
भारत जैसे देश में जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक और केमिकल्स युक्त फूड खाने की वजह से लोगों को कई प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। इन बीमारियों में से एक है फैटी लिवर। जब भी "फैटी लिवर" का नाम आता है, तो अधिकतर लोगों के दिमाग में शराब पीने वाले वयस्कों की छवि उभरती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दिनों जीवनशैली और खानपान के कारण फैटी लिवर की परेशानी बच्चों को भी हो रही है। बच्चों को होने वाले फैटी लिवर को नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर कहा जाता है। इन दिनों जब बच्चों में नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर की परेशानी बढ़ रही हैं, तो हम आपको बताने जा रहे हैं, इस बीमारी में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण आनंद से बात की।
क्या है नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर- What is non-alcoholic fatty liver
बाल एवं शिश रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर की कोशिकाओं में वसा फैट जमा होने लगता है। नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर का इलाज अगर समय के साथ न किया जाए, तो ये लिवर में सूजन और डैमेज का कारण बन सकता है। भविष्य में ये लिवर सिरोसिस या लिवर फेल्योर में बदल सकती है। ये दोनों ही स्थितियां बच्चों के स्वास्थ्य के लिए घातक होती हैं।
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बच्चों में नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर के लक्षण
अगर किसी बच्चे को नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या है, तो उसमें नीचे बताए गए लक्षण नजर आ सकते हैं।
- पेट के दाईं ओर हल्का दर्द
- बिना किसी कारण बच्चा का थक जाना
- ध्यान में कमी (पढ़ाई और अन्य एक्टिविटी में रूचि न होना)
- बार-बार उल्टी या मतली की समस्या होना
- त्वचा पर हल्की पीलापन नजर आना
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बच्चों में नॉन- अल्कोहोलिक फैटी लिवर होने के प्रमुख कारण- Cause of Non- Alcoholic Fatty Liver
डॉ. तरुण आनंद का कहना है कि बच्चों को फैटी लिवर होने के कई कारण हैं। इसमें शामिल हैः
- जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड जैसे बरर्गर, पिज्जा, मैगी, चिप्स और मीठी चीजों का अधिक मात्रा में सेवन करना। जंक और प्रोसेस्ड में ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। जिससे ये बच्चों में फैटी लिवर जैसी बीमारी को जन्म दे सकती है।
- आजकल ज्यादातर बच्चे अपना अधिकांश समय मोबाइल या स्क्रीन पर बिताते हैं। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। जब बच्चा खेलता-कूदता कम हो, तो उसके लिवर में फैट जमा हो जाता है।
- अगर परिवार के किसी सदस्य को पहले से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा या लिवर से जुड़ी बीमारी होती है, तो बच्चों में फैटी लिवर होने की संभावना कई गुणा बढ़ जाती है।
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बच्चों में नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर होने पर क्या करें- What to do if you have non-alcoholic fatty liver in children
1. खाने में सब्जियां शामिल करें
बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों को नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या है, तो उसके खाने में दलिया, ओट्स और हरी सब्जियों को शामिल करें। हरी सब्जियों में हाई फाइबर होता है, जो नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर के लक्षणों को कम करता है। जहां तक संभव हो, बच्चों को घर पर बना हुआ कम तेल, नमक और मसाले वाला ही खाना खिलाएं।
2. खेल-कूद पर फोकस बढ़ाएं
बच्चों के लिवर में फैट जमा न हो, इसके लिए फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं। स्कूल के अलावा बच्चों 1 से 2 घंटा पार्क में खेलने के लिए भेजें। पार्क में खेलते समय बच्चों को दौड़ने, कूदने और साइकिलिंग जैसी एक्टिविटी को बढ़ावा दें।
3. स्क्रीन टाइम कंट्रोल करें
स्कूल, ट्यूशन या किसी भी अन्य कारणों से अगर बच्चा स्क्रीन चलाता है, तो इसे कंट्रोल में करें। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को 1 घंटा से ज्यादा स्क्रीन पर न बिताने दें। सोने से पहले या सुबह तुरंत जागने के बाद बच्चों को मोबाइल चलाने के लिए बिल्कुल न दें।
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4. पर्याप्त पानी पिलाएं
डॉक्टर कहते हैं कि अक्सर पेरेंट्स बच्चों के सिर्फ खाने पर जोर देते हैं। लेकिन स्वस्थ्य शरीर के लिए पानी भी जरूरी है। एक स्वस्थ बच्चों के दिन में कम से कम 5 से 6 गिलास पानी पीना चाहिए। पानी पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और नॉन- अल्कोहिलक फैटी लिवर का खतरा कम होता है।
ऊपर बताए गए टिप्स के अलावा बच्चों का डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर LFT टेस्ट, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं।
बच्चों में नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर होने पर क्या न करें
- अगर आपके बच्चों को कम उम्र में नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर की समस्या हुई है, तो उसके खानपान पर कंट्रोल करें। बच्चों को बाजार के चिप्स, पैकेज्ड जूस और प्रोसेस्ड फूल बिल्कुल भी न दें।
- बच्चों को बाजार में मिलने वाला सोडा, जूस और स्पोर्ट्स ड्रिंक देने से बचें। इनमें चीनी और प्रोसेसिंग ज्यादा मात्रा में की जाती है। इससे फैटी लिवर के दौरान होने वाली परेशानियां बढ़ सकती हैं।
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निष्कर्ष
खानपान, फिजिकल एक्टिविटी में कमी के कारण आज के समय में बच्चों को नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर होना एक आम समस्या है। लेकिन नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर भविष्य में बड़ी बीमारी की जड़ बन सकती है। इसलिए समय रहते बच्चों के खानपान और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान जरूर दें।
FAQ
फैटी लिवर को ठीक करने का सबसे तेज तरीका क्या है?
किसी भी व्यक्ति में फैटी लिवर को ठीक करने से सबसे तेज तरीका है, खानपान को संतुलित करना। रोजाना 15 से 20 मिनट एक्सरसाइझ, खाने में तेल, नमक और मसाले कम करके फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है।फैटी लिवर से क्या-क्या दिक्कत होती है?
फैटी लिवर के कारण शारीरिक थकान, पेट में दर्द, अपच, शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन, वजन बढ़ना, लिवर एंजाइम बढ़ना, हेपेटाइटिस, सिरोसिस और लिवर फेल्योर जैसी परेशानी हो सकती है। इसलिए फैटी लिवर का इलाज पहले चरण में कराना जरूरी है।फैटी लिवर का पहला चरण क्या है?
बिना किसी कारण शारीरिक थकान होना फैटी लिवर का पहला चरण माना जाता है। अगर आपको बिना कोई फिजिकल एक्टिविटी किए नींद आना, सुस्ती की समस्या रहती है, तो डॉक्टर की सलाह पर फैटी लिवर का मेडिकल टेस्ट करवाएं।
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