Causes of Lack of Sleep at Night: अगर आप रातभर करवटें बदलते रहते हैं और सुबह उठकर लगता है कि नींद ही पूरी नहीं हुई या फिर दिनभर सिर भारी रहता है, तो समझ लीजिए कि आपकी नींद खराब हो रही हैं और इसके कारणों को समझने के लिए आपको अपनी रुटीन पर ध्यान देना होगा। अगर लगातार नींद न आने की समस्या रहती है, तो इससे कई तरह की बीमारियां होने का रिस्क हो सकता है। इसमें डायबिटीज, हाई बीपी या मोटापा भी होने का खतरा हो सकता है। नींद न आने की समस्या के कारणों को जानने के लिए हमने झायनोव्हा शाल्बी अस्पताल के इंटरनल मेडिसन एक्सपर्ट डॉ. निमित नागदा (Dr Nimitt Nagda, Internal Medicine Expert, Zynova Shalby Hospital) से बात की।
स्लीप एपीनिया - Sleep Apenea
साइंस डायरेक्ट (Science Direct) में छपी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग ओब्सट्रक्टिव स्लीप एपीनिया की समस्या से ग्रस्त है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीयों में नींद न आने की वजह स्लीप एपीनिया काफी बड़ा कारण है। पहले माना जाता था कि मोटे लोगों को ही खर्राटे आते हैं, लेकिन किसी भी उम्र और वजन के लोगों को स्लीप एपीनिया की समस्या हो सकती है। इस बीमारी में सांस की नलियां संकुचित हो जाती है और रोगी की नींद बार-बार टूट जाती है। जो लोग खर्राटे लेते हैं, सोते समय मुंह में सूखापन आना और सुबह उठकर सिरदर्द होने की शिकायत करते हैं, उन्हें स्लीप एपीनिया की समस्या होती है। जिन लोगों को इस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं, उन्हें डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए। वजन कम और लाइफस्टाइल में बदलाव करके स्लीप एपीनिया को मैनेज किया जा सकता है।
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डाइट - Diet
रात के समय आप क्या खाते हैं, इसका असर भी आपकी नींद पर पड़ता है। अगर रात को तला-भुना और तीखा भोजन खा लिया, तो हार्टबर्न की समस्या आ सकती है और यह नींद को बाधित कर सकती है। कुछ लोग रात को कॉफी या चाय पी लेते हैं, जिस वजह से रात में नींद नहीं आती। कैफीन को शरीर से निकलने में बहुत समय लगता है, इसलिए रात को कैफीन लेने की सलाह नहीं दी जाती। जो लोग रात को शराब या किसी तरह का नशा करते हैं, उन्हें भी रातभर नींद नहीं आती। डॉक्टर हमेशा रात को हल्का भोजन करने की सलाह देते हैं। रात को बहुत ज्यादा पानी या लिक्विड भी न लें, क्योंकि रात को बार-बार पेशाब जाने से भी नींद खराब होती है।
स्क्रीन टाइम - Screen Time
रात को सोने से पहले मोबाइल देखना या टीवी पर कोई वेब सीरीज देखने से नींद प्रभावित होती है। मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को कम देती है। इससे रात के समय ब्रेन अलर्ट रहता है, जिससे स्लीप हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ता है। इसलिए रात को सोने से आधा घंटे पहले तक फोन को स्क्रॉल करना बंद कर दें। फोन देखने की बजाय किताब पढ़ने या कोई हल्का म्यूजिक सुनने से नींद जल्दी आती है और क्वालिटी नींद लेते हैं।
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रेस्टलेस लेग सिंड्रोम - Restless Leg Syndrome
कई लोगों को रात में सोते समय अपने पैरों में झनझनाहट या रेंगने जैसा महसूस होता है। यह स्थिति महिला और पुरुष दोनों को हो सकती है, लेकिन महिलाओं के मामले ज्यादा पाए गए हैं। जब रात को झनझनाहट होती है, तब अचानक नींद खुल जाती है। अगर किसी को यह समस्या होती है, रोज कसरत करें, सोने से पहले गर्म पानी से नहाएं और पैरों की मसाज करें। अगर फिर भी ठीक न हुआ, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
स्ट्रेस - Stress
आजकल तनाव, वर्क प्रेशर के कारण लोग रातभर सोचते रहते हैं। इस कारण लोग रात को सो नहीं पाते या फिर देर रात में नींद टूट जाती है। आज के लाइफस्टाइल में स्ट्रेस होना आम है लेकिन इसे कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। अगर लगातार स्ट्रेस रहता है और इससे नींद प्रभावित होती है तो कई तरह की बीमारियां हो सकती है। स्ट्रेस से बचने के लिए खुद को मेडिटेशन या योग करें। कुछ समय खुद की पसंद के चीजें करें। इससे मेंटल स्ट्रेस कम होगा।
डॉ निमित कहते हैं कि अगर आपकी रोजाना रात में बार-बार नींद टूटती है या चिड़चिड़ाहट बनी रहती है। तो इसे नज़रअंदाज न करें। नींद हमारे शरीर और दिमाग के लिए रीसेट बटन की तरह है। इसे नजरअंदाज करना कई शारीरिक और मानसिक समस्या का कारण बनता है। इसलिए अगर आप भी यह परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें और अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करें।