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सेट पर घायल होकर एक्‍टर व‍िनायक स‍िन्‍हा हो गए थे ड‍िप्रेशन का श‍िकार, जानें उनकी मेंटल हेल्थ रिकवरी की कहानी

विनायक सिन्हा फिल्म की शूटिंग के सेट पर घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें कई तरह की मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ा।
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सेट पर घायल होकर एक्‍टर व‍िनायक स‍िन्‍हा हो गए थे ड‍िप्रेशन का श‍िकार, जानें उनकी मेंटल हेल्थ रिकवरी की कहानी

टीवी होस्ट विनायक सिन्हा इन दिनों अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट की शूटिंग में बिजी हैं। आज शानदार होस्टिंग, 6 पैक्स ऐब्स और लुक्स के लिए दर्शकों के बीच एक खास पहचान बनाने वाले विनायक कामयाबी के शिखर पर पहुंच चुके हैं। हालांकि एक दौर ऐसा था जब विनायक खुद से नजरें मिलाने में भी हिचकिचाहट महसूस करते थे। दरअसल, टीवी होस्टिंग में एक बड़ी कामयाबी पाने के बाद विनायक सिन्हा ने फिल्मों में हाथ आजमाया था। होस्टिंग से सीधे बड़े पर्दे पर लॉन्चिंग के सपने देखकर विनायक काफी खुश थे। उनके परिवारवाले फिल्म की शूटिंग खत्म होने का इंतजार कर रहे थे, तभी एक हादसे ने सब कुछ धाराशाही करके रख दिया। इस हादसे के बाद विनायक डिप्रेशन का शिकार हो गए। इस स्थिति से निकलने में विनायक की मदद उनके पेरेंट्स और परिवारवालों ने की। आइए विनायक से ही जानते हैं कि डिप्रेशन के बाद उन्हें कैसी परेशानियां हुईं और उन्होंने कैसे करियर में कम बैक किया।

 
 
 
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फिल्म की शूटिंग के दौरान हुआ एक्सीडेंट

ओनलीमायहेल्थ के साथ खास बातचीत में विनायक सिन्हा ने कहा, "2021 में मैंने 6 साल के लंबे टीवी होस्टिंग के करियर को अलविदा कहने का फैसला किया था। दरअसल, यह वो दौर था जब एक बड़े डायरेक्टर ने मुझको बतौर एक्टर अपनी फिल्म के लिए साइन किया था। मैं उस फिल्म में बतौर लीड एक्टर के तौर पर काम कर रहा था। इस प्रोजेक्ट के मिलने के बाद मेरे दोस्त, फैमिली और फैन्स काफी खुश थे। अपने करियर के इतने खास प्रोजेक्ट के लिए मैंने दिन रात मेहनत की। फिल्म की शूटिंग 80 तक पूरी हो चुकी थी। हम लोग पुणे में फिल्म के बाकी बचे हिस्सों पर काम कर रहे थे। इसी दौरान एक सीन पर काम करते हुए मेरा एक्सीडेंट हो गया। मुझको नहीं पता दो पल में ही मेरे साथ क्या हुआ और क्या नहीं। जब मेरी आंखें खुली तो मैं अस्पताल के बेड पर था।"

बातचीत में विनायक आगे कहते हैं, "एक्सीडेंट के बाद मेरी सर्जरी हुई। उस वक्त मुझको नहीं मालूम था कि मेरी बॉडी को रिकवर होने में कितना वक्त लगेगा। मैं समझ नहीं पा रहा था, अब क्या करूंगा। बेड रेस्ट के दौरान ही मेरा वजन और बॉडी फैट काफी बढ़ गया। इसी दौरान मुझको पता चला कि डायरेक्टर ने फिल्म बंद करने का फैसला ले लिया है, क्योंकि उनके पास मेरा इंतजार करने का वक्त नहीं था।"

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क्या मैं दोबारा कमबैक कर सकूंगा?

