समय के साथ लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव देखने को मिला है। आज के दौर में जंक फूड खाने की वजह से आपको मोटापा और उससे जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर बताते हैं कि मोटापा, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और अनुवांशिक कारणों के चलते शरीर के अन्य अंगों के साथ ही लिवर के कार्यों पर भी दबाव पड़ता है। इसकी वजह से लोगों में फैटी लिवर की समस्या के मामलों में इजाफा हुआ है। फैटी लिवर की समस्या दो तरह की होती है, जिसमें एल्कोहलिक और नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) को शामिल किया जाता है। लिवर की समस्या में लोगों में पीलिया के लक्षण देखने को मिलते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर में पीलिया हो सकता है। इस लेख में यशोदा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट एसपी सिंह से जानते हैं कि क्या नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर लोगों में पीलिया का कारण बन सकता है?
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के चरण है? - Stages Of Non Alcoholic Fatty Liver Disease In Hindi
NAFLD तब होता है जब लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक फैट इकट्ठा हो जाती है। यह स्थिति दो चरणों में देखी जाती है।
- Simple fatty liver (steatosis) – इसमें लिवर में केवल फैट जमा होता है, लेकिन लिवर को कोई खास नुकसान नहीं होता।
- Non-alcoholic steatohepatitis (NASH) – यह स्थिति गंभीर रूप है, जिसमें फैट के साथ लिवर में सूजन और कोशिकाओं को डैमेज भी होती है। समय के साथ यह फाइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
क्या NAFLD पीलिया का कारण बन सकता है? - Can Non Alcoholic Fatty Liver Disease Cause Jaundice In Hindi
पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद भाग और मूत्र पीला हो जाता है। इसका कारण होता है bilirubin नामक पदार्थ का रक्त में अधिक मात्रा में होना। बिलीरुबिन तब बनता है जब शरीर पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को तोड़ता है। सामान्य रूप से, लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकाल देता है। लेकिन जब लिवर में गड़बड़ी होती है, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है और पीलिया हो सकता है।
नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) के शुरुआती चरण, यानी सिम्पल फैटी लिवर, आमतौर पर पीलिया का कारण नहीं बनता। लेकिन जैसे-जैसे यह स्थिति आगे बढ़ती है और नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) या सिरोसिस में बदल सकती है, इस स्थिति में लिवर की कार्यक्षमता घटने लगती है। लिवर जब बिलीरुबिन को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता, तो ब्लड में इसकी मात्रा बढ़ जाती है, और यही पीलिया का कारण बनता है।
नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर के शुरुआती दौर में पीलिया होने के मामले दुर्लभ होते हैं। जबकि, इसके दूसरे चरण में फाइब्रोसिस या सिरोसिस की स्थिति में पीलिया आम लक्षण हो सकता है।
नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में पीलिया होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
- त्वचा और आंखों का पीला होना
- गहरे रंग का यूरिन आना
- हल्के रंग का मल
- थकान और कमजोरी
- पेट में सूजन या असहजता
- त्वचा पर खुजली, आदि।
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नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज अपने शुरुआती चरणों में पीलिया का कारण नहीं बनती हैं, लेकिन आगे के चरणों में गंभीर रूप होने पर यह पीलिया का कारण बन सकती है। विशेष रूप से जब सिरोसिस विकसित होता है, तो लोगों में पीलिया के लक्षण देखने को मिल सकते हैं। समय रहते नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की पहचान करना और इलाज को शुरु करने से इसके जोखिम से बचा जा सकता है। साथ ही, व्यक्ति डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस रोग से बचाव कर सकता है।