीच कनेक्शन- Connection Between HPV and Cervical Cancer
डॉ. मनन गुप्ता के अनुसार, HPV वायरस मुख्य रूप से गर्भाशय ग्रीवा को संक्रमित करता है। समय के साथ ये वायरस सर्वाइकल की कोशिकाओं में घुस जाता है और धीरे-धीरे उनके DNA को बदल देता है। यह परिवर्तन कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जिससे समय के साथ कैंसर हो सकता है। हालांकि, एचपीवी संक्रमण के ज्यादातर मामलों में शरीर का इम्यून सिस्टम खुद ही इसे साफ करने में सक्षम होता है। परंतु जब ये संक्रमण लंबे समय तक बना रहता है, तो ये कैंसर का रूप ले सकता है। सर्वाइकल कैंसर अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है, जिससे शुरुआती पहचान और रोकथाम के लिए नियमित जांच (जैसे पैप स्मीयर और HPV परीक्षण) जरूरी हो जाती है।
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एचपीवी संक्रमण के लक्षण- Systomps of HPV Virus
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि शुरुआती अवस्था में एचवीपी संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर के बीच कोई ऐसा लक्षण नजर नहीं आता है, जिससे कैंसर का पता चल सके। यही कारण है कि डॉक्टर एचपीवी वायरस को साइलेंट किलर के नाम से भी जानते हैं। इसलिए एचपीवी संक्रमण को समय पर पहचान कर इसका इलाज कराना जरूरी होता है। एचपीवी वायरस के सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः
- योनि से असामान्य ब्लीडिंग (विशेषकर मासिक धर्म के बीच या यौन संबंध के बाद)
- योनि से दुर्गंध युक्त पानी आना
- पेल्विक क्षेत्र में दर्द
- सेक्स के दौरान दर्द होना
एचपीवी संक्रमण की पहचान के तरीके- Methods for identifying HPV infection
एचपीवी संक्रमण की पहचान करने के लिए डॉक्टर एचपीवी DNA टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। एचपीवी DNA टेस्ट यह बताता है कि शरीर में हाई-रिस्क एचपीवी मौजूद है या नहीं।
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एचपीवी संक्रमण से बचाव के तरीके- Ways to prevent HPV infection
भारत में एचपीवी संक्रमण से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन मौजूद हैं। ये वैक्सीन महिला और पुरुष दोनों के लिए प्रभावी मानी गई है। एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर के बचाव करती है। WHO के अनुसार, 9–14 वर्ष की उम्र में वैक्सीन सबसे प्रभावी होती है। हालांकि 15–26 वर्ष की महिलाओं और पुरुषों को भी यह वैक्सीन दी जा सकती है। सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए आप एचपीवी वैक्सीन लेने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर बात करें।
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निष्कर्ष
एचपीवी वायरस और सर्वाइकल कैंसर के बीच गहरा संबंध है। कई कारणों से एचपीवी वायरस महिलाओं में आम हैं, लेकिन समय के साथ इसके लक्षणों की पहचान करके इससे बचाव किया जा सकता है। भारत जैसे देश में जहां महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल को अभी भी प्राथमिकता नहीं मिलती, वहां सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वायरस के प्रति बात करने के लिए एक बड़े मंच की जरूरत है।
FAQ
क्या एचपीवी सर्वाइकल कैंसर से संबंधित है?
हां, एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और सर्वाइकल कैंसर के बीच सीधा संबंध है। डॉ. मनन गुप्ता का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामलों की मुख्य वजह एचपीवी वायरस ही है। इसलिए सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वायरस के प्रति सचेत रहना जरूरी है।सर्वाइकल कैंसर के लिए कौन सा वायरस जिम्मेदार है?
सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी वायरस जिम्मेदार है। HPV एक बहुत ही आम वायरस है, जो मुख्य रूप से असुरिक्षत सेक्स के जरिए फैलता है। यह वायरस लगभग 200 से अधिक प्रकारों में पाया जाता है, लेकिन इनमें से लगभग 14 प्रकारों को “हाई-रिस्क” कैटेगरी में रखा गया है। इन 14 प्रकारों से कैंसर होने का खतरा होता है।सर्वाइकल में क्या परहेज करना चाहिए?
अगर किसी व्यक्ति को सर्वाइकल कैंसर होता है, तो उसे भारी सामान उठाने, ढीले या खराब सपोर्ट वाले तकिए का प्रयोग करने और अतिरिक्त तेल व मसाले वाले खाने से परहेज करना चाहिए।