विनायक ने कहा, "शूटिंग के सेट पर एक्सीडेंट, फिर सर्जरी और उसके बाद फिल्म छूट जाने के बाद मैं बिल्कुल ब्लैंक हो गया था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि अब लाइफ में क्या होगा। मैं उस वक्त सारी उम्मीदें छोड़ चुका था। अस्पताल के बेड पर लेटे हुए अक्सर मैं खुद से यह पूछता था कि क्या मैं पर्दे पर कमबैक कर पाउंगा? क्या फिर से लोग मुझे पसंद करेंगे? मेरा वजन बढ़ चुका है, तो क्या डायरेक्टर और प्रोड्यूसर मुझको पसंद करेंगे? सवाल कई थे, लेकिन उसका जवाब मेरे पास नहीं था। मैं मानसिक तौर पर काफी परेशान था, समझ नहीं पा रहा था कि क्या होगा और कैसे सबकुछ सही होगा। अस्पताल में आराम करते हुए मैं दोस्तों से बात तो करता था, लेकिन जीवन में बहुत सारी नेगेटिविटी थी। करियर, काम और सब कुछ खत्म होने का डर मेरे मन में बैठा हुआ था।"

परिवार और दोस्तों की मदद से हुए रिकवर

विनायक सिन्हा आगे बताते हैं, "अस्पताल में जब मैं करियर और फ्यूचर को लेकर डिप्रेशन से जूझ रहा था, उस वक्त मेरे दोस्त और फैमिली ने मुझको सपोर्ट किया। मेरे पेरेंट्स कमबैक के लिए मुझको काफी सपोर्ट किया। वो मुझको अक्सर समझाते थे कि ये बुरा दौर है और सिर्फ कुछ ही दिनों की बात है सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा।"

विनायक सिन्हा की कहानी जानने के बाद अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे फैमिली और दोस्तों का साथ किसी व्यक्ति की डिप्रेशन से निकलने में मदद कर सकते हैं? ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे परिवार की मदद से डिप्रेशन से छुटकारा पाया जा सकता है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने द्वारका स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कंसल्टेंट रूचि शर्मा से बातचीत की। 

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डिप्रेशन से निकलने में कैसे मदद कर सकता है परिवार?

साइकोलॉजिस्ट रूचि शर्मा का कहना है, परिवार के सदस्य किसी भी इंसान के मानसिक स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं। कोई भी मरीज डॉक्टर और अस्पताल में महज 1 से 2 घंटे बिताता है, लेकिन परिवार के साथ सप्ताह के 7 दिन और दिन 24 घंटे बिताने होते हैं। ऐसे में परिवार का माहौल अच्छा न हो, माता-पिता नेगेटिव बातें करते हों तो इंसान पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए किसी भी तरह के अवसाद और मानसिक तनाव में परिवार का साथ बहुत जरूरी है।

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इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

साइकोलॉजिस्ट रूचि शर्मा ने बताया, "अगर कोई व्यक्ति डिप्रेशन से जूझ रहा है, तो परिवारवालों को उससे बात करनी चाहिए। उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति को उपदेश न दें। दरअसल, इस दौर में पीड़ित को आपकी कही हुई हर बात उपदेश और ज्ञान लगती है। ऐसे में उससे जरूरी बातें ही करें।" इसके अलावा कुछ बातों को फॉलो करके डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की मदद कर सकते हैं:

  • डिप्रेशन से जूझ रहे शख्त को अकेला न रहने दें। हालांकि उसे इस बात का भी एहसास न होने दें कि कोई उसकी निगरानी कर रहा है।
  • ऐसे व्यक्ति से बहस करने से बचें। किसी भी मुद्दे पर लंबी बातचीत करने से डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति का गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
  • उसके अकारण गुस्से होने पर झगड़ा न करें। यह मानें कि उसका गुस्सा किसी बीमारी की वजह से है। इस स्थिति में बातों को इग्नोर करना सीखें।
  • डिप्रेशन से जूझ रहे इंसान को वह हर काम करने दें जो उसका पसंदीदा हो जैसे पेंटिंग करना, डांस, म्यूजिक सुनना और बुक रीडिंग आदि।

With Inputs: CPSY RUCHI SHARMA, Consultant - Clinical Psychologist, HCMCT Manipal Hospital Dwarka

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