
Alia Bhatt Postpartum Therapy: बेटी राहा के जन्म के बाद बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट एंजाइटी और डिप्रेशन से गुजर रही हैं। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में आलिया ने इसके बारे में न सिर्फ खुलकर बात की है, बल्कि एक वर्किंग मॉम के लिए चीजों को बैलेंस करना कितना मुश्किल है, यह भी बताया है। एक्ट्रेस का मानना है कि नई मां पर बहुत ज्यादा दबाव होता है। आलिया भट्ट ने कहा, 'राहा के जन्म के बाद एक मां के तौर पर मुझे अक्सर इस बात की चिंता सताती है कि मैं उसे सही वक्त वक्त दे पा रही हूं या नहीं? मैं इस बात को लेकर अक्सर कंफ्यूज रहती हूं कि अपने काम और बेटी के बीच चीजों को सही तरीके से मैनेज कर पा रही हूं या नहीं।'
एक्ट्रेस का कहना है कि नई मां पर समाज का बहुत ज्यादा प्रेशर होता है। आज भी लोगों का यह मानना है कि एक औरत को मां बनने के बाद करियर को बिल्कुल साइड लाइन कर देना चाहिए। सामाजिक बंधनों से परे होकर जब एक मां काम पर जाती है, तो कई बार उसे कुछ गलत न करते हुए भी गिल्ट महसूस होने लगता है। इंटरव्यू के दौरान आलिया ने कहा कि इस तरह के गिल्ट से निकलने के लिए वह हर सप्ताह थेरेपी ले रही हैं। यहां जानकारी के लिए बता दें कि नवंबर में ही आलिया के घर बेटी राहा ने जन्म लिया है। बेटी के जन्म के कुछ वक्त बाद ही आलिया काम पर लौट आई हैं और वापस करियर पर फोकस कर रही हैं। आलिया जिस दर्द से गुजर रही हैं, उसे पोस्ट पार्टम डिप्रेशन कहा जाता है।
ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम पोस्ट पार्टम डिप्रेशन पर चर्चा करेंगे। यह एक ऐसा डिप्रेशन है, जिसे बहुत सारी महिलाएं डिलीवरी के बाद महसूस करती हैं लेकिन उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं होती। संभव है आपको भी अपने बच्चे के जन्म के बाद ऐसा कुछ महसूस हुआ हो।इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने गुड़गांव स्थित मैक्स अस्पताल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. विशाखा भल्ला से बातचीत की।
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क्या हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण? - What are the Causes of Postpartum Depression?
डॉक्टर का कहना है बच्चे के जन्म के बाद मां के व्यवहार में कई तरह के बदलाव होते हैं। इन बदलावों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में -
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं के हार्मोन्स में बदलाव होते हैं। उनमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स में बदलाव होता है जिसका असर उनके व्यवहार पर पड़ता है। साइकोलॉजिस्ट डॉ. विशाखा भल्ला का कहना है, "बच्चे का जन्म माता और पिता दोनों के लिए ही बहुत खूबसूरत मौका होता है। शिशु के जन्म के बाद मां कई तरह की भावनाओं को छुपाती और दिखाती है। इन्हीं भावनाओं में से एक है दुख। जब बच्चे का जन्म होता है, तो महिलाओं पर परिवार के साथ-साथ शिशु की भी जिम्मेदारी आ जाती है, जो उसे मानसिक तौर पर परेशान कर सकती है।" कई बार पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण सामाजिक दवाब भी होता है। जैसे कि बेटे की चाह हो और बेटी हो जाए, तो महिलाओं पर एक अलग तरह का प्रेशर पड़ता है। जिसकी वजह से वह मानसिक तौर पर कमजोर हो जाती हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि इन दिनों जब महिलाएं घर और ऑफिस दोनों ही जिम्मेदारियां संभाल रही हैं, तो उनके ऊपर और भी ज्यादा प्रेशर है। बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं पर ऑफिस
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पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं? - Symptoms of Postpartum Depression in Hindi
डॉ. विशाखा भल्ला का कहना है पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद शुरू होते हैं और 5 से 7 दिनों के अंदर गंभीर हो जाते हैं। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों की लिस्ट नीचे दी गई है।
बेचैनी महसूस करना, नींद न आना, हमेशा दुखी महसूस होना, किसी चीज पर फोकस न कर पाना, सामाजिक चिंता, अपने शिशु को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना, कुछ मामलों में महिलाओं के दिमाग में आत्महत्या तक के विचार आते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज क्या है ? - What is the Treatment For Postpartum Depression?
अगर लक्षण शुरुआती हैं तो इसके लिए दवाइयों की जरूरत नहीं होती। लेकिन बीमारी बढ़ जाने पर मनोचिकित्सक को दिखाना जरूरी है। डॉ. प्रवीण बताते हैं कि प्रसव के बाद महिलाओं को परिवार के सहयोग की बहुत जरूरत होती है। वे कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजर रही होती हैं। ऐसे में उन पर अच्छी मां बनने का दबाव न डालें और बच्चे की देखभाल करने में मदद करें। उन्हें इमोशनल सपोर्ट दें और धैर्य रखें।
क्या कहते हैं मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट - Mental Health Experts on Postpartum Depression
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलायड साइंसेज में डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. ओम प्रकाश का कहना है कि महिलाओं को ऐसी कोई समस्या न हो, इसके लिए समाज को भी आगे आना पड़ेगा। मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, पोस्ट पार्टम डिप्रेशन में बच्चे की कोई गलती नहीं है। डॉ. ओम प्रकाश का कहना है जब कोई महिला उनके पास थेरेपी लेने आती है, तो उसे उसकी ताकत का एहसास दिलाया जाता है। इसके साथ ही, उसे यह भी बताने की कोशिश की जाती है कि वह हर काम करने में सक्षम है।
उन्होंने बताया कि मॉम गिल्ट तब और ज्यादा खतरनाक हो सकता है, जब तनाव का लेवल बढ़ जाए। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति में मनोवैज्ञानिक से संपर्क जरूर करें। उन्होंने ये भी बताया कि कुछ मामलों में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट्स मेडिकेशन भी शुरू कर सकते हैं।
बच्चे के जन्म के बाद अगर आप या आपके परिवार की कोई महिला अचानक बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी, गुस्सैल या बहुत शांत हो गई है, तो यह पोस्ट पार्टम डिप्रेशन हो सकता है। महिला को ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह लें। इस स्थिति में उसे लंबे समय तक अकेला न छोड़ें।
With Inputs: Ms Vishakha Bhalla, Clinical Psychologist, Max Hospital Gurgaon