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फैटी लिवर का जोखिम कारक क्या है? डॉक्टर से जानें

फैटी लिवर की समस्या दो प्रकार की होती है, अल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (AFLD) और नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD)। आइए जानते हैं दोनों तरह के फैटी लिवर होने के क्या जोखिम कारक हैं। 
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फैटी लिवर का जोखिम कारक क्या है? डॉक्टर से जानें


फैटी लिवर की समस्या आज के समय में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अनहेल्दी खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है। फैटी लिवर डिजीज एक साइलेंट हेल्थ प्रॉब्लम है। फैटी लिवर की समस्या में आपके लिवर सेल्स में ज्यादा फैट जमा होने लगता है, जो समय के साथ कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। फैटी लिवर की समस्या दो प्रकार की होती है, अल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (AFLD) और नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD)। दोनों तरह के फैटी लिवर होने के पीछे कई जोखिम कारक होते हैं। ऐसे में आइए एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज से जानते हैं कि फैटी लिवर के क्या जोखिम कारक हैं?

फैटी लिवर के जोखिम कारक

खराब लाइफस्टाइल, डाइट और शारीरिक गतिविधियों की कमी अक्सर फैटी लिवर का कऱण बन सकती है। ऐसे में कुछ फैटी लिवर होने के कुछ जोखिम कारक भी हैं, जिनमें-

1. शराब का सेवन

शराब का सेवन फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण बनता है, खासकर एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज में। शराब सीधे तौर पर आपके लिवर सेल्स को प्रभावित करती है और उसमें फैट को बढ़ाता है। ऐसे में जब व्यक्ति लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करता है तो उसका लिवर धीरे-धीरे डैमेज होने लगता है, जिससे फैटी लिवर, फाइब्रोसिस और सिरोसिस की समस्या हो सकती है।

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2. डायबिटीज

डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है। दरअसल, जब शरीर में इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है तो फैट लिवर में जमा होने लगता है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में फैटी लिवर की संभावना सामान्य लोगों की तुलना में बहुत ज्यादा होती है।

3. पेट की चर्बी

फैटी लिवर का एक जोखिम कारक पेट के आसपास की जमी चर्बी भी है, जो मेटाबोलिक सिंड्रोम का कारण भी बनती है। पेट की चर्बी इस बात का संकेत होती है कि शरीर में ज्यादा फैट जमा हो रही है, जो लिवर तक भी पहुंच सकता है और फैटी लिवर का कारण बन सकता है।

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4. हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर फैटी लिवर के साथ मेटाबोलिक सिंड्रोम का हिस्सा होता है। हाई बीपी लिवर को पर्याप्त मात्रा में ब्लड फ्लो नहीं पहुंचा पाता है और यह लिवर के काम करने के तरीके पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

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5. उच्च ट्राइग्लिसराइड्स

ब्लड में ट्राइग्लिसराइड्स का ज्यादा होना फैटी लिवर होने की संभावना को बढ़ा सकता है। ये ब्लड में पाई जाने वाले फैट होता है, जिसके ज्यादा मात्रा में होने से लिवर में ये जमा होने लगता है, जिससे फैटी लिवर की समस्या बढ़ सकती है।

निष्कर्ष

फैटी लिवर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो आज के समय में खराब लाइफस्टाइल, तनाव और शरीरिक गतिविधियों की कमी आम होती है। ऐसे में शराब का ज्यादा सेवन, डायबिटीज, पेट की चर्बी, हाई बीपी और हाई ट्राइग्लिसराइड्स जैसी समस्या अक्सर, फैटी लिवर के जोखिम कारक होते हैं।
Image Credit: Freepik

FAQ

  • फैटी लिवर को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

    फैटी लिवर को शुरुआत में ही ठीक करना ज्यादा आसान होता है। ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव, नियमित एक्सरसाइज, और वजन कंट्रोल करने से फैटी लिवर की समस्या को ठीक करने में मदद मिल सकती है।
  • फैटी लीवर से क्या-क्या दिक्कत होती है?

    फैटी लिवर के कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इन परेशानियों में लिवर में सूजन और फाइब्रोसिस से लेकर सिरोसिस और लिवर कैंसर का जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • फैटी लिवर में क्या परहेज करना चाहिए?

    फैटी लिवर की समस्या में शराब, ज्यादा चीनी, प्रोसेस्ड कार्ब्स और ज्यादा नमक के सेवन से बचना चाहिए।

 

 

 

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